अयोध्या विवाद: रामलला के वकील बोले, भगवान की मूर्ति थी विराजमान, सिर्फ नमाज पढ़ने से जमीन मस्जिद की नहीं हो जाती

अयोध्या जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई जारी है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि सिर्फ नमाज अदा करने से वह जगह उनकी नहीं हो सकती जब तक वह आपकी संपत्ति न हो। नमाज सड़कों पर भी होती है इसका मतलब यह नहीं कि सड़क आपकी हो गई।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

अयोध्या जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई जारी है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने आज अपना पक्ष रखा। वैद्यनाथन ने अपनी दलीलें रखते हुए खुदाई के दौरान मिले अवशेषों पर आधारित रिपोर्ट दिखाई और दावा किया कि वहां भगवान राम की मूर्ति विराजमान थी। बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। इस संवैधानिक पीठ में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नजीर भी शामिल हैं।

वैद्यनाथन ने विवादित जमीन के नक्शे और फोटोज कोर्ट को दिखाते हुए कहा कि खुदाई के दौरान मिले खम्भों में श्रीकृष्ण, शिव तांडव और श्रीराम के बाल रूप की तस्वीर नजर आती है। नक्शा और रिपोर्ट दिखाते हुए। वैद्यनाथन ने कहा कि पक्के निर्माण में जहां तीन गुम्बद बनाए गए थे, वहां बाल रूप में राम की मूर्ति थी।


उन्होंने आगे कहा कि सिर्फ नमाज अदा करने से वह जगह उनकी नहीं हो सकती जब तक वह आपकी संपत्ति न हो। नमाज सड़कों पर भी होती है इसका मतलब यह नहीं कि सड़क आपकी हो गई। वैद्यनाथन ने आगे कहा कि मस्जिद में मानवीय या जीव जंतुओं की मूर्तियां नहीं हो सकती हैं, मस्जिदें सामूहिक साप्ताहिक और दैनिक प्रार्थना के लिए होती हैं।

वैद्यनाथन ने आगे कहा कि विवादित स्थल पर देवताओं की अनेक आकृतियां मिली हैं। इसके साथ ही उन्‍होंने अपनी दलीलों के समर्थन में विवादित स्थल का निरीक्षण करने के लिए अदालत द्वारा नियुक्त कमिश्नर की रिपोर्ट के अंश पढ़े। वैद्यनाथन ने कहा कि अदालत के कमिश्‍नर ने 16 अप्रैल, 1950 को विवादित स्थल का निरीक्षण किया था। उन्होंने वहां भगवान शिव की आकृति वाले स्तंभों की मौजूदगी का उल्‍लेख अपनी रिपोर्ट में किया था।


इससे पहले बुधवार को सुनवाई हुई थी। बुधवार को सुनवाई में रामलला के वकील वैद्यनाथन ने दलीलें रखीं थीं। सुनवाई में जस्टिस बोबडे ने पूछा था कि मंदिर को बाबर ने ही ढहाया था इसके क्या सबूत हैं? इसमें रामलला विराजमान की तरफ से ऐतिहासिक किताबों, विदेशी यात्रियों के यात्रा वृतांतों और वेद एवं स्कंद पुराण की दलीलें कोर्ट में पेश की गईं।

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