बिहार में शराबबंदी ही नहीं, शराब से मौत पर भी लगादी है नीतीश प्रशासन ने पाबंदी, बिना जांच कर दी जा रही अन्तयेष्टि

बिहार में यूं तो शराब बंदी है, पर शराब पीने से हुई मौत की खबरें लगातार आ रही हैं। इसके बावजूद पुलिस प्रशासन किसी भी मौत को शराब से हुई मौत नहीं मानता और बिना पोस्टमार्टम और जांच के ही अन्त्येष्टि कर दी जाती है।

फोटो : सोशल मीडिया
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शिशिर

यकीन मानिए, नीतीश कुमार बिहार में इतिहास रच रहे हैं। खासकर पूर्ण शराबबंदी के अपने निश्चय को लेकर तो जरूर। बिहार में शराब पर तो रोक है ही, शराब से मरने पर भी पाबंदी है। यकीन न हो तो मार्च महीने में विभिन्न जिलों के डीएम में से एक की ओर से जारी पत्र देखिए। बांका डीएम और एसपी के हस्ताक्षर वाला यह जांच प्रतिवेदन साफ कह रहा है कि ‘18 मार्च, 2022 को जिले में जिन 9 लोगों की मौत हुई, उनके परिजनों ने बीमारी से मौत की बात बताई है। अंत्येष्टि हो चुकी, पोस्टमार्टम किसी का नहीं हुआ। जांच में जहरीली शराब से मौत की पुष्टि नहीं हुई।’

बिहार में शराबबंदी ही नहीं, शराब से मौत पर भी लगादी है नीतीश प्रशासन ने पाबंदी, बिना जांच कर दी जा रही अन्तयेष्टि

यह इकलौता जांच प्रतिवेदन नहीं, मार्च महीने में भागलपुर, गोपालगंज, बेतिया, सीवान, कटिहार, शेखपुरा- हर तरफ ऐसी मौत हुई और इसी तरह की रिपोर्ट बनी। सुशासन बाबू कहलाने के शौकीन नीतीश कुमार की शराबबंदी के निश्चय को अफसर भी बखूबी समझते हैं, इसलिए अचानक कहीं एक साथ कई मौत की खबर आती है तो पुलिस-प्रशासन तत्काल एक्टिव हो जाता है। एक्टिव इसलिए नहीं कि पोस्टमार्टम कराते हुए मौत की वजह निकाली जाए बल्कि इसलिए कि जल्द से जल्द अंत्येष्टि हो जाए और शराब से मौत नहीं होने की रिपोर्ट बनाई जा सके।

बिहार के हर जिले में हर चौकीदार को इसके लिए सख्त ताकीद है कि शराब से मौत का हंगामा नहीं बने। बना, तो पहला शिकार चौकीदार होगा। चौकीदार से लेकर थानेदार तक हरेक को डर रहता है क्योंकि जिसके क्षेत्र में शराब का केस मिला- पेट पर लात पक्की है। सिस्टम के अंदर रहने वाले अफसर ही नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, ‘अगर शराबबंदी के बावजूद जहरीले शराब से मौत की पुष्टि हो गई तो यह पक्का हो जाएगा कि शराब मिल रही थी। और, शराब मिलने की सजा तो शराब पीने-बेचने वाले से ज्यादा आज की तारीख में पुलिस भुगत रही है। इसलिए शराब ढूंढ़ने के टास्क से भी बड़ा यह है कि शराब से मौत की पुष्टि रोकने की हर संभव कोशिश हो।’


सिस्टम के अंदर अभी ऐसा ही काम कर रहे अफसर जब इतना खुलकर कह रहे तो अंदरखाने की स्थिति समझनी मुश्किल नहीं। दरअसल, लगातार पुलिस और मद्य निषेध के अफसरों पर जिस तरह राज्य मुख्यालय कार्रवाई कर रहा, उसके खौफ से नीतीश की पुलिस ने राजा को खुश करने का रास्ता निकाल लिया है। पोस्टमार्टम नहीं हो तो बाकी सवाल वैसे ही गायब हो जाएंगे।

हालत यह है कि जहरीली शराब से आंख गंवाने वाला भी कह रहा कि उसकी हालत के लिए शराब जिम्मेदार है और ऐसे जहर से बेटे को गंवाने वाला बाप भी दुहरा रहा कि उसके बेटे ने इस बोतल से शराब पी थी, मगर कोई इसे संज्ञान में लेने को तैयार नहीं। ऐसे आरोपों पर पुलिस का सीधा कहना है कि कोई शिकायत लेकर थाने आएगा, तब प्राथमिकी दर्ज कर जांच की जाएगी। जहां के अफसर नौकरी जाने के खौफ से शराब को अपने क्षेत्र में स्वीकार करने को तैयार नहीं, वहां वह किसी को ऐसी रिपोर्ट दर्ज कराने का न्यौता देगी!

बिहार में महीने भर में दर्जनों मौतें हुई लेकिन इक्का-दुक्का मामले में ही पुलिस ने मजबूरी में शराब से मौत की पुष्टि होने दी। भागलपुर के साहेबगंज मोहल्ले के एक व्यक्ति की शराब से मौत की पुष्टि इस मजबूरी में करनी पड़ी क्योंकि उसके साथ पीने वाले दो किसी तरह बच गए और उनका बयान मीडिया के जरिये फैल गया। जहरीली शराब की पहुंच इतनी ही है कि बांका जिले में ट्रेनिंग ले रहे बेगूसराय पुलिस जिला बल के युवा सिपाही तक की मौत हो गई। मौत से पहले उसने शराब पीने के बाद आंखों से दिखाई बंद होने की बात तक कही थी लेकिन मृत्यु के बाद उसके पिता ने ही बेटे की मौत के पीछे बीमारी को वजह बता दिया। जिस बांका जिले में इस सिपाही की मौत हुई, वहां लगातार संदिग्ध हालत में मौतें हो रहीं। शराब की बात आ रही लेकिन पुलिस इसी तरह बीमारी की पुष्टि कर दे रही है।


सीवान में भी 21 मार्च को दो की मौत के बाद परिजनों ने उनके शराब पीने की बात कही लेकिन थानाध्यक्ष ने साफ कहा कि यह शराब का मामला नहीं है। दरअसल, पुलिस परिजनों से इस आशय का शपथ पत्र लेने के लिए हर दांव खेल रही है। सिर्फ होली के दिन भागलपुर में 17, बांका में 12 और मधेपुरा में तीन की जान गई जबकि मधेपुरा में दो लोगों की इसी कारण आंखों की रोशनी गई। मार्च की शुरुआत ही ऐसी खबरों से हुई जबकि फरवरी के अंत में मुख्यमंत्री के निर्देश पर आबकारी विभाग ने बाकायदा मिशन-होली की शुरुआत की थी। शराब बरामदगी के लिए लक्ष्य दिया गया था। ड्रोन से लेकर मिनी हेलीकॉप्टर तक से निगहबानी में लाखों रुपए बहाने का सरकारी आदेश तक आ गया था।

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