अमृतसर में रेल रोको आंदोलन कर रहे किसानों ने ठुकराया केंद्र का प्रस्ताव, कहा- बातचीत के लिए नहीं जाएंगे दिल्ली

किसान मजदूर संघर्ष समिति ने बताया कि हमें केंद्रीय कृषि मंत्री ने फोन किया है। उनकी तरफ से एक मेल भी आया है। हमें 8 अक्टूबर को बैठक के लिए दिल्ली आने के लिए कहा है। हम किसी भी बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे, क्योंकि सरकार गंभीर नहीं है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

पंजाब के अमृतसर के देविदासपुर गांव में कृषि कानूनों के खिलाफ किसान मजदूर संघर्ष समिति का ‘रेल रोको’ आंदोलन पिछले 14 दिनों से जारी है। कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग करते हुए किसान रेलवे ट्रैक पर डंटे हुए हैं। इस बीच किसान मजदूर संघर्ष समिति ने मोदी सरकार के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है, जिसमें उन्हें दिल्ली बुलाकर बात किए जाने की बात कही गई है।

इस संबंध में किसान मजदूर संघर्ष समिति के राज्य सचिव सरवन सिंह पंढेर का बयान आया है। उन्होंने बताया, “हमें केंद्रीय कृषि मंत्री ने फोन किया है। उनकी तरफ से एक मेल भी आया है। हमें 8 अक्टूबर को बैठक के लिए दिल्ली आने के लिए कहा है। हमने तय किया है कि हम किसी भी बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे, क्योंकि सरकार गंभीर नहीं है।”

गौरतलब है कि संसद से कृषि बिलों के पास होने के बाद से किसान मजदूर संघर्ष समिति अमृतसर में ‘रेल रोको’ आंदोलन कर रहा है। किसान मजदूर संघर्ष समिति के साथ बड़ी संख्या में किसान रेलवे ट्रेक पर अड़े हुए हैं। इनकी सीधी मांग यह है कि केंद्र सरकार संसद से पास किए गए तीनों कृषि कानूनों को वापस ले।


उधर, मोदी सरकार अपने फैसले पर अड़ी हुई है। यहां तक कि इस मुद्दे पर अकाली दल ने बीजेपी का साथ साथ छोड़ दिया। उसने खुद को एनडीए से अलग कर लिया। बावजदू इसके केंद्र इन तीनों कृषि कानूनों पर सरकार विचार करने को तैयार नहीं है। कृषि कानूनों पर विचार करने के बाजय मोदी सरकार के मंत्री और बीजेपी नेता कृषि कानूनों को लेकर सरकार का बचाव कर रहे हैं और इस मुद्दे पर किसानों को समझाने में जुटे हुए हैं, लेकिन किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। पंजाब समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में कृषि कानूनों के खिलाफ किसान सड़क पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं।

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