गहरी धुंध में लिपटे दिल्ली-NCR में सांस लेना हुआ दुश्वार, हेल्थ इमरजेंसी घोषित, स्कूल बंद, निर्माण पर रोक

देश की राजधानी दिल्ली और इसके आसपास का इलाका (एनसीआर) गहरे और घने प्रदूषण की चपेट में आकर गैस चैंबर बन चुका है। इसके मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट के पैनल ने दिल्ली-एनसीआर में पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी का ऐलान कर दिया है। साथ ही दिल्ली सरकार ने सभी स्कूलों को 5 नवंबर तक बंद रखने का ऐलान किया है।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

शुक्रवार सुबह जब राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों (एनसीआर) के लोग नींद से जागे तो पूरा इलाका गैस चैंबर की तरह नजर आया। मोटी धुंध की चादर चारों तरफ छाई हुई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक गुरुवार-शुक्रवार की रात में प्रदूषण का स्तर लगभग 50 अंक बढ़ गया और समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 459 पर पहुंच गया।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के एक अधिकारी ने बताया कि इस साल जनवरी के बाद से गुरुवार की रात पहली बार एक्यूआई 'बेहद गंभीर और 'आपात श्रेणी में पहुंच गया। इसके बाद ही ईपीसीए ने दिल्ली-एनसीआर में जन स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा की और पांच नवम्बर तक सभी निर्माण कार्यों और पूरी ठंड के दौरान पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है।


आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, रात साढ़े बारह बजे समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक 582 पर पहुंच गया था। अधिकारी ने बताया कि अगर वायु गुणवत्ता 48 घंटे से अधिक तक 'बेहद गंभीर श्रेणी में बनी रहती है तो ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान के तहत आपात उपाय किए जाते हैं। मसलन सम-विषम योजना (ऑड-ईविन प्लान), ट्रकों के प्रवेश और निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध और स्कूल बंद करना आदि।

सुबह साढ़े आठ बजे, राजधानी का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 459 था, जो गुरुवार की रात आठ बजे 410 दर्ज किया गया था। दिल्ली में स्थित सभी 37 वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों ने शुक्रवार की सुबह दिल्ली का एक्यूआई 'बेहद गंभीर' श्रेणी में दर्ज किया।

प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सभी स्कूलों को 5 नवंबर तक बंद रखने की घोषणा की है।


देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहर गाजियाबाद में पीएम 2.5 का स्तर 493 रहा। ग्रेटर नोएडा (480), नोएडा (477) और फरीदाबाद (432) में भी हवा में प्रदूषण का स्तर काफी अधिक रहा। एक्यूआई जब 0-50 होता है तो इसे ''अच्छी श्रेणी का माना जाता है। 51-100 को ''संतोषजनक, 101-200 को ''मध्यम, 201-300 को ''खराब, 301-400 को ''अत्यंत खराब, 401-500 को ''गंभीर और 500 से ऊपर एक्यूआई को ''बेहद गंभीर एवं आपात श्रेणी का माना जाता है।

सर गंगाराम अस्पताल में फेफड़ों के शल्य चिकित्सक डॉ अरविंद कुमार ने कहा, ''प्रदूषित वायु का 22 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हिस्सा श्वांस के साथ शरीर में जाने पर यह एक सिगरेट पीने के बराबर होता है। ऐसे में पीएम 2.5 का स्तर 700 हो या 300 हो, इसका प्रभाव बहुत बुरा होता है। लोगों को एहतियात बरतनी चाहिए खासकर उन लोगों को जो अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या श्वास संबंधी अन्य रोगों से पीड़ित हैं। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ उत्तरी क्षेत्र का रुख कर रहा है जिससे हवा की गति बढ़ेगी और शनिवार से प्रदूषक तत्व तितर बितर होने लगेंगे।

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