उत्तर प्रदेश में पूर्व सैनिक पर पुलिस अत्याचार, विरोध में बरेली में सेना के दिग्गजों ने शुरू किया प्रदर्शन

करीब 18 साल तक सेना में सेवा देने वाले रेशम सिंह ने आरोप लगाया है कि सेना के अस्पताल की मेडिकल रिपोर्ट में हमले की पुष्टि होने के बावजूद पुलिस ने कई धाराएं नहीं जोड़ीं। हमने अपने विरोध के बारे में आईजी को सूचित किया था, पर उन्होंने भी कोई कार्रवाई नहीं की।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में 3 मई को एक पुलिस थाने में कथित रूप से पीटे जाने और घंटों प्रताड़ित करने का आरोप लगाने वाले 41 वर्षीय सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी रेशम सिंह ने अब बरेली के दामोदर पार्क में सेना के कई दिग्गजों के साथ अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है।

करीब 18 साल तक सेना में सेवा देने वाले रेशम सिंह ने आरोप लगाया है कि पीलीभीत पुलिस ने उनके मामले में घटिया जांच की और आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं की, जिन्होंने उन्हें कथित तौर पर प्रताड़ित किया। सिंह ने कहा, "सेना के अस्पताल की मेडिकल रिपोर्ट में हमले की पुष्टि होने के बावजूद पुलिस ने और धाराएं नहीं जोड़ीं। हमने अपने विरोध के बारे में आईजी को सूचित किया था लेकिन उन्होंने भी कोई कार्रवाई नहीं की।"

वहीं इस घटना का कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद आरोपी पुलिस वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने में पांच दिन लग गए, जिसमें 8 पुलिसकर्मियों- छह कांस्टेबल और दो सब इंस्पेक्टर (एसआई) को स्वेच्छा से चोट पहुंचाने, गलत तरीके से कैद करने और जानबूझकर अपमान करने के लिए नामजद किया गया है। पीलीभीत के एसएसपी ने प्रारंभिक जांच के बाद दो एसआई को निलंबित कर दिया और सर्कल अधिकारी पूरनपुर, लल्लन सिंह के खिलाफ जांच का आदेश दे दिया है, जिनके अधिकार क्षेत्र में यह घटना हुई थी।


वहीं इस घटना को लेकर सतीश चंद्र मिश्रा के नेतृत्व में सेना के दिग्गजों के एक समूह ने मुख्यमंत्री और अतिरिक्त डीजीपी, बरेली अंचल, अविनाश चंद्र को संबोधित एक ज्ञापन दिया, जिसमें पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई और रेशम सिंह के खिलाफ आरोप वापस लेने की मांग की गई थी। उनकी वकील सुनीता गंगवार ने कहा, 'जब तक न्याय नहीं मिलता तब तक विरोध जारी रहेगा।'

इस मामले पर अतिरिक्त डीजीपी अविनाश चंद्र ने कहा, "रेशम सिंह के प्रतिनिधियों ने मुझसे मुलाकात की और इस मामले में मैजिस्ट्रियल जांच की मांग की। मैंने उनसे कहा कि जिला मैजिस्ट्रेट या आयुक्त द्वारा इसका आदेश दिया जा सकता है और मैं उनकी जांच किसी भी क्षेत्र के जिला पुलिस को स्थानांतरित कर सकता हूं। मैंने उन्हें आश्वासन दिया है कि दोनों मामलों में जांच पारदर्शी होगी।" चंद्रा ने कहा, "हम अस्पताल से रिपोर्ट की पुष्टि करने और डॉक्टर के बयान दर्ज करने के बाद मेडिकल रिपोर्ट को जांच में शामिल कर सकते हैं।"

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