भारत जोड़ो यात्रा: लोगों को जोड़ते अभियान से तैयार हो रही सद्भाव की अद्भुत जमीन

यात्रा के कर्नाटक चरण की अब तक की प्रमुख बात यह रही है कि सिविल सोसाइटी के बीच इसे लेकर काफी उत्साह है। कांग्रेस ने इस यात्रा को महज पार्टी के कार्यक्रम के बजाए आम लोगों से रिश्ता बनाने का माध्यम बनाया है।

 कर्नाटक में शुक्रवार को भारत जोड़ो यात्रा में गौरी लंकेश की मां और बहन ने भी भागीदारी की
कर्नाटक में शुक्रवार को भारत जोड़ो यात्रा में गौरी लंकेश की मां और बहन ने भी भागीदारी की
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नाहिद अताउल्लाह

वह एक ऐतिहासिक क्षण था जब सवर्ण माने जाने वाले लिंगायत समुदाय के नेता दलित नेताओं के साथ कर्नाटक में मैसूरु जिले के बदनावालु गांव में ’सहभोजन’ के लिए एक साथ बैठे। लगभग 29 साल बाद यह पहला मौका था जब गांव में दोनों समुदाय एकसाथ बैठे थे। दरअसल मार्च, 1993 में तीन दलितों की हत्या के बाद दोनों समुदायों के बीच एक दीवार खिंच गई थी।

यह कमाल था भारत जोड़ो यात्रा और राहुल गांधी का, जिन्होंने न सिर्फ दोनों समुदायों को एकसाथ लाने बल्कि दोनों बस्तियों के बीच फिर से आवाजाही शुरू करने का काम किया। और बात सिर्फ एकसाथ भोजन करने भर पर नहीं रुकी,  बल्कि गांव में दोनों आबादियों के बीच की करीब 180 मीटर सड़क को भी नए सिरे से बनाकर दोनों समुदायों को एकसाथ लाने का काम भी किया गया। यह रास्ता भी 1993 से ही बंद था। भारत जोड़ो यात्रियों, राहुल गांधी और गांव के सभी समुदायों के बच्चों ने साथ मिलकर इस सड़क पर बहुरंगी ईंटे बिछाकर रास्ता बनाया और इसे नाम दिया गया, भारत जोड़ो रोड।

भारत जोड़ो यात्रा: लोगों को जोड़ते अभियान से तैयार हो रही सद्भाव की अद्भुत जमीन

दोनों समुदायों के बीच विवाद गांव के सिद्धेश्वर मंदिर में कुछ दलितों के प्रवेश पर विवाद हुआ था और दलिचों और लिंगायत के बीच संवाद टूट गया था। इन उच्च जातियों ने दलितों के मंदिर में प्रवेश पर पाबंदी लगा थी। इस पर दलितों ने मामले को अधिकारियों के सामने उठाया था जिस पर अधिकारियों ने दलितों के मंदिर जाने पर पाबंदी को गलत बताया था।  इसके बाद कुछ दलित मंदिर में गए और जब वे लौट रहे थे  तो इसी रास्ते पर 25 मार्च, 1993 को तीन दलितों की हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड की सीबीआई जांच के बाद कोर्ट ने कुल 23 में से 20 आरोपियों को दोषी ठहराया और उन्हें उम्र कैद की सजा हुई।

चमाराजनगर, मैसूरु और मांड्या के पुराने मैसूरु क्षेत्रों से गुजरकर उत्तर कर्नाटक के  बल्लारी और रायचूर के जिलों की तरफ बढ़ती भारत जोड़ो यात्रा लोगों को एक सूत्र में बांधने का काम कर रही है और समुदायों के बीच रिश्ते जुड़ रहे हैं। मैसूरु में राहुल गांधी मस्जिद, मंदिर और चर्च गए तथा लिंगायतों के सुत्तूर मठ के संत स्वामी शिवरात्रि दसिकेंद्र का आशीर्वाद लिया।

भारत जोड़ो यात्रा: लोगों को जोड़ते अभियान से तैयार हो रही सद्भाव की अद्भुत जमीन

यात्रा के कर्नाटक चरण की अब तक की प्रमुख बात यह रही है कि सिविल सोसाइटी के बीच इसे लेकर काफी उत्साह है। कांग्रेस ने इस यात्रा को महज पार्टी के कार्यक्रम के बजाए आम लोगों से रिश्ता बनाने का माध्यम बनाया है। सिविल सोसाइटी और गैर राजनीतिक लोगों का इस यात्रा से जुड़ाव देख पार्टी के आशावादी लोग भी आश्चर्यचकित हैं।

कर्नाटक में यात्रा के पहले दिन जिन लोगों ने इसका स्वागत किया, उनमें प्रमुख लेखक देवनूरु महादेव भी शामिल थे। आरएसएस की विचारधारा का खुलासा करती हुई लिखी उनकी हाल में प्रकाशित किताब इन दिनों खासी चर्चा में है। देवनूरु के साथ सांस्कृतिक ऐक्टिविस्ट गणेश देवी और राजनीतिक ऐक्टिविस्ट योगेंद्र यादव ने ऐसी व्यवस्था कर रखी है कि जब भी यात्रा सुबह 10.30 से दोपहर 23 बजे तक पड़ाव डाले तो इस दौरान अलग-अलग समूहों के साथ संवाद हो और बातचीत की जाए। ये संवाद किसी खास विषय के अनुरूप होते हैं।

भारत जोड़ो यात्रा: लोगों को जोड़ते अभियान से तैयार हो रही सद्भाव की अद्भुत जमीन

हर रोज यात्री लगभग 25 किलोमीटर तक चल रहे हैं। लेकिन जिस गति से राहुल गांधी यात्रा में चलते हैं उसे लेकर साथ चल रहे यात्रियों और रास्ते में खड़े लोगों के बीच काफी चर्चा हो रही है। कई बार कुछ बुजुर्ग नेताओं और यात्रियों को उनके साथ कदमताल बनाए रखने में मशक्कत करनी पड़ती है और कई दफा वे पीछे रह जाते हैं।

अभी गांधी जयंती पर राहुल गांधी ने बदनावुलू में एक सरकारी स्कूल की चहारदीवारी पर पेन्टिंग की, पांडवपुरा में गन्ना खाया और सुगर टाउन के नाम से मशहूर मांड्या जिले में स्वतंत्र पत्रकारों से यह जानने-समझने की कोशिश की कि आज के माहौल में उनके लिए काम करना कितना मुश्किल है। ये कुछ ऐसे लम्हे और कदम है जो राहुल गांधी की इस पदयात्रा के हर क्षण और इस किस्म के संवाद को पसंद करते दिखते हैं।

भारत जोड़ो यात्रा: लोगों को जोड़ते अभियान से तैयार हो रही सद्भाव की अद्भुत जमीन

तो क्या माना जाए भारत जोड़ो यात्रा राजनीतिक फल दिलाएगी? कर्नाटक की राजनीति में राजनीतिक दलों की यात्राएं अजूबा नहीं रही हैं। कांग्रेस की राज्य इकाई ने इस किस्म की यात्रा सबसे अधिक बार आयोजित की है। इनमें सबसे फलदायी यात्रा 1999 में विधानसभा चुनावों से पहले की रही थी जब कर्नाटक कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष एस एम कृष्णा के नेतृत्व में पांच नेताओं की पांचजन्य यात्रा हुई थी। कृष्णा अब बीजेपी में हैं। उस चुनाव में कांग्रेस को भारी बहुमत मिला था और उसने 179 सीटें जीती थीं। उस चुनाव के बाद पार्टी इतनी सीटों तक कभी नहीं पहुंच पाई।

इसी तरह 2010 में पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने बेंग्लुरु से बेल्लारी तक की यात्रा उस समय की थी जब खनन माफिया और उस समय की बीजेपी सरकार में मंत्री जी जनार्दनरेड्डी ने उन्हें विधानसभा में चुनौती दी थी। रेड्डी ने उस समय सिद्धारमैया को चुनौती दी थी जब उन्होंने बेल्लारी जिले में अवैध खनन के आरोप लगाए थे। इसके बाद 2013 में कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई थी और सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बने थे।

फोटो सौजन्य : https://www.bharatjodoyatra.in/
फोटो सौजन्य : https://www.bharatjodoyatra.in/

बदानवालू के लिंगायत और दलितों के बीच सुलह कराने में राहुल गांधी की भूमिका की सराहना हो रही है और माना जा रहा है कि इससे आने वाले दिनों में कांग्रेस को चुनावी लाभ मिलेगा। ध्यान रहे कि 1990 में जब लिंगायत समुदाय से आने वाले तब के मुख्यमंत्री वीरेंद्र पाटिल को हटाया गया था उसी के बाद से लिंगायत समुदाय कांग्रेस से छिटक गया था। इसके बाद लिंगायत समुदाय का समर्थन रामकृष्ण हेगड़े को मिला जिन्होंने बीजेपी को कर्नाटक में पाला-पोसा था। सन् 2000 में लिंगायत समुदाय के मजबूत माने जाने वाले नेता बी एस येदियुरप्पा को बीजेपी ने चेहरा बनाया। लेकिन अब कांग्रेस इस समुदाय में अपनी अच्छी पैठ बना रही है।

रही बात दलितों की तो हाल के सालों में दलित समुदाय बीजेपी और कांग्रेस दोनों के बीच लगभग बराबर बंटा हुआ है।

लेकिन भारत जोड़ो यात्रा को मिल रहे अद्भुत समर्थन से स्थितियां बदली हैं। जिस तरह अभी अगस्त माह में सिद्धारमैया के जन्मदिन पर लोग जुटे उससे बीजेपी खेमे में खलबली है। वैसे भी कांग्रेस के पेसीएम अभियान के बाद से बीजेपी काफी बेचैन है।

वैसे कांग्रेस ने 30 अक्टूबर को कर्नाटक के कलबुर्गी में बड़ी रैली की योजना बनाई है, लेकिन तब तक भारत जोड़ो यात्रा कर्नाटक से जा चुकी होगी।

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