बुधवार को भारत बंद, 25 करोड़ कर्मचारियों की हड़ताल, दूसरी ओर बिहार में महागठबंधन का चक्का जाम, जानें पूरा मामला
देशभर में 9 जुलाई को मोदी सरकार के नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन होने वाला है। 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी सड़कों पर उतरने जा रहे हैं। यही नहीं, 9 जुलाई को ही बिहार में महागठबंधन ने भी सरकार के खिलाफ चक्का जाम बुलाया है।

देशभर में बुधवार यानी 9 जुलाई को मोदी सरकार के नीतियों के खिलाफ हल्ला बोल होने वाला है। 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी सरकार की मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी सरकार के नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतरने जा रहे हैं। यही नहीं, 9 जुलाई को ही बिहार में महागठबंधन ने भी सरकार के खिलाफ चक्का जाम बुलाया है। इस चक्का जाम में तेजस्वी यादवे के साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी भी शामिल होंगे। इस देशव्यापी हड़ताल और भारत बंद का बड़ा असर दिखाई दे सकता है।
9 जुलाई को बिहार बंद और चक्का जाम
बिहार बंद चुनाव आयोग (ईसीआई) की ओर से वोटर लिस्ट के चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ बुलाया गया है। इंडिया गठबंधन के नेताओं ने राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। इस चक्का जाम में शामिल होने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी बुधवार को पटना के दौरे पर जा रहे हैं। जहां वे राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और वामपंथी दलों सहित विपक्षी दलों की ओर से बुलाए गए बिहार बंद में शामिल होंगे।
बिहार में चक्का जाम से सड़कों पर लगेगी ब्रेक!
वहीं, कर्मचारियों की हड़ताल और बिहार बंद की वजह से राज्य में सार्वजनिक सेवाएं बड़े स्तर पर प्रभावित होने की उम्मीद है। इस चक्का जाम से माल ढुलाई से लेकर राज्य परिवहन की बसों की आवाजाही पर ब्रेक लग सकती है।
अब बात करते हैं कर्मचारियों के हड़ताल की। इस हड़ताल का आह्वान 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और उनके सहयोगियों ने ऐलान किया है। इससे बैंकिंग, बीमा, पोस्टल, कोयला खनन, राजमार्ग, निर्माण और कई राज्यों में राज्य परिवहन की सेवाएं प्रभावित होने की संभावना है।
बंद में कौन-कौन शामिल होगा?
देशभर में ट्रेड यूनियनों ने भारत बंद का आह्वान किया है। बुधवार को देश भर में 25 करोड़ से ज्यादा श्रमिकों के देशव्यापी हड़ताल या भारत बंद में भाग लेने की उम्मीद है। कर्मचारियों के भारत बंद में यूनियनों में एआईटीयूसी, एचएमएस, सीआईटीयू, आईएनटीयूसी, आईएनयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी शामिल हैं।
क्या है मजदूरों की मांग?
आंदोलन के केंद्र में पिछले साल श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया को सौंपा गया 17 सूत्री मांग पत्र है। यूनियनों ने आरोप लगाया है कि सरकार ने उनकी चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया है और एक दशक से अधिक समय से वार्षिक श्रम सम्मेलन आयोजित करने में विफल रही है। ये भी आरोप लगाया है कि काम के घंटे बढ़ाए जा रहे हैं और श्रमिकों के अधिकारों को कम किया जा रहा है।
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