अमेरिका की नई ट्रैवल पॉलिसी: ट्रंप प्रशासन ने 20 और देशों पर लगाई पाबंदी, 19 देशों पर पूरी तरह एंट्री बैन
ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका की ट्रैवल पॉलिसी सख्त करते हुए 20 और देशों को सूची में जोड़ा है, जिससे 19 देशों पर पूरी तरह यात्रा प्रतिबंध लागू हो गया है।

अमेरिका की ट्रैवल और इमिग्रेशन नीति में एक बार फिर बड़ा बदलाव देखने को मिला है। ट्रंप प्रशासन ने मंगलवार को यात्रा प्रतिबंधों का दायरा बढ़ाते हुए 20 और देशों को सूची में शामिल कर लिया है। इसके साथ ही अब कुल 40 देश किसी न किसी रूप में अमेरिकी यात्रा प्रतिबंधों के दायरे में आ गए हैं। नई सूची के मुताबिक, इनमें से 19 देशों के नागरिकों पर अमेरिका में प्रवेश पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है।
व्हाइट हाउस ने साफ किया है कि यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। नई पाबंदियां 1 जनवरी से लागू होंगी।
किन देशों पर पूरी तरह ट्रैवल बैन?
समाचार एजेंसी AFP के मुताबिक, जिन 19 देशों के नागरिकों को अमेरिका में प्रवेश की इजाजत नहीं दी जाएगी, उनमें शामिल हैं:
सीरिया
बुर्किना फासो
माली
नाइजर
साउथ सूडान
लाओस
सिएरा लियोन
म्यांमार
चाड
रिपब्लिक ऑफ कांगो
इक्वेटोरियल गिनी
हैती
इरिट्रिया
ईरान
लीबिया
सोमालिया
सूडान
यमन
अफगानिस्तान
इन देशों के नागरिकों के लिए अमेरिका की यात्रा पूरी तरह बंद कर दी गई है।
आंशिक प्रतिबंध वाले देशों की भी लंबी सूची
पूरी तरह बैन के अलावा, ट्रंप प्रशासन ने कई अन्य देशों पर आंशिक यात्रा प्रतिबंध भी लगाए हैं। इनमें खास तौर पर अफ्रीका और कैरेबियन क्षेत्र के देश शामिल हैं।
आंशिक प्रतिबंध झेलने वाले देशों में शामिल हैं:
नाइजीरिया
आइवरी कोस्ट
सेनेगल
दिलचस्प बात यह है कि सेनेगल उन देशों में शामिल है जो अगले साल अमेरिका, कनाडा और मैक्सिको में होने वाले फुटबॉल वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई कर चुके हैं।
इसके अलावा अफ्रीका और कैरेबियन के कई अन्य देश भी इस सूची में हैं:
अंगोला
एंटीगुआ और बारबुडा
बेनिन
डोमिनिका
गैबॉन
गाम्बिया
मलावी
मॉरिटानिया
तंजानिया
जाम्बिया
जिम्बाब्वे
अफ्रीका के बाहर, पोलिनेशियाई देश टोंगा को भी आंशिक प्रतिबंधों की सूची में रखा गया है।
व्हाइट हाउस ने क्या वजह बताई?
व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने एक घोषणा पत्र (प्रोक्लेमेशन) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका मकसद उन देशों के नागरिकों की एंट्री सीमित करना है, जहां स्क्रीनिंग, वेटिंग और जानकारी साझा करने की प्रक्रिया में गंभीर और लगातार खामियां पाई गई हैं।
बयान के मुताबिक, ये कदम अमेरिका को राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा से जुड़े खतरों से बचाने के लिए उठाए गए हैं।
फैसले के पीछे हालिया घटनाएं भी कारण
प्रशासन के अनुसार, हाल के महीनों में सामने आई कुछ घटनाओं ने इन प्रतिबंधों को और सख्त करने की जरूरत को उजागर किया। खास तौर पर थैंक्सगिविंग वीकेंड के दौरान दो नेशनल गार्ड सैनिकों पर हुई गोलीबारी के मामले में एक अफगान नागरिक की गिरफ्तारी के बाद सरकार ने संकेत दिए थे कि ट्रैवल बैन का दायरा बढ़ाया जा सकता है।
इससे पहले जून महीने में ट्रंप ने ऐलान किया था कि 12 देशों के नागरिकों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाएगा, जबकि सात अन्य देशों पर सीमित पाबंदियां लागू होंगी।
संस्कृति और संस्थानों की सुरक्षा का तर्क
प्रोक्लेमेशन में यह भी कहा गया है कि ट्रंप प्रशासन उन विदेशी नागरिकों की एंट्री रोकना चाहता है, जो अमेरिका की संस्कृति, सरकार, संस्थानों या उसके मूल सिद्धांतों को कमजोर या अस्थिर कर सकते हैं।
इसी कड़ी में सीरिया को भी प्रतिबंध सूची में रखा गया है। सीरियाई नागरिकों पर पाबंदी उस समय लगाई गई, जब वहां दो अमेरिकी सैनिकों और एक नागरिक की मौत हुई। हालांकि ट्रंप प्रशासन ने हाल के वर्षों में सीरिया को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिर से जोड़ने की कोशिशें भी की हैं।
सीरियाई अधिकारियों ने इस घटना के बारे में कहा है कि आरोपी सुरक्षा बलों का सदस्य था और उसे “अतिवादी इस्लामिक विचारों” के चलते बर्खास्त किया जाना था।
आलोचना भी तेज
इस फैसले के बाद ट्रंप प्रशासन की आलोचना भी तेज हो गई है। आलोचकों का कहना है कि यह नीति कई देशों के आम नागरिकों को सामूहिक रूप से सजा देने जैसी है और इससे उन लोगों की अमेरिका यात्रा रुक जाएगी, जिनका किसी तरह की हिंसा या सुरक्षा खतरे से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि प्रशासन का रुख साफ है कि सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
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