अमेरिका का 'सच से सामना': जनादेश को हवा में उड़ाकर ट्रंप ने कर दिया पद छोड़ने से इनकार तो फिर क्या होगा!

असल में ट्रंप ने जब से व्हाईट हाऊस में कदम रखा है, अमरीकियों को एक अनिश्चितता के माहौल में धकेल दिया है। वे एक ऐसे राष्ट्रपति साबित हुए जो सफेद झूठ बोलता है, फेक न्यूज से फलता-फूलता है, मीडिया का खुलकर मजाक उड़ाता है, और जिसने न्यायपालिका को अगवा कर रखा है।

फोटो : Getty Images
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ज़फ़र आग़ा

जैसा कि टाइम पत्रिका ने अपने ताजा अंक में लिखा है, अमेरिका का सच से सामना होने वाला है। दुनिया के सबसे पुरानी और सबसे मजबूत लोकतंत्र के लिए राष्ट्रपति का चुनाव आज पूरा हो जाएगा। लेकिन अभी तक जो संकेत मिल रहे हैं या अनुमान लगाए जा रहे हैं उससे तो यही लगता है कि मौजूदा राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की हार निश्चित है।

अभी तक हुए सभी चुनाव पूर्व सर्वे में डेमोक्रेट राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बिडेन की जीत के कयास लगाए गए हैं। लेकिन ट्रंप ने ऐलान कर दिया है कि जैसे ही चुनाव खत्म होगा वह वकीलों के पास पहुंच जाएंगे। पेन्सिल्वेनिया में यह ऐलान करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप खुद ही एक तरह से मान बैठे कि चुनाव में उनकी हार तय है। मतों से जीत की उम्मीद छोड़ चुके ट्रंप अब कानूनी विकल्पों पर माथापच्ची कर रहे हैं ताकि वे व्हाईट हाऊस में बने रह सकें। इसके लिए वे सुप्रीम कोर्ट में पहले ही कई सारे कंजरवेटिव जजों की नियुक्ति कर चुके हैं, उस आस में कि अगर चुनाव को चुनौती दी गई तो फैसला उनके हक में आए।

यही वह लम्हा है जब अमेरिका का सच से सामना होगा। ट्रंप किसी हाल हार मानने को तैयार नहीं दिखते। यह वह बात जो आजतक किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने करने के बारे में सोचा तक नहीं। अगर ऐसा होता है तो अमेरिकी लोकतंत्र एक गहरे संकट में होगा और पूरी अमेरिकी व्यवस्था ठप हो जाएगी। आशंका में जी रहे अमरीकियों ने पहले ही अपने राशन पानी के साथ ही हथियारों तक का इंतज़ाम कर लिया है। ऐसे में अमेरिका का चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा, इसका पूरी दुनिया सांस रोक कर इंतजार कर रही है।

इस बार के राष्ट्रपति चुनाव को जो बिडेन ने पहले दिन से ही अमेरिका की आत्मा का युद्ध घोषित कर दिया था। ऐसे में कोई अमेरिकी राष्ट्रपति खुद ही जनादेश को मानने से इनकार कर दे, तो पूरी लोकतांत्रिक व्यवस्था ही खोखली साबित हो जाएगी। अगर अमेरिका लोकतंत्र को ही मानने से इनकार कर देगा तो फिर उस फ्री वर्ल्ड यानी आजाद दुनिया का क्या होगा जो लोकतंत्र के इस प्रतीक को बड़ी उम्मीद और भरोसे से देखती है। फिलहाल किसी को नहीं पता है कि अगर ट्रंप ने जनादेश मानने से इनकार कर दिया और कानूनी रास्ता अपनाया तो क्या होगा।


ऐसे तमाम सवाल हैं जो अमेरिका को चुनाव के दिन परेशान कर रहे हैं जिनका कोई भी सीधा या सधा जवाब नहीं है। असल में ट्रंप ने जुलाई 2016 में जब से व्हाईट हाऊस में कदम रखा है, अमरीकियों को एक अनिश्चितता के माहौल में धकेल दिया है। वे एक ऐसे राष्ट्रपति साबित हुए जो सफेद झूठ बोलता है, फेक न्यूज से फलता-फूलता है, मीडिया का खुलकर मजाक उड़ाता है, न्यायपालिका को अगवा कर रखा है, कांग्रेस (संसद) पर अपने फैसले थोपता है, राजनीतिक विरोधियों के लिए अनाप-शनाप शब्दों का इस्तेमाल करता है, श्वेत रंगभेद को खुलकर बढ़ावा दा है और अश्वेतों की नस्लीय हत्या को जायज ठहराता है, जिसके नतीजे में ब्लैक लाइव्स मैटर जैसे आंदोलन खड़े होते हैं। वह एक ऐसे राष्ट्रपति साबित हुए जिसने बीते 4 साल में हर लोकतांत्रिक नियम की धज्जियां उड़ा दीं। कसम से बहुत बड़ी तादाद में अमेरिकी ट्रंप से बेहद नाराज हैं और चुनावी ट्रेंड की शुरुआत ही ट्रंप को व्हाईट हाउस से उठाकर बाहर फेंकना चाहते हैं।

टाइम पत्रिका ने अमेरिका की भावनाओं और माहौल को कुछ इस तरह सामने रखा है, “यह चुनाव ट्रंप पर केंद्रित है, कायदे कानून को ठेंगे पर रखने वाले उनके शासन पर केंद्रित है, और हमारे देश को नर्वस ब्रेकडाउन की दहलीज पर ले जाने शख्स पर केंद्रित है।” और अगर फिर से बिडेन के शब्दों को दोहराएं तो यह अमेरिका की आत्मा का युद्ध है। लेकिन दुर्भाग्य से संकेत ऐसे मिल रहे हैं कि ट्रंप अमेरिका की आत्मा को भी घायल करने पर आमादा हैं।


स्थिति यह है कि ट्रंप अमेरिका को एक अभूतपूर्व संकट में डालने वाले हैं जिससे हिंसा का माहौल बन सकता है। लोगों ने पहले ही हथियारों का जखीरा जमा कर लिया है, दुकानों ने अपनी सुरक्षा में घेराबंदी कर ली है ताकि उन्मादी भीड़ से इन्हें बचाया जा सके। ऐसे में अगर अमेरिका एक लंबे संकट में घिरता है तो फिर उसका विश्व के लिए क्या अर्थ होगा? इसे समझा जा सकता है।

लेकिन अगर एकमात्र सुपरपॉवर अपने ही संकट में घिरकर एक शून्य पैदा करेगी तो फिर चीन और रूस जैसे जरूर उस जगह पर कब्जा करने की कोशिश करेंगे। स्थापित विश्व व्यवस्था में भूचाल आ जाएगा जो एक अनजाने-अनदेखे संकट को बुलावा देगा। ऐसे में सांस रोक कर इंतजार कीजिए और दुआ कीजिए कि ट्रंप शांति से निपट जाएं।

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