उत्तर प्रदेश सरकार का बड़ा फैसला, राज्य में अब मकान के साथ दुकान खोलना हुआ आसान, नक्शा पास कराने की भी जरूरत नहीं!

सबसे बड़ा बदलाव यह हुआ है कि अब छोटे भूखंडों पर निर्माण के लिए नक्शा पास कराना अनिवार्य नहीं होगा। अगर आप कोई मकान बना रहे हैं और उसके साथ दुकान भी खोलना चाहते हैं, तो इसके लिए अलग से नक्शा पास कराने की अब जरूरत नहीं पड़ेगी।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

उत्तर प्रदेश सरकार ने शहरी क्षेत्रों में भवन निर्माण को लेकर एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला लिया है। राज्य कैबिनेट की बैठक में नई भवन निर्माण उपविधियां और आदर्श जोनिंग रेगुलेशन-2025 को लागू करने का फैसला लिया गया है। यह कदम शहरी विकास को गति देने और निर्माण प्रक्रियाओं को सरल बनाने की दिशा में अहम साबित हो सकता है।

नक्शा पास कराने की अनिवार्यता खत्म

सबसे बड़ा बदलाव यह हुआ है कि अब छोटे भूखंडों पर निर्माण के लिए नक्शा पास कराना अनिवार्य नहीं होगा। अगर आप कोई मकान बना रहे हैं और उसके साथ दुकान भी खोलना चाहते हैं, तो इसके लिए अलग से नक्शा पास कराने की अब जरूरत नहीं पड़ेगी। यह उन छोटे व्यापारियों और गृह स्वामियों के लिए एक बड़ी राहत है जो अक्सर नक्शे की जटिल प्रक्रियाओं में उलझ जाते थे।


आवासीय और व्यावसायिक भूखंडों के लिए नए नियम

नई उपविधियों के अनुसार, 100 वर्ग मीटर तक के आवासीय और 30 वर्ग मीटर तक के व्यावसायिक भूखंडों पर अब बिना नक्शा पास कराए निर्माण किया जा सकता है। हालांकि, इसके लिए विकास प्राधिकरण में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। यह कदम छोटे भूखंड मालिकों को समय और पैसे दोनों की बचत करने में मदद करेगा।

इसके अलावा बड़े शहरों में 24 मीटर और छोटे शहरों में 18 मीटर चौड़ी सड़कों पर आवासीय भवनों के साथ दुकानें बनाने की छूट दी गई है। यह शहरी क्षेत्रों में मिश्रित उपयोग (Mixed-use) के विकास को बढ़ावा देगा, जिससे लोगों को अपने घरों के पास ही व्यावसायिक सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी।

"ट्रस्ट बेस्ड अप्रूवल" से और सरलता

उन क्षेत्रों में जहां ले-आउट पहले से स्वीकृत है, वहां 500 वर्ग मीटर के आवासीय और 200 वर्ग मीटर के व्यावसायिक भूखंडों के लिए नक्शा ऑनलाइन दाखिल करने के बाद उसे "ट्रस्ट बेस्ड अप्रूवल" माना जाएगा। इसका मतलब यह है कि संबंधित व्यक्ति की जिम्मेदारी पर नक्शा स्वतः स्वीकृत माना जाएगा। यह प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और त्वरित बनाएगा, जिससे बिल्डरों और भूखंड मालिकों को अनावश्यक देरी का सामना नहीं करना पड़ेगा।

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