किसकी चलेगी दिल्ली में, एलजी की या केजरीवाल की, सुप्रीम कोर्ट आज सुना सकता है फैसला

दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच जारी अधिकारों की जंग पर आज सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के अधिकारों को परिभाषित करने के लिए दायर दिल्ली सरकार की याचिका पर पिछले साल दिसंबर में फैसला सुरक्षित रख लिया था।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

दिल्ली में किसकी चलेगी? चुनी हुई सरकार की या फिर केंद्र द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल की? इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट आज (बुधवार 4 जुलाई) को फैसला सुना सकता है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि उपराज्यपाव ही दिल्ली के प्रशासनिक मुखिया हैं और कोई भी फैसला उनकी मंजूरी के बिना नहीं लिया जाए।

केजरीवाल की तरफ से दायर दिल्ली सरकार की अर्जी पर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने पिछले साल इस मामले में नवंबर से सुनवाई शुरु की थी। 15 सुनवाई के बाद 6 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान दिल्ली की आप सरकार की तरफ से पी चिदंबरम, गोपाल सुब्रह्मण्यम, राजीव धवन और इंदिरा जयसिंह जैसे नामी वकीलों ने दलीलें रखीं। एक सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था, ''चुनी हुई सरकार के पास कुछ शक्तियां होनी चाहिए, नहीं तो वह काम नहीं कर पाएगी।'' वहीं, केंद्र और उपराज्यपाल की ओर से दलील दी गई थी कि दिल्ली एक राज्य नहीं है, इसलिए उपराज्यपाल को यहां विशेष अधिकार मिले हैं।

गौरतलब है कि बीते तीन साल से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल के बीच जंग जारी है। फरवरी 2015 में पूर्ण बहुमत के साथ दोबारा सत्ता में आने के बाद से ही सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों को लेकर विवाद होता रहा है।

शुरु में तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग ने जब सरकार द्वारा की गई नियुक्तियां रद्द कर दी थीं, तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उन्हें केंद्र सरकार का एजेंट बताया था। इसके बाद उन्होंने जंग की तुलना तानाशाह हिटलर तक से की। दिसंबर, 2016 में अनिल बैजल के दिल्ली का उपराज्यपाल बनने के बाद से अब तक अधिकारों की लड़ाई जारी है। मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट के बाद अधिकारियों की हड़ताल और घर-घर राशन पहुंचाने की योजना को मंजूरी नहीं देने पर भी विवाद रहा। इसे लेकर पिछले दिनों केजरीवाल ने 3 मंत्रियों के साथ 9 दिन तक उपराज्यपाल सचिवालय में धरना और भूख हड़ताल की थी।

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