कृषि कानूनों के खिलाफ अवार्ड वापसी शुरू, बादल-ढींढसा ने लौटाया पद्म सम्मान, कई खिलाड़ी भी करेंगे पदक वापस

कृषि कानूनों के खिलाफ सरकार पर दबाव बनाने के लिए अब अवार्ड वापसी शुरू हो गई है। इसकी पहल करते हुए पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने अपना पद्म विभूषण और अकाली नेता रहे सुखदेव सिंह ढींढसा ने अपना पद्म भूषण सम्मान लौटाने का ऐलान किया है।

फोटोः सोशल मीडिया
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आसिफ एस खान

मोदी सरकार के विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ देश में जारी किसानों का आंदोलन तीव्र होता जा रहा है। किसानों के समर्थन में सरकार पर दबाव बनाने के लिए विभिन्न क्षेत्र के सम्मानित लोगों की तरफ से अवार्ड वापसी शुरू हो गई है। इसकी पहल करते हुए आज पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और अकाली दल के वरिष्ठ नेता प्रकाश सिंह बादल ने अपना पद्म विभूषण सम्मान लौटाने का ऐलान कर दिया है।

प्रकाश सिंह बादल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर कृषि कानूनों के विरोध में सम्मान वापस करने का ऐलान किया है। पत्र में उन्होंने कृषि कानूनों का विरोध करने के साथ ही इसका विरोध कर रहे किसानों पर की गई कार्रवाई की निंदा करते हुए अपना सम्मान वापस करने का ऐलान किया है। बादल ने कहा कि मैं इतना गरीब हूं कि किसानों के लिए कुर्बान करने के लिए मेरे पास और कुछ नहीं है। आज मैं जो कुछ भी हूं, किसानों की वजह से हूं। ऐसे में किसानों के अपमान के बीच किसी तरह का सम्मान रखने का कोई लाभ नहीं है।

प्रकाश सिंह बादल के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और शिरोमणि अकाली दल (डेमोक्रेटिक) के प्रमुख राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा ने भी किसानों के समर्थन में अपना पद्म भूषण सम्मान सरकार को लौटाने का ऐलान किया है। पूर्व अकाली दल के नेता ढींडसा को मार्च 2019 में राष्ट्रपति द्वारा पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। उन्होंने कहा कि वह कृषि कानूनों के विरोध में अपना अवॉर्ड लौटा रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को नजरअंदाज किया जाता है, इसलिए यह अवॉर्ड बेकार है।

इनके अलावा पंजाब के कई खिलाड़ियों ने भी किसानों के आंदोलन के समर्थन में अपने पदक लौटाने की बात कही है। कई हॉकी, कबड्डी और कुश्ती खिलाड़ियों ने कृषि कानूनों के खिलाफ खेलों में प्रदर्शन के लिए सरकार से मिले पदक और सम्मान लौटाने का ऐलान किया है। आने वाले दिनों में कई खिलाड़ियों और विभिन्न क्षेत्र के दिग्गजों द्वारा किसानों के समर्थन में अवार्ड वापसी की इस मुहिम में शामिल होने की संभावना है।

बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले दो महीने से पंजाब के किसान सड़कों पर हैं। बात नहीं सुने जाने पर पिछले 26 नवंबर को किसानों ने दिल्ली कूच कर दिया और तब से दिल्ली-एनसीआर के इलाकों में बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों को मनाने के लिए सरकार चार दिन के बाद राजी हुई, जिसमें कोई बात नहीं बनी। अब आज फिर किसानों और सरकार के बीच चौथे दौर की बातचीत हुई, लेकिन कोई बात नहीं बन सकी है।

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