एयर इंडिया एक्सप्रेस के क्रू सदस्यों ने मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया, सरकार से हस्तक्षेप की मांग

कर्मचारी संघ ने कहा कि प्रबंधन के नवीनतम नियुक्ति पत्र के अनुसार, केबिन क्रू सदस्यों को किसी भी ट्रेड यूनियन गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति नहीं है। यह निर्णय एयर इंडिया एक्सप्रेस कर्मचारी संघ की एकता को तोड़ने और उसके काम को रोकने के लिए लिया गया है।

एयर इंडिया एक्सप्रेस के क्रू सदस्यों ने मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया, सरकार से हस्तक्षेप की मांग
एयर इंडिया एक्सप्रेस के क्रू सदस्यों ने मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया, सरकार से हस्तक्षेप की मांग
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नवजीवन डेस्क

टाटा समूह के स्वामित्व वाली एयर इंडिया एक्सप्रेस के वरिष्ठ केबिन क्रू सदस्यों ने कंपनी द्वारा आचार संहिता के कथित उल्लंघन पर चिंता व्यक्त की है और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। वरिष्ठ कर्मचारियों का दावा है कि उन्हें मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है और अनुबंध अचानक समाप्‍त किये जा रहे हैं। इससे एयरलाइन प्रबंधन के काम करने के तरीके पर संदेह पैदा होता है।

एईएक्स कर्मचारी संघ ने नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भेजे पत्र में कहा है, “प्रबंधन द्वारा जारी नवीनतम नियुक्ति पत्र के अनुसार, केबिन क्रू सदस्यों को किसी भी ट्रेड यूनियन गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति नहीं है। यह निर्णय बीएमएस के तहत पंजीकृत एयर इंडिया एक्सप्रेस कर्मचारी संघ की एकता को तोड़ने और उसके काम को रोकने के लिए लिया गया है।”

पत्र में आगे दावा किया गया है कि अंजलि चटर्जी के नेतृत्व वाली एचआर टीम द्वारा हाल ही में लिए गए निर्णय के अनुसार, चार केबिन क्रू सदस्यों के अनुबंधों का बिना किसी कारण के नवीनीकरण नहीं किया गया। यूनियन ने दावा किया कि प्रबंधन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों को पूरा करने के बावजूद अनुबंध नवीनीकरण के लिए मूल्यांकन कार्यक्रम के बाद यह निर्णय लिया गया है।

संघ ने कहा, “नौ केबिन क्रू के अनुबंधों को पांच साल से घटाकर एक साल कर दिया गया और केबिन क्रू के अन्य सदस्यों के अनुबंध की अवधि भी घटाकर तीन साल कर दी गई। कंपनी एचआर के सर्कुलर में एक साल के लिए सशर्त अनुबंध जारी करने के लिए कोई पैरामीटर निर्धारित नहीं है। यह कटौती कार्रवाई का कारण बताए बिना मूल्यांकन कार्यक्रम के आधार पर की गई है। संचार में कोई पारदर्शिता नहीं रखी गई।”


इसमें कंपनी की मूल्यांकन टीम द्वारा उत्पीड़न और यातना का भी आरोप लगाया गया। पत्र में कहा गया है, “मेघा सिंघानिया के नेतृत्व में मूल्यांकन के दौरान, केबिन क्रू से उनके रंग, भाषा और उच्चारण के बारे में पूछा गया और टिप्पणी की गई और मातृत्व अवकाश के बाद ड्यूटी ज्‍वाइन करने वाली महिला क्रू की प्रदर्शन क्षमता पर सवाल उठाए गए। यह उत्पीड़न केबिन क्रू के लिए मानसिक तनाव पैदा करता है जो यात्रियों की सुरक्षा को भी प्रभावित कर सकता है।"

संघ ने यह भी आरोप लगाया कि संगठन के भीतर कुछ "अनैतिक" प्रथाएं देखी गई हैं, जिसमें अनुबंध नवीनीकरण के लिए बीएमआई गणना को प्रभावित करने के लिए लंबाई के माप में हेरफेर भी शामिल है। पत्र में आरोप लगाया गया है कि लंबाई मापने का वर्तमान उपकरण कैलिब्रेटेड नहीं है और इस विसंगति के परिणामस्वरूप कर्मचारियों को गलत तरीके से ड्यूटी से हटा दिया गया है।

इसके अलावा एक दु:खद घटना में एयर इंडिया एक्सप्रेस के एक केबिन क्रू सदस्य को ड्यूटी के दौरान रीढ़ की हड्डी में चोट लग गई और अब उसे व्हीलचेयर पर जीवन बिताना पड़ रहा है। यह घटना भेदभाव और रोजगार के समान अवसरों की कमी के मुद्दों को पर प्रकाश डालती है। संघ का कहना है कि हादसे की शिकार कर्मचारी का अनुबंध उसकी सीमित क्षमताओं के लिए उपयुक्त जमीनी कार्य पर विचार किए बिना समाप्त कर दिया गया। हालांकि विकलांगता आयोग ने एक वर्ष के लिए सहायक संचालन भूमिका देने का आदेश दिया है, लेकिन कोई वास्तविक नौकरी नहीं सौंपी गई और अनुबंध समाप्ति को केवल स्थगित कर दिया गया। यह स्थिति टाटा आचार संहिता की विकलांगता की परवाह किए बिना सभी कर्मचारियों के लिए समान अवसरों की प्रतिबद्धता के विपरीत है।'


पत्र में सीओओ पुष्पिंदर सिंह पर भर्ती और पदोन्नति में अनियमितताओं के आरोप लगाये गये हैं।यूनियन ने आरोप लगाया कि केबिन क्रू सदस्यों के लिए अनुबंध कार्यकाल में विसंगतियां, पक्षपात और एकाधिकारवादी प्रथाओं ने संगठन के भीतर निष्पक्ष श्रम प्रथाओं के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं। केबिन क्रू में से एक, जिसके व्यक्तिगत रिकॉर्ड में तीन चेतावनी पत्र हैं, कैप्‍टन सिंह के साथ अपने अच्‍छे रिश्‍ते के कारण पूरे पांच साल का अनुबंध प्राप्त करने में सफल रहा।

वहीं, यूनियन में शामिल अन्य केबिन क्रू को एक छोटी गलती के लिए भी बिना कोई चेतावनी पत्र दिये एक साल के सशर्त अनुबंध की पेशकश की गई है। संघ का कहना है कि तमाम कोशिशों के बावजूद उसके प्रतिनिधियों को सीईओ आलोक सिंह से मिलने नहीं दिया गया।

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