MP में 9 बच्चों की मौत के बाद जागा केंद्र, 2 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप नहीं देने की सलाह जारी

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में कफ सिरप पीने के बाद शुरुआत में 6 बच्चों की मौत की बात सामने आई थी। बताया गया कि सिरप पीने के बाद किडनी फेल होने से बच्चों की मौत हुई। इसके बाद तीन और बच्चों की जान चली गई। राजस्थान में भी दो बच्चों की मौत की खबर है।

MP में 9 बच्चों की मौत के बाद जागा केंद्र, 2 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप नहीं देने की  सलाह जारी
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नवजीवन डेस्क

मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप पीने के बाद कई बच्चों की मौत की खबरों के बाद केंद्र सरकार हरकत में आई है। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक परामर्श जारी कर निर्देश दिया है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी और सर्दी की दवाइयां नहीं दी जाएं।

स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले डीजीएचएस ने परामर्श में कहा कि आमतौर पर पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कफ सिरप की सिफारिश नहीं की जाती है। इसमें कहा गया है कि वृद्ध लोगों के लिए, इनका उपयोग सावधानीपूर्वक नैदानिक ​​मूल्यांकन, गहन निगरानी, ​​उचित खुराक का कड़ाई से पालन आदि पर आधारित होना चाहिए।

इसके अलावा, डीजीएचएस की डॉ. सुनीता शर्मा द्वारा जारी परामर्श में कहा गया है कि लोगों को डॉक्टरों के नुस्खों के पालन के प्रति भी संवेदनशील बनाया जा सकता है। इसमें बच्चों के लिए कफ सिरप के विवेकपूर्ण नुस्खे पर ज़ोर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि बच्चों में गंभीर खांसी की बीमारियां अधिकतर स्वतः ही ठीक हो जाती हैं और अक्सर दवाइयों के बिना ठीक हो जाती हैं।

इस परामर्श में सभी स्वास्थ्य सेवा केंद्रों और नैदानिक इकाइयों को कहा गया है कि वे ठीक से तैयार उत्पादों की खरीद और वितरण सुनिश्चित करें। इसमें कहा गया है, ‘‘देखभाल के इन मानकों को बनाए रखने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के डॉक्टरों और औषधि विक्रेताओं का संवेदनशील होना आवश्यक है। सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य विभागों, जिला स्वास्थ्य प्राधिकरणों और नैदानिक ​​प्रतिष्ठानों/स्वास्थ्य सेवा केंद्रों से अनुरोध है कि वे इस परामर्श को सरकारी औषधालयों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, जिला अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में लागू करें और प्रसारित करें।’’


इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पाया कि मध्य प्रदेश में परीक्षण किए गए किसी भी सिरप के नमूने में डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) या एथिलीन ग्लाइकॉल (ईजी) नहीं था। इन दोनों तत्वों से किडनी को गंभीर नुकसान हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी), केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) आदि के प्रतिनिधियों वाली एक संयुक्त टीम ने मध्य प्रदेश में विभिन्न कफ सिरप के नमूने एकत्र करने के लिए साइट का दौरा किया। ऐसी खबरें हैं कि हाल ही में कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौतें हुई हैं।

मंत्रालय ने कहा, ‘‘जांच परिणामों के अनुसार, किसी भी नमूने में डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) या एथिलीन ग्लाइकॉल (ईजी) नहीं पाया गया, जो किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।" मध्यप्रदेश राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने भी तीन नमूनों की जांच की और डीईजी/ईजी के मौजूद नहीं होने की पुष्टि की। वहीं राजस्थान में दूषित कफ सिरप के सेवन से दो बच्चों की मौत की खबरों पर मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि संबंधित उत्पाद में प्रोपिलीन ग्लाइकॉल नहीं है जो डीईजी/ईजी संदूषण का संभावित स्रोत है।

बता दें कि मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में कफ सिरप पीने के बाद शुरुआत में 6 बच्चों की मौत की जानकारी सामने आई थी। बताया गया कि सिरप पीने के बाद किडनी फेल होने से बच्चों की मौत हुई। इसके बाद तीन और बच्चों की जान चली गई। मृतकों में शिवम राठौड़ (4 वर्ष), अदनान खान (5 वर्ष), उसेद खान (4 वर्ष), ऋषिका पिपरे (5 वर्ष), हितांश सोनी (4 वर्ष), श्रेया यादव (2 वर्ष), विकास यादववंशी, विधि परासिया, और संध्या (1 वर्ष) शामिल हैं।

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