अब आम आदमी पार्टी है किसानों के निशाने पर, भगवंत मान के रवैये से बढ़ गई नाराजगी

किसान आप के विधायको-सांसदों के घरों के बाहर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। नेताओं के हर जगह बहिष्कार का आह्वान किया गया है। यूं तो एमएसपी समेत कई मांगों को लेकर किसान केंद्र से लड़ाई लड़ रहे हैं. लेकिन मान सरकार के रवैये से लड़ाई का रुख किसान बनाम आप हो गया है।

किसानों का गुस्सा अब पंजाब की आप सरकार पर फूट रहा है (फोटो : Getty Images)
किसानों का गुस्सा अब पंजाब की आप सरकार पर फूट रहा है (फोटो : Getty Images)
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हरजिंदर

संयुक्त किसान मोर्चा यानी एसकेएम का प्लान बी अब पंजाब सरकार के लिए एक बड़ा सिरदर्द बनता जा रहा है। अब वे हर जिले में आम आदमी पार्टी यानी आप के विधायकों और सांसदों के घरों के बाहर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान संगठनों ने तय किया है कि वे आप के नेताओं को गांवों में नहीं घुसने देंगे। हर जगह उनका बहिष्कार होगा। वैसे एमएसपी की गारंटी समेत किसानों की जितनी भी मांगे हैं उसे लेकर वे केंद्र सरकार से लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन राज्य सरकार के रवैये के कारण अब यह लड़ाई लगातार किसान बनाम आप की बनती जा रही है। 

पहले किसानों संगठनों ने पांच मार्च को चंडीगढ़ पहुंच कर धरना देने की योजना बनाई थी। ठीक उसी दिन जब शंभू बार्डर पर किसान मजदूर मोर्चा के वयोवृद्ध नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के अनशन के सौ दिन पूरे हो रहे थे। धरने से दो दिन पहले मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने किसान नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया। लेकिन यह वार्ता बीच में ही टूट गई। किसान नेताओं के अनुसार मान बीच बातचीत में अचानक ही उठ कर यह कहते हुए चले गए कि पंजाब को धरना स्थल नहीं बनने देंगे।

दो दिन बाद जब किसानों के जत्थों ने चंडीगढ़ की जाने की कोशिश की तो उन्हें उनके जिलों की सीमा में ही रोक लिया गया। कुछ आंदोलनकारी किसान जो आगे जाने में कामयाब भी रहे उन्हें भी मोहाली से आगे नहीं जाने दिया गया। इतना ही नहीं एसकेएम के सभी बड़े नेताओं को इसके पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था। सबसे पहले बलबीर सिंह रजेवाल, ओंकार सिंह अगोल और रुजदा सिंह मानसा को गिरफ्तार किया गया और बाद में जिला स्तर पर भी किसान नेताओं को हिरासत में लिया गया।  

इसके बाद किसान संगठनों ने अपनी रणनीति बदल दी और तय किया कि वे जिला स्तर पर आप नेताओं की नाक में दम करेंगे। दस मार्च को यह आंदोलन शुरू भी हो गया। उन्होंने विभिन्न जिलों में आप के 80 विधायकों और मंत्रियों के घरों के बाहर चार घंटे तक धरना दिया। जलंधर में वे मंत्री मोहिंदर भगत के घर के बाहर धरने पर बैठे थे तो संगरूर में विधायक नरिंदर सिंह भराज के घर के बाहर। नाभा में उन्होंने विधायक देव मान के घर के बाहर धरना दिया तो बटाला में अमनशेर सिंह शैरी के घर के बाहर। यह फेहरस्ति बहुत लंबी है और तकरीबन सभी जिलों से ऐसे धरनों की खबरे आ रही हैं।


किसानों नेताओं का दावा है कि जल्द ही वे इस अभियान को और तेज करेंगे। यानी राज्य की आप सरकार सिरदर्द अब और बढ़ने वाला है। खासकर इसलिए भी कि इस आंदोलन से कैसे निपटना है इसकी किसी रणनीति का उसने खुलासा नहीं किया है।

इस पूरे घटनाक्रम में केंद्र सरकार ने जरूर राहत की सांस ली है। अगर आप इस तरह बीच में न आती तो इस समय एसकेएम और किसान मजदूर मोर्चा दोनों की तोपें केंद्र सरकार के खिलाफ गरज रही होतीं। अब एसकेएम नेताओं का पहला निशाना आम आदमी पार्टी है। जबकि आप अगर चाहती तो इस स्थिति से आसानी से बच सकती थी। 

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