किसान बिल: विपक्ष का बड़ा फैसला, सरकार के सामने रखीं 3 मांगें, पूरी नहीं होने तक संसद सत्र के बहिष्कार का ऐलान

आठ सासंदों के निलंबन रद्द करने की मांग को लेकर विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा से वॉकआउट किया है। यह सांसद गांधी प्रतिमा के सामने प्रदर्शन करने पहुंचे हैं, जहां पहले से निलंबित सांसद धरने पर बैठे हुए हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

संसद के मॉनसून सत्र का आज नौवां दिन है। इस बीच किसान बिल पर तकरार जारी है। वहीं राज्यसभा में आज विपक्षी दलों के 8 सांसदों के निलंबन का मुद्दा उठा है और विपक्षी सांसद सभापति के फैसले का विरोध कर रहे हैं। आठ सासंदों के निलंबन रद्द करने की मांग को लेकर विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा से वॉकआउट किया है। यह सांसद गांधी प्रतिमा के सामने प्रदर्शन करने पहुंचे हैं, जहां पहले से निलंबित सांसद धरने पर बैठे हुए हैं।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, “जब यह बिल ला रहे थे तो एमएसपी उस वक्त अनाउंस करनी चाहिए थी पर नहीं की। खैर एमएसपी बाद में अनाउंस किया गया, जिसका हम स्वागत करते हैं। एमएसपी को लेकर हमने तीन कंडीशन रखी हैं। जब तक कि सरकार हमारी 3 मांगों को स्वीकार नहीं करती है हम संसद सत्र का बहिष्कार करेंगे।”

जो तीन मांगें है वो है: पहली मांग है कि सरकार एक नया बिल लाए जिसमें यह बात सुनिश्चित की जाए कि कोई भी प्राइवेट कंपनी MSP के नीचे किसानों से कोई उपज नहीं खरीद सकती हैं।हमारी दूसरी मांग है कि स्वामीनाथन फार्मूला के तहत MSP देश में तय हो। हमारी तीसरी मांग है कि भारत सरकार राज्य सरकार या फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यह सुनिश्चित करें कि किसानों से निर्धारित MSP की रेट पर ही है उनकी उपज खरीदी जाए।

वहीं राज्यसभा के अंदर विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, “पिछले दो दिनों में जो सदन में हुआ मुझे नहीं लगता कि उससे कोई भी खुश है। करोड़ों लोगों को जो रिप्रेजेंट करते हैं उन्हें करोड़ों लोग देखते हैं। जो लक्ष्य है यहां आने का वो तो पूरा होना चाहिए। आठों सांसदों के निलंबन को रद्द किया जाए।”


समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद राम गोपाल यादव ने कहा, “मैं संसद का एक वरिष्ठ सदस्य हूं, मैंने सदन में जो भी हुआ उसके लिए माफी मांगी है, लेकिन मुझे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। मुझे यह बहुत अपमानजनक लगा। मेरी पार्टी ने पूरे सत्र का बहिष्कार करने का फैसला किया है।”

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सैयद नासिर हुसैन ने कहा, “हम सिर्फ निलंबन रद्द होना नहीं चाहते थे, हम ये भी चाहते थे कि किसान बिल वापस ले लिए जाएं और ऐसा होने के लिए उचित मतदान हो। लेकिन उस तरह का कुछ भी नहीं होने वाला था, क्योंकि सभापति किसी की बात सुनने के लिए तैयार नहीं थे।”

धरने पर बैठे कांग्रेस सांसद रिपुन बोरा ने कहा, “हरिवंश जी ने कहा कि वह एक सहयोगी के रूप में हमसे मिलने आए थे, न कि राज्यसभा के उपसभापति के रूप में। वह हमारे लिए कुछ चाय और नाश्ता भी लाए थे। हमने अपने निलंबन के विरोध में कल यह धरना प्रदर्शन शुरू किया। हम पूरी रात यहां रहे हैं।”

वहीं समाजवादी पार्टी सांसद रामगोपाल यादव ने हंगामे पर कहा कि सरकार ने संयम से काम लिया। उन्होंने कहा कि विपक्ष के लोगों से गलती हुई है और जो बड़े होते हैं, उनका दिल बड़ा होना चाहिए। उन्हें माफ करना चाहिए। उनका निलंबन रद्द किया जाए। मैं सभी सांसदों की तरफ से माफी मांगता हूं।

वहीं राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि मैं सदस्यों के निलंबन को लेकर खुश नहीं हूं। उनके आचरण को ध्यान में रखकर कार्रवाई की गई है। हम किसी सदस्य के खिलाफ नहीं हैं।

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Published: 22 Sep 2020, 11:11 AM