बिहार: पटना में हड़ताल पर PMCH के जूनियर डॉक्टर, मरीजों की बढ़ी मुश्किलें, चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था

जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जेडीए) ने साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे सभी सेवाएं बंद रखेंगे।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में स्वास्थ्य सेवाएं लगभग ठप हो गई हैं। विभिन्न मांगों को लेकर जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने की वजह से मरीजों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

मरीजों की बढ़ी परेशानी

बताया जा रहा है कि ओपीडी में आए मरीजों को बिना इलाज कराए लौटना पड़ रहा है। साथ ही, अस्पताल में भर्ती मरीजों की भी परेशानी बढ़ गई है। आपातकालीन सेवा को छोड़कर, ओपीडी, वार्ड और ऑपरेशन थिएटर में सभी काम बंद हैं।


जूनियर डॉक्टरों की चेतावनी

जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जेडीए) ने साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे सभी सेवाएं बंद रखेंगे। यह आंदोलन बॉन्ड पोस्टिंग की अवधि को सीनियर रेसिडेंसी के रूप में मान्यता देने, वेतन वृद्धि, मेरिट कम च्वाइस आधारित पोस्टिंग, वेटिंग पीरियड को बॉन्ड अवधि में शामिल करने और पहले से अर्जित वेतन की मांगों पर केंद्रित है।

बॉन्ड अवधि घटाने और पेनाल्टी में कमी की मांग

जूनियर डॉक्टर प्राची ने कहा कि हमारी कई मांगें हैं। इनमें सबसे प्रमुख है कि हम लोगों की बॉन्ड अवधि तीन साल से घटाकर एक साल की जाए और बॉन्ड तोड़ने की पेनाल्टी 25 लाख रुपए से हटाकर 10 लाख रुपए की जाए।


लंबे समय से अधूरी मांगें

जूनियर डॉक्टर सत्यम ने बताया कि हम लोगों की 5 से 6 मांगें हैं। इन मांगों को लेकर पिछले 2 साल से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों, सुपरिटेंडेंट, और प्रिंसिपल से बात कर रहे हैं, लेकिन आश्वासन के सिवाय अब तक कुछ नहीं मिला है। इस बार भी इन मांगों को लेकर दो पत्र दिए गए हैं, लेकिन अब तक उन पर कोई जवाब नहीं दिया गया है। इसके बाद हम लोगों ने हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है।

भेदभाव का आरोप

उन्होंने आगे कहा कि हमारे साथ भेदभाव हो रहा है। हमारी मुख्य मांगों में बॉन्ड की अवधि 1 साल की जाए। सीनियर रेसिडेंट के रूप में हमारी सेवा को बॉन्ड पूरा मानना चाहिए, ताकि सुपर स्पेशलिटी कोर्स करने वाले डॉक्टरों को राहत मिले।