PSA लगाने पर दलील: उमर अब्दुल्ला को बताया ‘भीड़ को गुमराह’ करने वाला तो महबूबा मुफ्ती को कहा ‘कोटा रानी’

जम्‍मू कश्‍मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती के खिलाफ जो पीएसए लगाने के लिए जो आरोप लगाए गए हैं उनमें उनकी वोट हासिल करने की क्षमता, लोगों के बरगलाने का जिक्र किया गया है। वहीं, खतरनाक साजिश रचने की क्षमता के कारण महबूबा मुफ्ती को ‘डैडी गर्ल’ और ‘कोटा रानी’ कहा गया है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

जम्‍मू-कश्‍मीर के पूर्व मुख्‍यमंत्री उमर अब्‍दुल्‍ला और महबूबा मुफ्ती धारा-370 हटाए जाने के बाद 5 अगस्‍त से नरबंद रखा गया है। नजरबंदी की अवधि खत्‍म होने से कुछ घंटे पहले ही 6 फरवरी को दोनों पूर्व सीएम पर जन सुरक्षा कानून (पीएसए) लगा दिया गया। उनके ऊपर पीएसए लगाए जाने के जो कारण गिनाए गए हैं वे बेहद दिलचस्प हैं।

पुलिस के डोजियर के मुताबिक, नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्‍दुल्‍ला आतंकवाद के चरम पर होने के दौर में अपने समर्थकों को बड़ी संख्‍या में मतदान के लिए प्रोत्‍साहित कर लेते थे। यही नहीं उनके कहने पर लोग चुनाव का बहिष्‍कार होने के बाद भी मतदान करने निकल पड़ते थे। इससे साफ है कि वह लोगों को बरगलाकर किसी भी कारण के लिए एकजुट कर सड़क पर उतार सकते हैं। डोजियर में अब्दुल्ला पर लोगों को हिंसा के लिए भड़काने का आरोप लगाया गया है। आगे कहा गया है कि मुख्यधारा का नेता होने के बावजूद यह शख्स राजनीति की आड़ में भारत सरकार के खिलाफ काम कर रहा था। और जनता का समर्थन होने के चलते वह इन सब गतिविधियों को सफल करने में सफल हो जाता।


जबकि महबूबा मुफ्ती के लिए ‘डैडी की लड़की’ और ‘कोटा रानी’ कह कर बुलाया गया है जो अपने नाम और स्वभाव का खतरनाक कामों और कपटी षड्यंत्रों के लिए इस्तेमाल करती है। ये उन तमाम कारणों में से कुछ कारण हैं जिनके चलते जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने उनके खिलाफ पीएसए यानी पीपुल्स सैफ्टी एक्ट का इस्तेमाल किया है।

महबूबा मुफ्ती के बारे में यह भी कहा गया है कि वो अलगावाद को बढ़ावा दे रही थी। जैसा कि खुफिया एजेंसियों की कई रिपोर्टों ने भी इस बात की पुष्टि की है। उनका यह प्रोफाइल कश्मीर में मध्ययुग की रानी से मेल खाता है जिसने षड्यंत्र करके गद्दी हासिल की थी। जिसमें अपने विरोधियों को जहर देकर उन्हें मौत के घाट उतार देने तक की कार्रवाइयां शामिल थीं।


डोजियर में बताया गया है कि पीडीपी के झंडे का हरा रंग उसके रेडिकल उत्पत्ति की तरफ इशारा करता है। यहां तक कि उसके चुनाव चिन्ह कलम और दवात तक को कठघरे में खड़ा कर दिया गया है। उसे मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट से उधार लिया गया बताया गया है। यह फ्रंट जमात-ए-इस्लामी समेत कई दलों का मोर्चा था जिसने 1987 के चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन के खिलाफ चुनाव लड़ा था।

वहीं प्रियंका गांधी ने कहा कि महबूबा मुफ्ती कब से ‘डैडी की लड़की’ रही है और लोगों को वोट देने के लिए प्रोत्साहित करना राष्ट्र के खिलाफ अपराध बन गया है? मुझे दोनों पर गर्व है। यह स्पष्ट है कि सरकार के पास चार्ज करने का कोई आधार नहीं है। उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को मुक्त किया जाना चाहिए।

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Published: 10 Feb 2020, 3:14 PM