भिखारी ठाकुर के सहयोगी रामचंद्र मांझी का निधन, भोजपुरी लोकनृत्य लौंडानाच को दिलाई थी अंतरराष्ट्रीय पहचान

लोक गायिका शारदा सिन्हा ने रामचंद्र मांझी के निधन पर अपने शोक संदेश में कहा कि लौंडानाच परंपरा के इस महान संवाहक का चले जाना, जो भिखारी ठाकुर जी के दल के आखरी कड़ी थे, संपूर्ण भोजपुरी समाज तथा बिहार के सांस्कृतिक अध्याय के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

भोजपुरी के 'शेक्सपियर' कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर के सहयोगी और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित रामचंद्र मांझी का बुधवार की देर रात निधन हो गया। वे 97 वर्ष के थे। भोजपुरी लोकनृत्य 'लौंडानाच' को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने में मांझी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मांझी के निधन पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी दुख जताया है।

भिखारी ठाकुर के सहयोगी रामचंद्र मांझी का निधन, भोजपुरी लोकनृत्य लौंडानाच को दिलाई थी अंतरराष्ट्रीय पहचान

रामचंद्र मांझी के परिजनों के मुताबिक, लोक नर्तक मांझी को 2 सितंबर को तबीयत खराब होने के बाद पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया था। वे दिल से संबंधित समस्याओं और अन्य बीमारियों से परेशान थे। बुधवार रात उन्होंने अंतिम सांस ली। मांझी के निधन पर बिहार के कला क्षेत्र में मायूसी छा गई।


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने शोक संदेश में कहा है कि पद्मश्री रामचंद्र मांझी ने भोजपुरी नृत्य संगीत को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। मांझी को 2017 में संगीत नाटक अकादमी का सम्मान मिला था। मांझी को पिछले साल पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनके निधन से नृत्य, कला एवं संस्कृति विशेषकर भोजपुरी नृत्य संगीत के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर शान्ति और उनके परिजनों व प्रशंसकों को दु:ख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।

पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी लोक कलाकार मांझी के निधन पर शोक जताया है। लोक गायिका शारदा सिन्हा ने भी मांझी के निधन पर शोक प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि रामचंद्र मांझी का बुधवार रात आईजीआईएमएस में निधन हो गया। पद्मश्री रामचंद्र मांझी जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा, "लौंडानाच परंपरा के इस महान संवाहक का चले जाना, जो भिखारी ठाकुर जी के दल के आखरी कड़ी थे, संपूर्ण भोजपुरी समाज तथा बिहार के सांस्कृतिक अध्याय के लिए एक अपूरणीय क्षति है।"

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