भारत बंद को हरियाणा में मिला जोरदार समर्थन, सड़कें, बाजार, बस और ट्रेनें सब रहे बंद

हरियाणा में भारत बंद का अभूतपूर्व असर रहा। हर तरफ सड़कों पर पसरा सन्‍नाटा बंद के असर की कहानी कह रहा था। सुबह छह बजे से ही न तो कोई बस सड़क पर चली और न कोई ट्रेन। बाजार भी बंद रहे।

फोटो: धीरेंद्र अवस्थी
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धीरेंद्र अवस्थी

हरियाणा में भारत बंद का अभूतपूर्व असर रहा। हर तरफ सड़कों पर पसरा सन्‍नाटा बंद के असर की कहानी कह रहा था। सुबह छह बजे से ही न तो कोई बस सड़क पर चली और न कोई ट्रेन। बाजार भी बंद रहे। राज्‍य के सभी स्‍टेट और नेशनल हाईवे पूरी तरह बंद रहे। हरियाणा और पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ को भी सुबह से ही किसानों ने चारों तरफ से पूरी तरह बंद कर दिया। अंबाला-दिल्‍ली हाईवे भी ठप रहा। 70 से ज्‍यादा ट्रेनें या तो रोक दी गईं या रद्द कर दी गईं। सबसे बड़ी बात यह कि इस बंद के जरिये किसानों ने सरकार को एक बार फिर बता दिया कि हम गुमराह किए गए चंद लोग नहीं हैं।

फोटो: धीरेंद्र अवस्थी
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संयुक्त किसान मोर्चा ने नए कृषि कानूनों को राष्ट्रपति के मंजूरी देने के एक साल पूरा होने पर 27 सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया थी। हरियाणा में इसका व्‍यापक असर रहा। बाजारों और मंडियों में पसरा सन्‍नाटा इस बात की तस्‍दीक कर रहा था कि हर वर्ग का किसानों को समर्थन है। किसानों ने हिसार, हांसी, फतेहाबाद, भिवानी, रोहतक, पानीपत, सोनीपत, अंबाला, सिरसा, पंचकूला और यमुनागर समेत पूरे राज्‍य में सुबह ही सड़कें और ट्रैक बंद कर दिए। हरियाणा-पंजाब, हरियाणा-राजस्‍थान, हरियाणा-यूपी, दिल्‍ली और हिमाचल के लिए यातायात पूरी तरह ठप रहा। किसानों ने 213 जगह सड़क जाम करने और 8 जगह ट्रैक रोकने का अल्टीमेटम प्रशासन को दिया था। बंद के दौरान जहां भी एंबुलेंस नजर आई किसानों ने तुरंत उसके लिए रास्‍ता दिया। साथ ही शांति बनाए रख कर इस बात का भी ख्‍याल रखा गया कि प्रशासन के किसी ट्रैप में नहीं फंसना है। महिलाओं की भी व्‍यापक भागीदारी रही। बंद के दौरान एक बार फिर किसान आक्रोश में दिखे। खासकर युवा किसानों में केंद्र की मोदी और राज्‍य की मनोहर लाल सरकार के रवैये को लेकर भारी नाराजगी नजर आई। पंचकूला-शिमला हाईवे पर कालका के पास टोल पर प्रदर्शन में गांव रथपुर से आए 20 साल के आसपास के युवा किसान गुरनाम सिंह और अंकित, खड़ा पत्‍थर के राहुल, जट्टा मजारी के सोनू और मानकपुर के दीपक ने पेट्रोल और डीजल को लेकर सरकार पर नाराजगी जाहिर की। उनका कहना था कि सरकार ने हमारे लिए कुछ नहीं कर रही, तो कम से कम सरकार हमारी बात तो सुने। हमसे अच्‍छे दिन का वादा किया था। कहां हैं अच्‍छे दिन? गरीब मरता है तो मरे। इन्‍हें तो सिर्फ अंबानी-अडानी की फिक्र है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि एक बार अंबानी-अडानी का फसलों पर कब्‍जा हो गया तो किसानों को तो वैसे ही मरना है। युवाओं ने कहा कि सरकार न सिर्फ तीनों कानून वापस ले बल्कि एमएसपी की हमें गारंटी दे। यदि वह ऐसा नहीं करती है तो उसे खामियाजा भुगतना होगा।

फोटो: धीरेंद्र अवस्थी
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गांव रजीपुर के किसान मिलनप्रीत, अजीजपुर के राम सिंह, पिंजौर के नाजर सिंह और सिमरजीत सिंह का कहना था कि मोदी को अंबानी और अडानी के अलावा और कुछ नहीं नजर आ रहा है। यह किसानी पर कब्‍जा करना चाहते हैं। सरकार किसानों को दिहाड़ीदार मजदूर बनाना चाहती है। सरकार आज मान जाए या कल, उसे मानना ही पड़ेगा। यदि किसानों की मांग वह नहीं मानती तो 2024 में इसकी विदाई होगी। किसानों का कहना था कि डीजल-पेट्रोल इतना महंगा हो गया। सरसों का तेल इतना महंगा हो गया, लेकिन किसानों का सरसों तो औने-पौने दामों में ही बिका। कमा तो बिचौलिये रहे हैं। आज यूरिया के दाम कहां पहुंच गए हैं।

फोटो: धीरेंद्र अवस्थी
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किसानों का कहना था कि सरकार ने हर साल दो करोड़ रोजगार देने की बात कही थी। लेकिन आज सरकारी संस्‍थाएं बिक रही हैं। विकास कहां से होगा। उनका कहना था कि सरकार तीनों कानून रद्द कर एमएसपी पर कानून बना दे, हम आज ही आंदोलन वापस ले लेंगे। खट्टर सरकार कह रही है कि हमने गन्‍ने के दाम बढ़ा दिए। आज हमारी खेती की लागत दोगुनी हो गई है। जो काम पहले 25 रुपये में होता था वह आज 50 रुपये में हो रहा है। सरकार फसलों के दाम बढ़ाने के नाम पर हमारे साथ मजाक कर रही है। छोटा किसान तो बुरी तरह मर रहा है।

जींद के विक्‍की मलिक का कहना था कि सरकार तो हमारे पर बस इतना रहम करे कि किसान की स्‍वतंत्रता रहने दे। आज हालत यह है कि हम शांति पूर्वक प्रदर्शन भी नहीं कर सकते। करनाल के बसताड़ा में हमारे सिर फोड़ दिए गए। आज भी यहां पुलिस के दंगारोधी वाहन खड़े हैं । आखिर क्‍यों। यदि हम देशद्रोही हैं तो सरकार ये कानून बना कर क्‍यों हमारा भला करना चाहती है। सरकार हमें हमारे उपर क्‍यों नहीं छोड़ देती। इसी तरह पूरे प्रदेश में सड़कों पर उतरे किसान अपने तर्कों से यह साबित करते रहे कि इन तीन कृषि कानूनों में काला क्‍या है, यह उन्‍हें अच्‍छी तरह पता है। राज्‍य में न सिर्फ हाईवे बल्कि लिंक सड़कों पर भी जाम लगा किसानों ने फिर साबित कर दिया कि सरकार उन्‍हें मुट्ठी भर लोग न समझे। रोहतक में नेशनल हाईवे सात को किसानों ने करीब दर्जन भर स्‍थानों पर जाम किया। यहां जिला बार एसोसिएशन भी किसानों के समर्थन में नजर आई। वकीलों ने वर्क सस्पेंड कर भारत बंद को पूरा समर्थन दिया।

फोटो: धीरेंद्र अवस्थी
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पानीपत में आधा दर्जन जगहों पर किसान इकट्ठा हुए। एलएंडटी और डाहर टोल प्लाजा, सनौली रोड और मतलौडा में किसानों ने जाम लगाया। इस कारण उत्तर-प्रदेश और हरियाणा को जोड़ने वाले रास्ते बंद हो गए। दिल्ली-रेवाड़ी-जयपुर हाईवे भी जाम रहा। जयसिंहपुर खेड़ा बॉर्डर पर किसानों ने सर्विस लेन को भी बंद कर दिया। रेवाड़ी-रोहतक रोड पर चालू टोल प्लाजा भी किसानों ने फ्री कर दिया। सीएम सिटी करनाल में स्टेट हाईवे समेत जिले में दर्जन भर से ज्‍यादा जगहों पर जाम लगाया गया। पलवल में किसानों ने एनएच 19 को किसान धरना स्थल के पास पूरी तरह जाम कर दिया गया, जिसके कारण हाईवे के दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतार लगी रही। पानीपत में उग्राखेड़ी, सनौली रोड को ब्लॉक कर दिया। यह रोड हरियाणा और उत्तर प्रदेश को जोड़ता है। हिसार, हांसी, फतेहाबाद, भिवानी और सिरसा में किसानों ने सुबह ही सड़कें और रेल ट्रैक बंद करवा दिए। हिसार में दो जगह किसान ट्रैक पर बैठ गए। हिसार में सभी चार टोल के अलावा मुख्य मार्गों को भी किसानों ने जाम कर दिया। सिरसा में दो दर्जन से ज्‍यादा जगहों पर जाम लगाया गया। सुबह ही किसानों ने हांसी मार्ग, उकलाना रोड़, दिल्ली हाईवे बंद कर दिया और दो जगह ट्रेनें रोक दीं। फतेहाबाद में किसानों ने 20 जगह जाम लगाया और जाखल और भट्‌टू में ट्रेनों को रोका। भिवानी में दर्जन भर सड़कें बंद कर दीं। आज के बंद में किसानों को व्‍यापारी एसोसिएशनों के साथ पेट्रोल पंप और मजदूर संगठनों का भी भरपूर समर्थन मिला। वकील भी किसानों के समर्थन में खड़े नजर आए।

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दिल्ली से सटे झज्जर जिले में किसान सड़क से लेकर रेलवे ट्रैक पर बैठे रहे। जाम लगा देने के कारण बहादुरगढ़ का एक मेट्रो स्टेशन भी बंद करना पड़ा। दिल्ली-रोहतक रेलवे लाइन पर धरना देने के साथ ही किसानों ने बहादुरगढ़ से होकर गुजरने वाले केएमपी व कई हाइवे पर जगह-जगह जाम लगाया। यहां से जाने वाले रेवाड़ी-रोहतक हाइवे को भी जाम कर दिया।

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