बिहारः कोरोना संकट में इस बार पुरखों को नहीं मिलेगा मोक्ष, ‘मोक्षस्थली’ गया में नहीं आएंगे श्रद्धालु

गया के पंडा समुदाय से लेकर आम लोगों तक को पूरे साल पिंडदानियों का इंतजार रहता है। बड़ी संख्या में लोग पितृपक्ष में यहां आकर पिंडदान करते हैं, जिससे यहां व्यापार भी बढ़ता है और लोगों को रोजगार भी मिलता है। लेकिन, इस साल यहां के हजारों का रोजगार छिन जाएगा।

फाइल फोटोः IANS
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आईएएनएस

‘मोक्षस्थली’ के नाम से मशहूर बिहार के गया में इस साल पितृपक्ष के मौके पर श्रद्धालु अपने पुरखों को मोक्ष दिलाने के लिए नहीं आएंगे। कोरोना संक्रमण काल में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सरकार ने इस साल पितृपक्ष मेले का आयोजन स्थगित करने का फैसला लिया है। इस आदेश पर पंडा समाज ने नाराजगी जताई है। हिंदू धर्मावलंबी अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पितृपक्ष में गयाजी आते हैं और विभिन्न पिंड स्थलों पर पिंडदान और तर्पण कर अपने पूर्वजों के मोक्ष की कामना करते थे।

इस साल दो सितंबर से पितृपक्ष मेला प्रारंभ होने वाला था, जिसमें 10 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना व्यक्त की जा रही थी। बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने आदेश में कहा है, "कोविड-19 के कारण पितृपक्ष मेला में आने वाले पिंडदानियों द्वारा सामाजिक दूरी के अनुपालन में होने वाली कठिनाइयों और संभावित संक्रमण के खतरे को देखते हुए जनहित में विभाग द्वारा पितृपक्ष मेला 2020 स्थगित करने का निर्णय लिया गया है।"

इधर, इस आदेश के बाद गया के पंडा समाज और आम लोगों में नाराजगी है। गया के पंडा समुदाय से लेकर आम लोगों तक को पूरे साल पिंडदानियों का इंतजार रहता है। बड़ी संख्या में लोग पितृपक्ष में यहां रहकर पिंडदान करते हैं। ऐसे में यहां व्यापार भी बढ़ता है और स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलता है। लेकिन, इस साल मेला आयोजित नहीं किए जाने से हजारों लोगों का रोजगार छिन जाएगा।

तीर्थवृत सुधारिनी सभा के अध्यक्ष गजाधर लाल कटियार ने कहा कि तीर्थ पुरोहितों को सरकार की ओर से कोई सहयोग नहीं मिला है। ऐसी विकट स्थिति में पितृपक्ष में नियम-कानून के अनुसार पिंडदान कराने की अनुमति देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए अन्य पंडा समुदायों से इस संबंध में विचार कर आगे का निर्णय लिया जाएगा। गयापाल पंडों का कहना है कि पितृपक्ष की आय पर ही उन लोगों के साथ ही ब्राह्मण और विष्णुपद मेला क्षेत्र के दुकानदार आश्रित हैं। इस बार पितृपक्ष में पिंडदान नहीं होने से सभी लोगों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो जाएगी। कोरोना काल में पिछले छह माह सभी लोग परेशान हैं।

इस बीच, गया के विधायक और मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि इसके लिए वे प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अनुमति देने का आग्रह करेंगे। उन्होंने कहा कि मेला पर यहां के लोगों का रोजगार निर्भर रहता है, ऐसे में इसे स्थगित करने से लोगों को आर्थिक रूप से नुकसान होगा।

बता दें कि वैसे तो सालों भर पिंडदान के लिए पिंडदानी देश भर से गया आते हैं, लेकिन आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष में लगने वाले 15 दिनों के पितृपक्ष में यहां बड़ी संख्या में देश और विदेश के श्रद्धालु आकर अपने पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान और तर्पण करते हैं। पितृपक्ष में एक दिन, तीन दिन, सात दिन, 15 दिन और 17 दिनों का पिंडदान होता है।

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