बिहार चुनावः हार पर RJD ने कहा- न हार से घबराते हैं, न जीत से इतराते हैं, गरीबों के बीच आवाज बुलंद करते रहेंगे
आरजेडी ने कहा कि जनसेवा एक अनवरत प्रक्रिया है, एक अंतहीन यात्रा है। इसमें उतार-चढ़ाव आना तय है। हार में विषाद नहीं, जीत में अहंकार नहीं। राष्ट्रीय जनता दल गरीबों की पार्टी है, गरीबों के बीच उनकी आवाज़ बुलंद करते रहेगी।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मिली करारी हार के बाद आरजेडी ने शनिवार को अपनी हार स्वीकार करते हुए कहा कि वह गरीबों की पार्टी है और गरीबों के बीच उनकी आवाज बुलंद करती रहेगी। वहीं आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि न हम हार से घबराते हैं, न जीत से इतराते हैं।
बिहार चुनाव के अप्रत्याशित परिणाम के एक दिन बाद पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव की पार्टी आरजेडी ने शनिवार को अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर लिखा, "जनसेवा एक अनवरत प्रक्रिया है, एक अंतहीन यात्रा है। इसमें उतार-चढ़ाव आना तय है। हार में विषाद नहीं, जीत में अहंकार नहीं। राष्ट्रीय जनता दल गरीबों की पार्टी है, गरीबों के बीच उनकी आवाज़ बुलंद करते रहेगी।"
वहीं बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामों पर आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि लोकतंत्र में जीत और हार लगी रहती है। उन्होंने बताया कि इस बार के नतीजों पर किसी ने अनुमान नहीं लगाया था। यहां तक कि एग्जिट पोल्स ने भी मतों का परिणाम बेहद करीबी बताया था। ऐसे नतीजे चौंकाने वाले हैं और इसके बारे में सोचने की जरूरत है। मृत्युंजय तिवारी ने कहा, "तेजस्वी यादव की लोकप्रियता सबसे ज्यादा मानी जाती थी। मुख्यमंत्री पद के लिए वे जनता की पहली पसंद थे। फिर भी नतीजे इस तरह आए, यह एक समीक्षा का विषय है। पार्टी नेतृत्व इस पूरे मामले की समीक्षा करेगा और उसी के बाद हम इस पर प्रतिक्रिया दे पाएंगे।"
उन्होंने आगे बताया कि पार्टी इस बार चुनाव परिणाम का विश्लेषण माइक्रो लेवल पर करेगी। इसका उद्देश्य यह समझना है कि किन कारणों से जनता ने अपेक्षित तरीके से वोट नहीं दिया और किन क्षेत्रों में पार्टी को समर्थन मिला या घटा। आरजेडी प्रवक्ता ने यह भी कहा कि नतीजों को लेकर कोई अफसोस या नाराजगी नहीं है, बल्कि इसे सीखने और सुधारने का अवसर मानकर आगे बढ़ा जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि पार्टी पूरी तरह से लोकतांत्रिक प्रक्रिया और जनता के फैसले का सम्मान करती है।
मृत्युंजय तिवारी के अनुसार, इस समीक्षा के दौरान उम्मीदवारों के प्रदर्शन, स्थानीय मुद्दों, वोटिंग पैटर्न और ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में मतदाता रुझानों का विस्तार से अध्ययन किया जाएगा। आरजेडी लोकतंत्र के नियमों और जनता के फैसले का सम्मान करते हुए अपनी कमजोरियों और सुधारों का विश्लेषण करेगी। मृत्युंजय तिवारी ने दोहराया कि चुनाव परिणाम चौंकाने वाले हैं।
वहीं, विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने अब तक कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। जबकि विपक्षी दलों के महागठबंधन ने उनके नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा था। महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री उम्मीदवार भी घोषित कर रखा था। तेजस्वी यादव ने अपनी राघोपुर सीट किसी तरह बचा लिया, लेकिन इस चुनाव में आरजेडी सहित महागठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा।
बता दें कि इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को 202 सीटें मिली हैं, जो कि ऐतिहासिक जीत है। आरजेडी को 25 सीटें मिली हैं और कांग्रेस को 6 सीटों पर जीत मिली है। ध्यान देने वाली बात यह है कि इस बार जेडीयू 101 सीटों पर चुनाव लड़ी और 85 सीटों पर जीत दर्ज कर बिहार की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। वहीं बीजेपी इस बार बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जिसने 89 सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं आरजेडी ने 25 सीटों पर जीत हासिल की है जबकि कांग्रेस को 6 सीटों पर जीत मिली है। सीपीआई (एमएल) को 2 सीटें, जबकि सीपीआई (एम) और आईआईपी को एक-एक सीट मिली है। महागठबंधन में शामिल विकासशील इंसान पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया और उसका खाता भी नहीं खुल सका।