अमेरिका के बाद भारत पर अब इस देश ने लगाया 50% टैरिफ, जानिए कब से होगा लागू

मैक्सिको ने चीन, भारत, साउथ कोरिया, थाईलैंड और इंडोनेशिया के 1,400 उत्पादों पर 50 फीसदी तक टैरिफ लगा दिया है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

मैक्सिको ने एक ऐसा बिल पास किया जिसने एशिया से होने वाले निर्यात के पूरे परिदृश्य को हिला दिया है। मैक्सिको की सीनेट ने एक बड़ा व्यापार संशोधन बिल पास किया, जिसके तहत चीन, भारत, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे देशों से आने वाले करीब 1,400 उत्पादों पर 50 फीसदी तक का टैरिफ लगाने की तैयारी है। यह कदम बिल्कुल वैसा ही है जैसा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी प्रोटेक्शनिस्ट नीति के तहत कर चुके हैं। बिल 2026 से लागू किया जाएगा।

यह बिल ऐसे समय में पास हुआ है जब अमेरिका, मैक्सिको और कनाडा के बीच USMCA की 2026 में समीक्षा होने वाली है। ट्रंप प्रशासन लगातार मैक्सिको पर चीन से दूरी बनाने का दबाव डाल रहा है और मैक्सिको को चीन के लिए “बैकडोर एंट्री पॉइंट” बताता रहा है। इस पृष्ठभूमि में यह कदम सिर्फ व्यापार नीति नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक रणनीति का भी हिस्सा माना जा रहा है।

किन उत्पादों पर बढ़ेगा टैक्स?

मैक्सिको सरकार जिन उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने जा रही है, उनमें शामिल हैं:

  • ऑटोमोबाइल

  • ऑटो पार्ट्स

  • कपड़े

  • जूते-चप्पल

  • प्लास्टिक उत्पाद

  • स्टील

  • एल्यूमिनियम

  • कांच

  • फर्नीचर

  • खिलौने

इनमें से कई ऐसे सामान हैं जिनकी सप्लाई चेन एशिया पर निर्भर है। जिन देशों का मैक्सिको के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) नहीं है, उनके लिए नया टैरिफ व्यापार को और महंगा कर देगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे मैक्सिको की घरेलू फैक्ट्रियों को राहत मिलेगी, लेकिन इम्पोर्टेड पार्ट्स महंगे होने से महंगाई का दबाव भी बढ़ सकता है। स्थानीय बिजनेस ग्रुप्स पहले ही इस पर नाराजगी जता चुके हैं।


बिल पास करने का मकसद क्या है?

मैक्सिको की संसद में यह बिल बेहद तेज रफ्तार से आगे बढ़ा।

  • 10 दिसंबर: लोअर हाउस ने इसे मंजूरी दी

  • उसी दिन: सीनेट ने भी 76–5 वोटों से पास कर दिया

राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबॉम ने सितंबर 2025 में यह प्रस्ताव रखा था और अब इसके साइन होने की औपचारिकता ही बाकी है।

विशेषज्ञों के मुताबिक यह कदम अमेरिका को संकेत देने के लिए भी है कि मैक्सिको उसकी रणनीतिक प्राथमिकताओं के साथ खड़ा है। इससे मैक्सिको में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा और अनुमान है कि करीब तीन लाख नौकरियों को बचाया जा सकेगा।

भारत-मैक्सिको व्यापार पर क्या पड़ेगा असर?

पिछले कुछ वर्षों में भारत और मैक्सिको के व्यापारिक रिश्ते लगातार मजबूत हुए हैं।

ऐसे बढ़ा व्यापार:

  • 2022: 11.4 अरब डॉलर

  • 2023: 10.6 अरब डॉलर (गिरावट)

  • 2024: 11.7 अरब डॉलर (अब तक का सबसे ऊंचा स्तर)

भारत का व्यापार संतुलन भी मैक्सिको के साथ काफी सकारात्मक है।

  • 2024 में भारत का निर्यात: 8.9 अरब डॉलर

  • आयात: 2.8 अरब डॉलर

साफ है कि भारत मैक्सिको को काफी ज्यादा सामान भेजता है। ऐसे में नए टैरिफ भारतीय निर्यातकों की लागत बढ़ा सकते हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा प्रभावित हो सकती है। खासकर उन क्षेत्रों में जहां पहले से एशियाई देशों में कड़ी कॉम्पिटिशन है।


क्या यह फैसला एशिया को सीधे चुनौती है?

दुनिया की सप्लाई चेन में एशिया की हिस्सेदारी बहुत बड़ी है। टैरिफ बढ़ाकर मैक्सिको अपने उद्योग को सुरक्षित करने के साथ-साथ अमेरिका के साथ अपने समीकरण भी मजबूत कर रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि मैक्सिको अमेरिकी दबाव में चीन से दूरी बनाना चाहता है। 2026 में USMCA समीक्षा से पहले यह राजनीतिक संदेश भी है। ऐसे कदम से मैक्सिको की घरेलू इंडस्ट्री को मजबूती मिलेगी। लेकिन इम्पोर्टेड सामान महंगा होने से भीतर महंगाई बढ़ सकती है।

 चूंकि भारत भी एशिया की उन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है जिन पर टैरिफ बढ़ाया गया है, इसलिए भारत-मैक्सिको व्यापार के कई क्षेत्रों, खासकर मैन्युफैक्चरिंग, टेक्सटाइल, ऑटो और प्लास्टिक सेक्टर पर असर पड़ सकता है।

आने वाले समय में क्या बदल सकता है?

यह फैसला 2026 से लागू होगा, लेकिन इसका असर अभी से दिखने लगा है। भारत समेत कई एशियाई देशों के लिए मैक्सिको में नए निवेश का माहौल बदल सकता है।

आगे की तस्वीर इन पहलुओं पर निर्भर करेगी:

  • क्या मैक्सिको कुछ उत्पाद श्रेणियों में छूट देने को तैयार होगा?

  • क्या USMCA की 2026 वाली समीक्षा में अमेरिका नई शर्तें रखेगा?

  • क्या भारत व्यापार संतुलन सुधारने के लिए नए समझौते की दिशा में बढ़ेगा?

फिलहाल इतना तय है कि यह फैसला एशियाई निर्यातकों के लिए चुनौतीपूर्ण दौर की शुरुआत है।

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