अहमदाबाद प्लेन क्रैशः क्या होता है ब्लैक बॉक्स, जो बता देता है हादसे की वजह, जानें कैसे बचा रहता है सुरक्षित
अहमदाबाद में हादसे का शिकार हुए विमान का ब्लैक बॉक्स मिल गया है, जिससे हादसे के कारणों का पता चलने की उम्मीद है। जानें क्या होता है ब्लैक बॉक्स, इससे क्या-क्या जानकारी मिलती है और भीषण हादसे में भी इसे कोई नुकसान क्यों नहीं पहुंचता है।

अहमदाबाद हवाई अड्डे से उड़ान भरने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हुए लंदन जाने वाले एयर इंडिया के बोइंग 787-8 विमान का ब्लैक बॉक्स बरामद हो गया है। एयर इंडिया के बोइंग 787-8 विमान के ब्लैक बॉक्स को अहमदाबाद हवाई अड्डे के पास मेघाणी नगर में दुर्घटना स्थल पर मलबे में से बरामद किया गया। इसकी जांच से हादसे के कारणों के बारे में महत्वपूर्ण सुराग मिलने की उम्मीद जताई जा रही है, जिसमें विमान में सवार 241 लोगों समेत 265 लोगों की मौत हो गई। विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक बॉक्स ढूंढने के बाद उसे डिकोड करने में कुछ समय लग सकता है।
क्या होता है ब्लैक बॉक्स
ब्लैक बॉक्स एक विशेष डिवाइस होता है जो हर हवाई जहाज में लगाया जाता है। ब्लैक बॉक्स फ्लाइट की उड़ान से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी और गतिविधियों को रिकॉर्ड करने का काम करता है। इसका नाम ब्लैक बॉक्स जरूर होता है, लेकिन इसका रंग काला नहीं, बल्कि चमकीला नारंगी होता है ताकि हादसे के बाद इसे आसानी से ढूंढा जा सके। ब्लैक बॉक्स को प्लेन के सबसे पिछले भाग में लगाया जाता है। एक सामान्य ब्लैक बॉक्स का वजन करीब 4.5 किलो का होता है।
इससे क्या-क्या जानकारियां मिलती हैं
ब्लैक बॉक्स फ्लाइट की उड़ान से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी और गतिविधियों को रिकॉर्ड करने का काम करता है। इसे फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर के नाम से भी जाना जाता है। इसमें दो तरह के रिकॉर्डर लगे होते हैं। कॉकपिट की आवाज को रिकॉर्ड करने के लिए कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और दूसरा फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर होता है।
कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में पायलट और सह-पायलट की बातचीत, अलार्म और कॉकपिट की आवाजें रिकॉर्ड होती हैं। वहीं फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर में विमान की ऊंचाई, गति, दिशा, इंजन की स्थिति आदि टेक्निकल डेटा रिकॉर्ड होता है। जब कोई विमान दुर्घटना का शिकार होता है, तो ब्लैक बॉक्स की मदद से यह समझा जाता है कि हादसे से ठीक पहले विमान में क्या हुआ था। इससे पता चलता है कि हादसे के समय क्या पायलट द्वारा प्लेन का नियंत्रण खो दिया गया था? क्या विमान में कोई तकनीकी खराबी आई थी? हादसे के आखिरी समय में पायलट क्या बातचीत कर रहे थे, वह सब इसमें रिकॉर्ड होता है। इन सभी सवालों का जवाब ब्लैक बॉक्स की जांच करने के बाद मिलता है। ब्लैक बॉक्स मिलने के बाद उसे फॉरेंसिक लैब में भेजा जाता है, जहां पर उसकी जांच की जाती है।
किसी विमान हादसे में यह क्यों महत्वपूर्ण होता है
ब्लैक बॉक्स किसी फ्लाइट की उड़ान से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी और गतिविधियों को रिकॉर्ड करने का काम करता है। विमान के उड़ाने भरने के लिए स्टार्ट होने के साथ ही यह विमान के अंदर की हर गतिविधि को रिकॉर्ड करने लगता है। खासकर हादसे से पहले अंतिम क्षणों मे पायलट एक-दूसरे से और अन्य स्टाफ से क्या बात कर रहे थे, वह सब इसमें रिकॉर्ड हो जाता है। दुनिया भर में हुए कई विमान हादसों के पीछे रहे कारणों को ब्लैक बॉक्स की मदद से ही समझा गया है। इससे मिले डेटा के आधार पर ही एविएशन इंडस्ट्री से जुड़े कड़े नियम-कायदे समय के साथ तैयार हुए।
प्लेन क्रैश में कोई नुकसान क्यों नहीं पहुंचता
ब्लैक बॉक्स को काफी मजबूती के साथ बनाया जाता है ताकि यह हादसे के बाद भी सुरक्षित बचा रहे। दुर्घटना में कोई नुकसान न पहुंचे इसके लिए इसका निर्माण सबसे मजबूत धातू टाइटेनियम से किया जाता है। इसका निर्माण इतना मजबूत होता है कि यह 1100 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान, 6000 मीटर की समुद्री गहराई और भारी झटकों और चोट को सहन कर सकता है। इस डिवाइस में एक छोटा सा सिग्नल देने वाला यंत्र भी होता है, जो पानी में गिरने पर भी 30 दिन तक अपनी लोकेशन की जानकारी देता है ताकि उसे ढूंढा जा सके।
ब्लैक बॉक्स का आविष्कार
ब्लैक बॉक्स का इतिहास 1950 के दशक से शुरू हुआ, जब हवाई हादसों के कारणों का पता लगाने के लिए एक विश्वसनीय उपकरण की जरूरत महसूस हुई। तब से यह हर विमान का अनिवार्य हिस्सा बन गया है। इसके अविष्कार का श्रेय डेविड वॉरेन नामक वैज्ञानिक को दिया जाता है। चूंकि ब्लैक बॉक्स दुर्घटना की असली वजह जानने में खास भूमिका निभाता है। इस कारण विभिन्न हादसों में इससे मिले डेटा के आधार पर ही हवाई यातायात इंडस्ट्री में समय्-समय पर कई सुधार हुए और कई नियम-कायदे तैयार किए गए।
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