बिहारः JDU ने SIR पर सवाल करने वाले सांसद को भेजा कारण बताओ नोटिस, विपक्ष के आरोपों को मजबूत करने वाला बताया

सांसद गिरिधारी यादव अपने रुख पर अड़े हुए हैं और उन्होंने कहा कि एक सांसद के तौर पर उन्होंने अपने क्षेत्र के लोगों से मिली प्रतिक्रिया को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि मैं कारण बताओ नोटिस का जवाब दूंगा। मैं अपनी कही बात से पीछे नहीं हट सकता।

बिहारः JDU ने SIR पर सवाल करने वाले सांसद को भेजा कारण बताओ नोटिस, विपक्ष के आरोपों को मजबूत करने वाला बताया
बिहारः JDU ने SIR पर सवाल करने वाले सांसद को भेजा कारण बताओ नोटिस, विपक्ष के आरोपों को मजबूत करने वाला बताया
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नवजीवन डेस्क

बीजेपी की सहयोगी जेडीयू ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की आलोचना करने वाले अपने सांसद गिरिधारी यादव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। साथ ही कहा कि उन्होंने न केवल पार्टी को शर्मसार किया, बल्कि विपक्ष के निराधार और राजनीति से प्रेरित आरोपों को भी विश्वसनीयता प्रदान की है। जेडीयू महासचिव अफाक अहमद खान ने बांका के सांसद से 15 दिनों के भीतर जवाब देने को कहा है, अन्यथा उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

हालांकि, सांसद गिरिधारी यादव अपने रुख पर अड़े हुए हैं और उन्होंने कहा कि एक सांसद के तौर पर उन्होंने अपने क्षेत्र के लोगों से मिली प्रतिक्रिया को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है। उन्होंने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘मैं कारण बताओ नोटिस का जवाब दूंगा। एक जनप्रतिनिधि होने के नाते, मैं खुद के द्वारा कही गई बात से पीछे नहीं हट सकता। मैंने केवल निर्वाचन आयोग और उसकी इस (एसआईआर) कवायद के बारे में बात की है।’’

जेडीयू सांसद गिरिधारी यादव ने बुधवार को एसआईआर का विरोध करते हुए कहा था कि इससे पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों पर सवाल उठेंगे। उन्होंने सवाल किया है कि अगर मतदाता सूची लोकसभा चुनाव के लिए सही थी, तो कुछ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए यह गलत कैसे हो सकती है? उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग को एसआईआर के लिए कम से कम छह महीने का समय देना चाहिए और यह कवायद गर्मी के महीनों में करानी चाहिए थी। उन्होंने आयोग पर राज्य और उसके लोगों के प्रति अनभिज्ञ होने का भी आरोप लगाया।


गिरिधारी यादव का यही बयान उनकी पार्टी को नागवार गुजरा है और उसने उन्हें कारण बताओं नोटिस जारी कर दिया है। जेडीयू ने नोटिस में कहा, ‘‘जनता दल(यूनाइटेड) आपके आचरण को अनुशासन में चूक मानता है और यह इस विषय पर पार्टी के घोषित रुख के अनुरूप नहीं है।आप अच्छी तरह से जानते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 324 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, निर्वाचन आयोग ने बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण का आदेश दिया है।’’

जेडीयू ने कहा कि अपने चुनावी नतीजों से ‘‘हताश’’ विपक्षी दल, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के मुद्दे पर, निर्वाचन आयोग को बदनाम करने के लिए लगातार अभियान चला रहे हैं और इसका एकमात्र उद्देश्य एक संवैधानिक संस्था की कार्यप्रणाली पर जनता में संदेह पैदा करना है। जेडीयू ने ‘इंडिया’ गठबंधन में रहने और अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के हिस्से के रूप में, निर्वाचन आयोग और ईवीएम का निरंतर समर्थन किया है।

पार्टी ने कहा कि इस संदर्भ में ऐसे संवेदनशील मामले पर आपकी सार्वजनिक टिप्पणियां, खासकर चुनावी वर्ष में, न सिर्फ पार्टी के लिए शर्मिंदगी का कारण बनती हैं, बल्कि अनजाने में विपक्ष द्वारा लगाए गए निराधार और राजनीति से प्रेरित आरोपों को भी विश्वसनीयता प्रदान करती हैं। जदयू आपके आचरण को अनुशासनहीनता मानता है। अतः आपसे अनुरोध है कि इस नोटिस की प्राप्ति के 15 दिनों के भीतर कारण बताएं, अन्यथा आपके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।

बता दें कि बीजेपी के प्रमुख सहयोगी जेडीयू ने राज्य में जारी एसआईआर का पुरजोर बचाव किया है, जबकि विपक्षी दल इस कवायद का एकजुट होकर विरोध कर रहे हैं और वे आरोप लगा रहे हैं कि एसआईआर बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन को लाभ पहुंचाने के लिए की जा रही है। ऐसे एसआईआर पर जारी विवाद के बीच जेडीयू सांसद द्वारा इस पर सवाल उठाए जाने से पार्टी बैकफुट पर आ गई है।

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