अयोध्या विवादः सुनवाई टलने से नाराज अदित्यनाथ का सुप्रीम कोर्ट पर वार, ‘न्याय मिलने में देरी, अन्याय के समान’

सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या मामले की सुनवाई जनवरी 2019 तक टालने पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि न्याय में देरी, अन्याय के समान है। उन्होंने राम मंदिर पर अध्यादेश की ओर संकेत करते हुए कहा कि सहमति से समाधान नहीं होने पर और भी रास्ते हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

आगामी लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे बाबरी मस्जिद-राममंदिर विवाद फिर से सरगर्म होता दिख रहा है। 29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले की सुनवाई जनवरी 2019 तक स्थगित करने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निराशा जताया है। उन्होंन कहा कि देश का बहुसंख्यक समुदाय रामजन्म भूमि विवाद मामले पर सर्वोच्च न्यायालय के जल्द फैसले की रहा देख रहा है। उन्होंने कहा कि न्याय मिलने में देरी अन्याय के समान है। आदित्यनाथ ने ट्वीट कर कहा, "समय पर मिला न्याय, उत्तम न्याय माना जाता है लेकिन न्याय में देरी कभी-कभी अन्याय के समान हो जाती है।" साथ ही उन्होंने इस मुद्दे पर सरकार द्वारा अध्यादेश लाने की खबरों पर कहा कि यह मामला विचाराधीन है लेकिन उनका मानना है कि सभी विकल्पों पर विचार किया जाना चाहिए।

आदित्यनाथ ने कहा कि सहमति से मुद्दे का समाधान नहीं होने पर इस विवाद के हल के और भी रास्ते हैं। हालांकि, उन्होंने ये भी जोड़ा कि अभी ये मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है और राम मंदिर के निर्माण को लेकर सरकार की मंशा अध्यादेश लाने की नहीं है। उन्होंन कहा कि देश में शांति और सौहार्द के लिए, व्यापक आस्था का सम्मान करते हुए जो भी विकल्प हो सकते हैं उन पर विचार होना चाहिए। आदित्यनाथ ने इस मसले पर संविधान से बंधे होने का हवाला देते हुए कहा, "देश की न्यायपालिका के प्रति सबका सम्मान है। हम भी संवैधानिक बाध्यताओं से बंधे हैं। लेकिन अगर न्याय में देरी होती है तो लोगों को निराशा होती है। माननीय न्यायालय इसका सामाधान निकाले।"

सीएम आदित्यनाथ ने कहा कि इस मामले की सुनवाई जल्द से जल्द हो और अच्छा होता कि कोर्ट इस मामले पर जल्द सुनवाई कर शांति और सौहार्द के लिए त्वरित फैसला कर देता। सुनवाई के स्थगित होने पर संत समुदाय के बीच बढ़ते अंसतोष और उनकी प्रतिक्रियाओं पर उन्होंने कहा कि संतों को पूरे धैर्य के साथ इस दिशा में होने वाले सभी सार्थक प्रयासों में सहभागी बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि अंतरिम परिवर्तन के दौर में संतों को देश में शांति और सद्धभाव को मजबूत करने के सकरात्मक प्रयासों को तेज करना चाहिए।

न्यायालय के फैसले के बाद किसी भी स्थिति से निपटने के सवाल पर आदित्यनाथ ने स्वीकार किया कि शांति-व्यवस्था स्थापित करना उनकी सरकार जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, "श्री राम जन्मभूमि, उत्तर प्रदेश के अयोध्या में है। कानून व्यवस्था का दायित्व हमारे ऊपर है और हम इसे निभाएंगे। अगर आपसी सहयोग से काम हो जाए तो सबसे बेहतर होगा।"

बता दें कि इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के सुनवाई स्थगित करने पर उनकी सरकार में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी इसी तरह की टिप्पणी की थी। मौर्य ने कहा था कि कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई में देरी से 'गलत संकेत' जा रहे हैं। वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा था कि अब हिंदुओं का सब्र टूट रहा है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “मुझे भय है कि सब्र टूटा तो क्या होगा। अब ‘हिंदुओं का सब्र टूट’ रहा है।”

गौरतलब है कि अगले महीने देश के 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और अगले साल देश में आम चुनाव होना है। ऐसे में बीजेपी नेताओं और बीजेपी सरकारों के मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों के बयान को सांप्रपदायिक राजनीतिक से प्रेरित देखा जा रहा है। इसके साथ ही इन बयानों को चुनाव से पहले मुद्दे को जल्दी से निपटाने के लिए न्यायापालिक पर दबाव के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है।

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Published: 30 Oct 2018, 9:13 PM