अखिलेश ने योगी सरकार के पौधारोपण के आंकड़ों पर उठाए सवाल, पूछा- 200 करोड़ पेड़ों के लिए जमीन कहां आवंटित की गई
राज्य के अभियान ‘एक पेड़ मां के नाम’ पर कटाक्ष करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि यह प्रयास वास्तविक से ज्यादा प्रतीकात्मक लगता है। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने पौधारोपण को एक सतत पर्यावरणीय प्रयास के बजाय एक भावनात्मक आयोजन में बदल दिया है।

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के वन महोत्सव अभियान के तहत इस साल 37 करोड़ पेड़ लगाने के दावे पर बुधवार को सवाल उठाते हुए इसे महज दिखावा बताया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पिछले कई वर्षों में अब तक लगाए गए 200 करोड़ पेड़ों के आंकड़ों का हवाला तो देती है, लेकिन यह कभी स्पष्ट नहीं करती कि इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों के लिए जमीन कहां आवंटित की गई है।
अखिलेश यादव ने पूछा, ‘‘इटावा में, हमने एक बार 1,000 एकड़ जमीन पर लगभग 1.3 लाख पेड़ लगाए थे। अगर यही अनुपात है तो 200 करोड़ पेड़ों के लिए जमीन कहां है?’’ राज्य के अभियान ‘एक पेड़ मां के नाम’ पर कटाक्ष करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि यह प्रयास वास्तविक से ज्यादा प्रतीकात्मक लगता है। उन्होंने कहा, ‘‘इस सरकार ने पौधारोपण को एक सतत पर्यावरणीय प्रयास के बजाय एक भावनात्मक आयोजन में बदल दिया है।’’
समाजवादी पार्टी के रिकॉर्ड का जिक्र करते हुए अखिलेश यादव ने लखनऊ के उदाहरण दिए जहां उनके कार्यकाल में लगाए गए पेड़ अब पूरी तरह से विकसित हो चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हजरतगंज से लेकर राज्यपाल आवास, लोहिया पथ और समता मूलक चौराहे तक, सपा सरकार के दौरान लगाए गए सभी पेड़ों पर अब पूरे साल अलग-अलग रंगों और प्रकार के फूल खिलते हैं।’’
अखिलेश यादव ने मौजूदा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार पर बिना किसी नवाचार के सपा काल की नीतियों को दोहराने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया, ‘‘चाहे नहरों के किनारे पौधे हों या एक्सप्रेसवे, ये सभी पौधारोपण तब किए गए थे जब हम सत्ता में थे। वे केवल नकल और विज्ञापन कर रहे हैं, कुछ भी नया या प्रभावशाली नहीं कर रहे हैं।’’
अखिलेश यादव ने यह भी याद दिलाया कि समाजवादी सरकार के दौरान, स्पष्ट रूप से प्रतिदिन 50,000 पौधे लगाने के लक्ष्य निर्धारित किए गए थे और व्यवस्थित वनरोपण सुनिश्चित करने के लिए हरित क्षेत्रों की उचित पहचान की गई थी। यादव ने कहा, ‘‘यह सरकार कोई अच्छा काम नहीं कर रही है। वे बस पुराने विचारों को नया रूप दे रहे हैं।’’
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