निर्मला का डॉलर-रुपए वाला बयान 'खरबूजे-छुरी के रिश्ते जैसा', लेकिन वित्तमंत्री ने आखिर मान तो लिया गिरावट को

रुपया गिरा या डॉलर उछला, बहस होती रहे, लेकिन कम से कम सरकार ने सार्वजनिक तौर पर मान तो लिया है कि समस्या है और इसका असर पड़ रहा है।

इस साल योग दिवस पर दिल्ली के जंतर-मंतर पर योग करतीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फोटो - गेटी इमेजेज़)
इस साल योग दिवस पर दिल्ली के जंतर-मंतर पर योग करतीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फोटो - गेटी इमेजेज़)
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आदित्य आनंद

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जब अमेरिका की धरती पर यह बयान दिया कि दरअसल रुपया कमजोर नहीं हो रहा है, बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है, तो उनके इस बयान की जहां राजनीतिक हल्कों में आलोचना हुई, वहीं सोशल मीडिया में उनका खूब मजाक भी उड़ा। सोशल मीडिया पर लोगों का मानना है कि भले ही सीतारमण ने ऐसा बयान दिया है, लेकिन कम से कम सरकार ने इतना तो मान ही लिया है कि रुपया के मुकाबले डॉलर मजबूत हुआ है। बताते चलें कि इस साल रुपए में करीब 8 फीसद की गिरावट दर्ज हुई है।

अंतरराष्ट्री मुद्रा कोष और विश्व बैंक की बैठक में हिस्सा लेने अमेरिका गईं निर्मला सीतारमण ने एक सवाल के जवाब में शनिवार को कहा था कि, "मैं इसे ऐसे नहीं देखती कि रुपया गिर रहा है, बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है। ऐसे ही अन्य मुद्राएं भी मजबूत होते डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रही हैं।“ उन्होंने दावा किया कि रुपए की कीमत को लेकर आरबीआई ने कोई दखल नहीं दिया है,लेकिन इसकी कीमत में उतार-चढ़ाव को लेकर और इसे रोकने को लेकर चिंतित जरूर है।

वित्तमंत्री के इस बयान की जमकर आलोचना हुई। सोशल मीडिया पर जैसे मीम की बाढ़ सी आ गई। विपक्षी नेताओं ने तो जैसे उन्हें निशाने पर ही ले लिया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि सरकार की अक्षमता और खराब नीतियों की कीमत आम लोग चुका रहे हैं। उन्होंने कहा कि आखिर कब तक आरएसएस-बीजेपी  देश के लोगों को धोखा देते रहेंगे।’

इंटरनेट पर जो सबसे लोकप्रिय मीम रहे उसमें दो मुख्य थे। एक तो वह जिसमें कहा गया कि विमान क्रैश नहीं हुआ है, बल्कि उसे धरती के गुरुत्वाकर्षण ने अपनी तरफ खींच लिया है, और दूसरा यह कि हम मैच नहीं हारे, बल्कि हमारे प्रतिस्पर्धी जीत गए।

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि सिर्फ वित्तमंत्री ही इस बात को समझा सकती हैं कि उनके इस नए सिद्धांत का अर्थ क्या है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीते 11 महीनों में रुपया लगातार गिरा है क्योंकि विदेशी निवेशकों को अब भारत की नीतियों पर भरोसा नहीं रह गया है। उन्होंने कहा, “अब रुपया 83 के आसपास है और ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी इस बारे में तभी  कुछ करेंगे जब यह 100 का आंकड़ा छू लेगा।”


सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि चूंकि भारत का 86 फीसदी व्यापार डॉलर में होता है, ऐसे में कमजोर होते रुपए का सीधा असर अर्थव्यवस्था, व्यापार और आयात पर पड़ेगा। उन्होंने कहा, “लेकिन वित्तमंत्री को इसकी कोई चिंता नहीं है। उन्होंने तो रुपए की कमजोरी का एक नया जुमला सामने रख दिया है। इसी तरह जैसे रुपया कमजोर नहीं हो रहा है, उसी तरह कोई बेरोजगारी नहीं है, कीमतें नहीं बढ़ रही हैं...”

कुछ अन्य नेताओं ने तो सीतारमण के रुपए को लेकर दिए गए बयान की तुलना उस बयान से भी की जब उन्होंने प्याज की कीमतों पर चर्चा के दौरान कहा था कि ‘मैं प्याज नहीं खाती हूं...’

लेकिन इस दौरान आरबीआई रुपए में जारी गिरावट को काबू करने के लिए कुछ कदम उठाती नजर आई है। हाल में अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा उठाए गए कदमों के बाद से कई देशों की मुद्राओं में कमजोरी दर्ज हुई है। अमेरिकी बैंक ने ब्याज दरें बढ़ाई हैं ताकि महंगाई को रोका जा सके। वैसे बतादें कि सोमवार को कच्चे तेल की कीमतों में नर्मी के बीच रुपए के मुकाबले एक डॉलर की कीमत 82.20 दर्ज हुई ।

ब्रिकवर्क रेटिंग्स के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर प्रोफेसर एम गोविंद राव का कहना है कि दरअसल वित्त मंत्री जो कह रही हैं उसका अर्थ शायद यह है कि दुनिया  भर में डॉलर के मुकाबले अन्य मुद्राएं कमजोर हो रही हैं। प्रोफेसर राव 14वें वित्त आयोग के सदस्य और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनांस एंड पॉलिसी के पूर्व निदेशक भी हैं।

उन्होंने कहा, “मुद्दा यही है कि डॉलर मजबूत हो रहा है। दूसरे शब्दों में कहें तो पूरी दुनिया में अन्य मुद्राएं कमजोर हुई है और भारत इससे अछूता नहीं है। दूसरे देशों में भी समस्याएं है, फिर भी भारत पर इसका कम असर हुआ है।” उन्होंने कहा कि अन्य मुद्राओं के मुकाबले रुपए में गिरावट नहीं आई है, सिर्फ डॉलर के ही मुकाबले इसमें गिरावट दर्ज की गई है।

प्रोफेसर राव ने कहा कि शायद इसके विपरीत प्रभावों को सीतारमण स्वीकार कर रही थीं। उन्होंने कहा, “मुद्रा में कमजोरी से किसी भी देश की मुद्रा का मूल्य गिरता है। इससे आयात पर असर पड़ता है, और चीजें महंगी होती है। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा कि खरबूजा गिरे छुरी पर या छुरी गिरे खरबूजे पर। नतीजा एक ही है कि कटना खरबूजे को ही है...”

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