जिंदगी की जंग हारे लोंगेवाला युद्ध के हीरो भैरों सिंह राठौड़, एम्स में हुआ निधन, कई दिनों से थे बीमार

साल 1971 की लड़ाई के नायक भैरों सिंह राठौड़ को सीने में दर्द और बुखार के चलते जोधपुर एम्स में भर्ती कराया गया था।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

साल 1971 की लड़ाई के नायक भैरों सिंह राठौड़ जिंदगी की जंग हार गए हैं। उनका जोधपुर एम्स अस्पताल में निधन हो गया है। आपको बता दें, सीने में दर्द और बुखार के चलते उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था। भैरोसिंह साल 1987 में BSF से रिटायर्ड हुए थे। भैरों सिंह ने भारत और पाकिस्तान के युद्ध में हिस्सा लिया था। 1971 में युद्ध के दौरान भैरों सिंह लोंगेवाला में पोस्टेड थे। भैरो सिंह को सेना मेडल से सम्मानित किया गया था।

खराब सेहत के बाद AIIMS में भर्ती हुए थे भैरों सिंह

आपको बता दें, राजस्थान की लोंगेवाला चौकी पर उनके द्वारा प्रदर्शित किये गये पराक्रम को फिल्म बॉर्डर में प्रदर्शित किया गया था। राठौड़ के बेटे सवाई सिंह ने पीटीआई को बताया था कि उनके पिता को युद्ध की 51वीं वर्षगांठ से दो दिन पहले 14 दिसंबर को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जोधपुर में भर्ती कराया गया, जब उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया और उनके शरीर के अंग पैरालिसिस से प्रभावित जैसे प्रतीत हुए।

सिंह ने कहा, डॉक्टरों ने हमें बताया कि मेरे पिता को संभवत: मस्तिष्काघात हुआ है। पिछले कुछ दिनों में उनका आईसीयू में भी उपचार हुआ है। सिंह परिवार जोधपुर से करीब 120 किलोमीटर दूर सोलंकियातला गांव में रहता है।


आपको बता दें, राठौड़ को थार रेगिस्तान में लोंगेवाला चौकी पर तैनात किया गया था, जो बीएसएफ की एक छोटी टुकड़ी की कमान संभाल रहे थे, जिसके साथ सेना की 23 पंजाब रेजिमेंट की एक कंपनी थी। यह उन जांबाज जवानों की बहादुरी थी जिसने 5 दिसंबर, 1971 को इस स्थान पर एक हमलावर पाकिस्तानी ब्रिगेड और टैंक रेजिमेंट को ध्वस्त कर दिया था।

साल 1972 में मिला सेना पदक

भैरों सिंह राठौड़ की दिखाई वीरता के लिए उन्हें 1972 में सेना पदक मिला। राठौड़ को कई अन्य सैन्य सम्मानों और असैन्य पुरस्कारों और से भी सम्मानित किया गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले साल दिसंबर में जैसलमेर में राठौड़ से मुलाकात की थी, जब वह बीएसएफ के स्थापना दिवस समारोह के लिए सीमावर्ती शहर गए थे।

वर्ष 1997 में रिलीज हुई फिल्म बॉर्डर में भैरों सिंह राठौड़ की भूमिका सुनील शेट्टी ने निभाई थी।रुपहले परदे पर तो भैरों सिंह (शेट्टी) शहीद हो गए थे, लेकिन असली बीएसएफ जवान और उसकी हिम्मत, शौर्य और बहादुरी की विरासत जीवित है।

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