अलवर लिंचिंग: राजस्थान सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट सहमत
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि भीड़तंत्र के भयावह कृत्यों को एक नई परंपरा बनाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। इसके साथ ही अदालत ने गौ-रक्षकों और भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा के अपराधों से निपटने के लिए दंडात्मक दिशानिर्देश जारी किए थे।

सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को बीते सप्ताह अलवर जिले में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या (मॉब लिचिंग) के मामले में राजस्थान सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुनवाई पर सहमत हो गया। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम.खानविलकर व न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता तहसीन पूनावाला की याचिका पर सुनवाई मुख्य मामले के साथ 20 अगस्त को की जाएगी।
पूनावाला की तरफ से पेश वकील दीपाली द्विवेदी ने खंडपीठ के सामने अलवर में पीट-पीटकर की गई हत्या के मामले का उल्लेख किया और राजस्थान सरकार के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग की।
सर्वोच्च न्यायालय देश में हाल में हुई पीट-पीटकर हत्या की घटनाओं को लेकर केंद्र व राज्य सरकार की तीखी आलोचना कर चुका है।
अदालत ने भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या की घटनाओं की निंदा की थी और संसद में इस अपराध से निपटने के लिए कानून बनाने को कहा था।
अदालत ने कहा था, "भीड़तंत्र के भयावह कृत्यों' को एक नया परंपरा बनाने की इजाजत नहीं दी जा सकती।" इसके साथ ही अदालत ने इस तरह के गौ रक्षकों व भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा के अपराधों से निपटने के लिए निवारक, सुधारात्मक व दंडात्मक कदमों सहित दंडात्मक दिशानिर्देश जारी किए थे।
राजस्थान के अलवर जिले में शुक्रवार को संदिग्ध गौरक्षकों ने एक 28 साल के व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी। इस मामले में दो लोगों को अबतक गिरफ्तार किया गया है।
कुछ गांव वालों ने अकबर खान को गौ तस्कर होने के संदेह में पकड़ लिया और जमकर पिटाई की।
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