युद्ध के बादल छंटने के साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में पटरी पर लौट रही जिंदगी, गांव वापस लौटने लगे लोग
जम्मू कश्मीर की लगती सीमा पर रहने वाले लोग इस संघर्ष से बुरी तरह प्रभावित हुए। बारामूला, बांदीपोरा और कुपवाड़ा जिलों में नियंत्रण रेखा के पास के गांवों के 1.25 लाख से अधिक निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था।

भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के बादल छंटने के बीच सीमावर्ती इलाकों में जिंदगी फिर से पटरी पर लौटने लगी है। पाकिस्तानी सेना द्वारा भारी गोलाबारी और ड्रोन से हमले किये जाने की वजह से जम्मू-कश्मीर, पंजाब और राजस्थान में नियंत्रण रेखा और सीमा के निकट गांवों में रहने वाले जो लोग पलायन को मजबूर हुए थे, वे सोमवार को अपने घर लौटने लगे। अधिकारियों ने बताया कि बम निरोधक दस्तों द्वारा रिहायशी इलाकों से बचे हुए या नहीं फटे गोलों को हटाने के बाद ग्रामीण अपने घर लौट रहे हैं।
उरी के कमलकोट क्षेत्र के निवासी अरशद अहमद ने कहा, ‘‘हमें खुशी है कि दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम हो गया है। हमें यह भी उम्मीद है कि पाकिस्तान दोबारा ऐसी हरकतें नहीं करेगा।’’ उरी के विधायक सज्जाद शफी ने सीमावर्ती इलाकों के गांवों के निवासियों से सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध वस्तु को नहीं छूने को कहा।
विधायक ने कहा, ‘‘उन्हें किसी भी संदिग्ध वस्तु के बारे में तुरंत अधिकारियों को सूचित करना चाहिए ताकि उसका उचित तरीके से निपटान किया जा सके।’’ जम्मू-कश्मीर में अधिकारियों ने रविवार को सीमावर्ती गांवों के निवासियों से कहा कि वे जल्दबाजी में वापस न लौटें, क्योंकि रिहायशी इलाकों की अब तक तलाशी नहीं ली गई है और वहां सीमा पार से आए गोला-बारूद को हटाया नहीं गया है।
पंजाब के कुछ जिलों में सोमवार को भी स्कूल बंद रहे। पाकिस्तान की सीमा से सटे फिरोजपुर, फाजिल्का, पठानकोट, अमृतसर, तरनतारन और गुरदासपुर जिलों में सोमवार को स्कूल बंद रहे। पठानकोट और गुरदासपुर में कॉलेज और विश्वविद्यालय भी बंद रहे। हालांकि सीमावर्ती गांवोंं में लोग अपने घरों को लौटने लगे हैं। पंजाब की 553 किलोमीटर लंबी सीमा पाकिस्तान के साथ लगती है।
पाकिस्तान ने विशेष रूप से पठानकोट को निशाना बनाकर कई ड्रोन हमले किए, लेकिन भारतीय सुरक्षा बलों ने उन्हें विफल कर दिया। फिरोजपुर में सुरक्षित स्थानों पर चले गए ग्रामीण अपने गांवों को लौट रहे हैं। सीमावर्ती जल्लो के गांव के निवासी दलेर सिंह ने बताया कि आस-पास के इलाकों के ज्यादातर लोग अपना घर छोड़कर चले गए थे। उन्होंने कहा, ‘‘अब उनमें से ज्यादातर वापस आ गए हैं, लेकिन वे सतर्क हैं। कुल मिलाकर, जीवन सामान्य है और हम अपने खेतों में वापस जा रहे हैं।’’ फिरोजपुर के एक निवासी ने कहा, ‘‘स्थिति अब सामान्य है। हम आशा करते हैं कि संघर्ष विराम कायम रहेगा और शांति बनी रहेगी।’’
राजस्थान में रविवार रात सीमावर्ती जिलों में पूरी तरह ‘ब्लैकआउट’ रहा था। राजस्थान के सीमावर्ती जिलों में सोमवार सुबह तक सामान्य स्थिति का अहसास होने लगा और लोग चाय दुकानों पर एकत्र होकर हंसी-मजाक करते दिखे। जैसलमेर के स्थानीय निवासी जालम सिंह ने कहा, ‘‘अब हालात सामान्य होते दिख रहे हैं। पिछली रात शांति बनी रही।’’
जम्मू कश्मीर की लगती सीमा पर रहने वाले लोग इस संघर्ष से बुरी तरह प्रभावित हुए। बारामूला, बांदीपोरा और कुपवाड़ा जिलों में नियंत्रण रेखा के पास के गांवों के 1.25 लाख से अधिक निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था। पाकिस्तानी गोलाबारी में उनके घरों को निशाना बनाए जाने का बहुत अधिक खतरा था, इसलिए इन लोगों को यहां से हटाया गया था।
कश्मीर पुलिस ने रविवार को एक परामर्श में बताया, “सीमावर्ती गांवों में वापस न लौटें। पाकिस्तानी गोलाबारी के बाद अज्ञात गोला-बारूद के बिखरे होने के कारण जान को खतरा हो सकता है।” पुलिस ने बताया, “केवल 2023 में नियंत्रण रेखा के पास बचे हुए गोले के विस्फोटों में 41 लोगों की जान चली गई थी।” बुधवार से अब तक कुल 25 लोगों की मौत हुई, जिनमें से 18 पुंछ जिले में हुईं, पचास लोग भी घायल हुए हैं।
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