कोरोना संकट से सही से नहीं निपटना मोदी 2.0 की सबसे बड़ी विफलता, सर्वे में खुलकर सामने आई लोगों की राय

यह सर्वे एक जनवरी से 28 मई के बीच 543 लोकसभा सीटों पर गया और कुल 1.39 लाख लोगों की राय ली गई। सर्वे से पता चलता है कि कई मुद्दों पर नागरिक मोदी सरकार से निराश हैं और पिछले सात वर्षों में मोदी सरकार को प्राप्त उच्च लोकप्रियता रेटिंग अब समाप्त हो रही है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

नरेंद्र मोदी सरकार की अनुमोदन (अप्रूवल) रेटिंग ने सात साल में पहली बार लाल रेखा को पार किया है। एबीपी-सी वोटर के मोदी 2.0 रिपोर्ट कार्ड के अनुसार, मतदाताओं का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाना मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है, जबकि कोरोना संकट से प्रभावी ढंग से नहीं निपटना इसकी सबसे बड़ी विफलता है।

543 लोकसभा सीटों पर सर्वेक्षण किया गया है और कुल 1.39 लाख लोगों से बातचीत की गई है। एक जनवरी से 28 मई के बीच लोगों की प्रतिक्रिया ली गई है। सर्वेक्षण से पता चलता है कि कई मुद्दों पर नागरिक मोदी सरकार से निराश हैं और पिछले सात वर्षों में मोदी सरकार द्वारा प्राप्त उच्च लोकप्रियता रेटिंग अब समाप्त हो रही है।

सर्वेक्षण में 47.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करना मोदी 2.0 सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि रही है। वहीं 41.1 प्रतिशत उत्तरदाताओं का कहना है कि मोदी सरकार की सबसे बड़ी विफलता कोरोना संकट से निपटना है। साथ ही सर्वे में शामिल 23.1 प्रतिशत लोगों ने कहा कि नए कृषि कानूनों को लेकर किसान समुदाय में असंतोष और गुस्सा मोदी सरकार की दूसरी सबसे बड़ी विफलता है।


केंद्र को कोसते हुए आधे से अधिक (52.3 प्रतिशत) लोगों ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान सरकारी मदद उन तक नहीं पहुंची। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान चुनाव प्रचार से भी देश के नागरिक काफी नाराज नजर आए। अधिकांश मतदाता (60.8 प्रतिशत) का मानना है कि पांच राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में हुए विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश में हुए पंचायत चुनाव स्थगित कर दिए जाने चाहिए थे।

इस दौरान लोगों से सवाल पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि देश में महामारी की दूसरी लहर के दौरान चुनाव प्रचार में भाग लेना और चुनावी रैलियों को संबोधित करना प्रधानमंत्री के लिए उचित था? इस पर 59.7 प्रतिशत लोगों ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी का चुनाव प्रचार में भाग लेना गलत था।

इसके अलावा 55.3 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि महामारी की दूसरी लहर को देखते हुए कुंभ मेला शुरू से ही प्रतीकात्मक रूप से आयोजित किया जाना चाहिए था। कम से कम 47 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने डीजल और पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया। मोदी सरकार की आलोचना करते हुए, बड़े पैमाने पर 64.4 प्रतिशत लोगों ने कहा कि बड़े कॉपोर्रेट घरानों को मोदी सरकार के कार्यों से आर्थिक दृष्टि से सबसे अधिक लाभ हुआ।

कुल 44.8 प्रतिशत लोगों ने कहा कि लद्दाख क्षेत्र में चीन का अतिक्रमण केंद्र सरकार की विफलता है। हालांकि, कश्मीर को लेकर सरकार द्वारा उठाए गए कदम, संबंधों में सुधार से मतदाता बहुत खुश हैं, लेकिन उन्हें लगता है कि किसानों की मांगें पूरी की जानी चाहिए।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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