सवालों के घेरे में बीजेपी शासित गोवा की शिक्षा प्रणाली, अकाउंटेंट की परीक्षा में सभी 8000 उम्मीदवार फेल

गोवा सरकार ने हाल ही में अकाउंटेंट के 80 सरकारी पदों की भर्ती के लिए परीक्षा का आयोजन किया था, जिसमें 8,000 उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया था, लेकिन हैरत की बात है कि इस परीक्षा में कोई भी पास नहीं हो सका। इसके बाद गोवा की शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।

फोटो : सोशल मीडिया
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आईएएनएस

गोवा सरकार की अकाउंटेंट की परीक्षा में सभी आठ हजार अभ्यर्थियों के फेल हो जाने से राज्य के साथ-साथ देश की परीक्षा प्रणाली पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। कई शिक्षाविद् कहते हैं कि हमारी परीक्षा प्रणाली बिल्कुल उद्देश्यहीन, अविश्वसनीय और त्रुटिपूर्ण हो चली है। गोवा सरकार ने हाल ही में सरकार के अंतर्गत अकाउंटेंट के 80 पदों की भर्ती के लिए परीक्षा का आयोजन किया था, जिसमें 8,000 उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया था, लेकिन हैरत की बात है कि इस परीक्षा में कोई भी पास नहीं हो सका। दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और शिक्षाविद् नवीन कुमार ने आईएएनएस से कहा, "इतनी बड़ी संख्या में बच्चों का एक साथ फेल होना सरकार के उदासीनता भरे रवैये को दर्शाता है। इतनी बड़ी संख्या में बच्चों का असफल होना दिखाता है कि परीक्षा प्रणाली बिल्कुल उद्देश्यहीन है, इसकी विश्वसनीयता नहीं रह गई है, बल्कि त्रुटिपूर्ण हो चुकी है।"

दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और शिक्षाविद् नवीन कुमार का कहना है कि, "इतनी बड़ी संख्या में बच्चों का एक साथ फेल होना सरकार के उदासीनता भरे रवैये को दर्शाता है। इतनी बड़ी संख्या में बच्चों का असफल होना दिखाता है कि परीक्षा प्रणाली बिल्कुल उद्देश्यहीन है, इसकी विश्वसनीयता नहीं रह गई है, बल्कि त्रुटिपूर्ण हो चुकी है।"

बच्चों में शिक्षा के स्तर में गिरावट के सवाल पर प्रोफेसर नवीन कुमार ने कहा कि इसके पीछे बहुत से कारण हो सकते हैं, परीक्षा के विषय पर तो बता करें तो देखेंगे कि हर एक परीक्षा के लिए एक ही परीक्षा प्रणाली कार्य कर रही है, जो कि जरूरी नहीं है। परीक्षा वैसी होनी चाहिए जो उस पद के अनुकूल हो। उन्होंने कहा, "आप देखेंगे की ज्यादातर परीक्षाओं में एप्टीट्यूट टेस्ट, रीजनिंग टेस्ट, अंग्रेजी टेस्ट होता है चाहे वह सीबीआई के लिए हो या लेखपाल के लिए। इन प्रणालियों में नएपन की कमी है, जिससे जो लोग उस नौकरी के लायक नहीं भी होते हैं वह परीक्षा तो जरूर पास करते हैं लेकिन वह नौकरी के प्रति ईमानदारी और निष्ठा नहीं निभा पाते।"

गोवा सरकार की इस परीक्षा में उम्मीदवारों को पास होने के लिए 50 फीसदी अंक लाने थे और यह अंक लाने में एक भी उम्मीदवार सफल नहीं हो पाया। नाम जाहिर न करने की शर्त पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सभी स्नातक उम्मीदवारों को इस परीक्षा में पास होने के लिए 100 में से कम से कम 50 अंक लाने थे, लेकिन कोई भी यह अंक लाने में सफल नहीं हुआ।

गोवा के लेखा निदेशक ने एक अधिसूचना जारी करते हुए बताया था कि सात जनवरी को आयोजित इस प्रारंभिक परीक्षा में कोई भी उम्मीदवार सफल नहीं हो पाया है। अधिकारी ने बताया कि कुल 100 अंकों की इस परीक्षा में अंग्रेजी, सामान्य ज्ञान और अकाउंट से संबंधित सवाल पूछे गए थे।

नवीन कुमार ने बताया, "देशभर में राष्ट्रीय स्तर पर होनी वाली नीट व इंजीनियरिंग परीक्षा, आईएएस परीक्षा और बैंकिंग जैसी महत्वपूर्ण परीक्षा में शामिल लोगों में ज्यादातर के पास मूल्यांकन करने की योग्यता नहीं होती, जबकि परीक्षा भी एक तरह का मूल्यांकन है।" उन्होंने कहा, "आप देखेंगे कि एक लड़का पहले बैंक में नौकरी करेगा, फिर पीसीएस और उसके बाद आईएएस की परीक्षा भी पास कर जाएगा। मतलब एक लड़का तीनों तरह की परीक्षा देगा और उसे पास कर जाएगा। इसका मतलब है कि किस पद के लिए किस तरह की योग्यता चाहिए, यह तय नहीं है। अगर यह परीक्षा प्रणाली कारगर होती तो जरूरी नहीं कि अगर एक युवक आईएएस की परीक्षा पास कर लेता है तो वह सेना का भी अधिकारी बने।" उन्होंने कहा, "परीक्षाओं में एप्टीट्यूड टेस्ट की सख्त कमी है।"

वहीं आम आदमी पार्टी की गोवा इकाई के महासचिव प्रदीप पदगांवकर ने परिणामों की घोषणा में देरी की आलोचना की और कहा कि सभी 8,000 उम्मीदवारों का फेल होना राज्य की शिक्षा प्रणाली का 'पतन' दर्शाता है। उन्होंने कहा कि गोवा विश्वविद्यालय और कॉमर्स कॉलेजों के लिए यह बहुत शर्म की बात है, जहां से ये स्नातक निकलते हैं।

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