विधानसभा चुनाव: बिहार की एक ऐसी सीट, जहां जनता ने अक्सर बदलाव को दी तवज्जो
राजनीतिक इतिहास को देखा जाए तो आरजेडी और जेडीयू के बीच टक्कर रही है। 2015 में यह सीट आरजेडी को मिली, लेकिन 2019 के उपचुनाव में जेडीयू के कौशल यादव विजयी हुए। सिर्फ यही नहीं, एक साल बाद 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में नवादा की जनता ने फिर से आरजेडी के खाते में यह सीट डाली।

नवादा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र बिहार के 243 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। यह नवादा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का एक हिस्सा है। नवादा प्रकृति की गोद में बसा हुआ है। यह खुरी नदी के दोनों किनारों पर स्थित है, जो झारखंड की सीमा से लगता है।
नवादा की राजनीति बड़ी दिलचस्प रही है। जनता ने अक्सर बदलाव को तवज्जो दी है, चाहे वह राजनीतिक दल हों या नेता हों। इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि 1952 में स्थापित नवादा विधानसभा क्षेत्र में अब तक हुए 19 चुनावों में कांग्रेस 6 बार जीत पाई। उसे आखिरी जीत 1985 में मिली। इसके बाद 1990 में बीजेपी को पहली और आखिरी बार विजय प्राप्त हुई। हालांकि, भारतीय जनसंघ के तौर पर 1962 और 1969 के दो चुनावों में जीत मिली थी।
पिछले 25 साल के राजनीतिक इतिहास को देखा जाए तो यहां आरजेडी और जेडीयू के बीच टक्कर रही है। 2015 में यह सीट आरजेडी को मिली, लेकिन 2019 के उपचुनाव में जेडीयू के कौशल यादव विजयी हुए। सिर्फ यही नहीं, एक साल बाद 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में नवादा की जनता ने फिर से आरजेडी के खाते में यह सीट डाली।
दिलचस्प यह भी है कि 2020 में आरजेडी के टिकट पर जीतने वाली विभा देवी इस बार जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं, जबकि 2019 में जेडीयू प्रत्याशी के तौर पर उपचुनाव जीतने वाले कौशल यादव को इस बार आरजेडी ने अपना उम्मीदवार बनाया है। नवादा में इस बार कुल 12 उम्मीदवार मैदान में हैं।
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