बिहारः औरंगाबाद में रामनवमी जुलूस की आड़ में दंगाईयों ने की हिंसा और आगजनी, घटना के बाद हरकत में आई पुलिस

25 मार्च को बिहार के औरंगाबाद शहर में रामनवमी जुलूस के दौरान मुख्य बाजार से लेकर गली मुहल्लों तक में दंगाई जमकर बवाल काटते रहे और महज चंद कदमों की दूरी पर मौजूद पुलिस-प्रशासन मूकदर्शक बना रहा।

फोटो: नवजीवन
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आसिफ एस खान

25 मार्च की शाम बिहार के औरंगाबाद में रामनवमी के जुलूस के दौरान काफी हिंसा हुई। जुलूस मुख्य बाजार और सदर अस्पताल से निकलकर कई मुस्लिम बहुल इलाकों से होते हुए शहर के नावाडीह मुहल्ले में पहुंचा। इसके बाद जुलूस के पीछे-पीछे 300 से 400 मोटर साइकिल सवार लोग माथे पर भगवा चुनरी बांधे और हाथों में तलवार लिए नावाडीह मोहल्ले में दाखिल हुए। इस दौरान उन्होंने आपत्तिजनक नारे भी लगाए।

स्थानीय लोगों का कहना है कि जब इसे लेकर आपत्ति जताई गई तो माहौल गर्म हो गया। दोनों पक्षों के बीच जमकर पत्थरबाजी होने लगी। इसी बीच भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने घरों को निशाना बनाते हुए कई बम फेंके। इसके बाद जुलूस में शामिल लोगों ने मुहल्ले के बाहर स्थित ईनायत मस्जिद पर भी पत्थरबाजी की। जुलूस में शामिल सैकड़ों की संख्या में लोग पास के कलामी मुहल्ले में घुस गए। इन लोगों ने वहां मौजूद लोगों को पत्थरों और हॉकी स्टिक से मारना शुरू कर दिया। इस बीच जुलूस का एक हिस्सा नावाडीह मोहल्ले से आगे अदरी नदी के पास स्थित मुसलमानों के ईदगाह और कब्रिस्तान में जा घुसा और वहां भी जमकर तोड़फोड़ की। लोगों ने आरोप लगााया कि उन्मादी भीड़ ने कब्रिस्तान में कई कब्रों के साथ छेड़छाड़ भी की गई।

इस बीच शहर के मुख्य बाजार में मुसलमानों की दुकानों में आगजनी भी शुरू हो गई। शहर का केंद्र माने जाने वाले रमेश चौक से लेकर सदर बाजार होते हुए सराय रोड के आगे स्थित सब्जी मंडी और फल बाजार तक मुसलमानों की दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया। इस दौरान हमला करने वाले ने पूरी घटना का वीडियो भी बनाया और वीडियो को सोशल मीडिया पर डाल दिया।

बिहारः औरंगाबाद में रामनवमी जुलूस की आड़ में दंगाईयों ने की हिंसा और आगजनी, घटना के बाद हरकत में आई पुलिस
औरंगाबाद में रामनवमी जुलूस के दौरान हिंसा फैलाते दंगाई

खास बात यह है कि पूरी घटना के दौरान जिले की पुलिस नदारद रही। मुख्य बाजार में जहां आगजनी हो रही थी, वहां से महज 250 मीटर की दूरी पर औरंगाबाद का नगर थाना है और दूसरी तरफ इससे भी कम दूरी पर जिले के एसपी और डीएम का कार्यालय और आवास भी है। इसके बावजूद असामाजिक तत्वों द्वारा कई घंटों तक बीच शहर में उत्पात मचाया जाता रहा, लेकिन पुलिस और प्रशासन का कहीं अता-पता नहीं था। शहर के प्रतिष्ठित लोगों में गिने जाने वाले वरिष्ठ दंत चिकित्सत डॉ. हसनैन वारसी का घर भी नावाडीह मुहल्ले से सटा हुआ है। उन्होंने बताया, “पत्थरबाजी और मारपीट की घटना होते ही इसकी खबर शहरभर में आग की तरह फैल गई। मैं अपने क्लीनिक से भागता हुआ जैसे-तैसे घर पहुंचा, तब तक मामला काफी बढ़ चुका था। मैंने तुरंत स्थानीय पुलिस को फोन किया, लेकिन घंटों बीत जाने के बाद भी पुलिस मौके पर नहीं पहुंची। इस दौरान बार-बार फोन करने पर पुलिस की ओर से यही जवाब मिल रहा था कि पुलिस जल्द ही मौके पर पहुंचेगी। लेकिन पुलिस सबकुछ खत्म हो जाने के बाद मौके पहुंची।” शहर के कई इलाकों में पत्थरबाजी होने, बम चलने और सैंकड़ों दुकानों में तोड़फोड़ और आगजनी के बाद जब उत्पात मचाने वाले अपना काम कर लौट गए तब जाकर पुलिस-प्रशासन अपनी नींद से जागा और प्रशासन ने शहर में धारा 144 लगाने का ऐलान कर दिया। स्थानीय लोगों के मुताबिक, घटना हो जाने के बाद हरकत में आई पुलिस ने ज्यादातर मुस्लिम लड़कों को उनके घरों से उठा लिया है।

घटना के बाद से लोग अपने-अपने घरों को छोड़कर मोहल्ले के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले घरों में पनाह लिए हुए हैं और मोहल्लों के बाहर पुलिस का सख्त पहरा है। बिहार पुलिस, सीआरपीएफ की टुकड़ियां ज्यादातर मुस्लिम इलाकों में मुस्तैद हैं।

ऐसे ही एक मुहल्ले के घर में 70-80 लोगों के साथ पनाह लिए हुए शिक्षक हुसैन कमाल बताते हैं कि दिन में जो कुछ हुआ उसके बाद रात में कब क्या हो जाए, इसका भरोसा नहीं है। उन्होंने बताया कि जिस तरह शाम को जुलूस की शक्ल में सैंकड़ों की संख्या में लोगों ने मोहल्ले के अंदर घुसकर आतंक मचाया, उससे पूरे शहर के मुसलमानों में दहशत का माहौल है। मस्जिद पर पत्थरबाजी की गई, कब्रिस्तान में घुसकर कब्रों के साथ छेड़छाड़ की गई और मुसलमानों के घरों को निशाना बनाकर बम फेंके गए। हुसैन कमाल से यह पूछे जाने पर कि यहां पुलिस मौजूद है तो उन्होंने कहा, “इसी बात का तो डर है कि पुलिस ने हमें चारों तरफ से घेर रखा है, अपने घरों से बाहर निकलना मुश्किल है, ऐसे अगर पुलिस दूसरे पक्ष को खुली छूट देकर मोहल्ले में घुसा दे तो एक और गुजरात जैसा कत्लेआम होने में वक्त नहीं लगेगा। दिन में पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई को देखने के बाद अब उनपर भरोसा नहीं किया जा सकता।”

25 मार्च को दोपहर बाद देर शाम तक शहर में जो हुआ और उसमें पुलिस और प्रशासन की जो भूमिका रही उसे देखते हुए लोगों के दिलों में डर बैठ गया है।

इस घटना पर औरंगाबाद के एसपी सत्यप्रकाश ने बताया कि जुलूस के रास्ते को लेकर दोनों पक्षों में पहले बहस हुई और फिर झड़प हो गया। दोनों तरफ से पत्थरबाजी की गई। एसपी ने बम फेंकने और फायरिंग की घटना से इनकार किया है। उन्होंने बताया कि इस घटना को लेकर अब तक 50 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है और घटना में शामिल लोगों की पहचान की कोशिश की जा रही है। एसपी ने कहा कि घटना के बाद से पूरे शहर में धारा 144 लगा दी गई है और भारी संख्या में पुलिसबल की तैनाती की गई है। उन्होंने कहा कि सोमवार यानी 26 मार्च को निकलने वाले जुलूस को लेकर प्रशासन पुरी तरह से मुस्तैद है, किसी भी स्थिति में शहर का माहौल खराब नहीं होने दिया जाएगा। एसपी ने विशेष तौर पर लोगों से अपील की है कि वे किसी भी अफवाह और सोशल मीडिया पर शेयर होने वाले आपत्तिजनक संदेशों पर ध्यान न दें।

बिहारः औरंगाबाद में रामनवमी जुलूस की आड़ में दंगाईयों ने की हिंसा और आगजनी, घटना के बाद हरकत में आई पुलिस
औरंगाबाद में रामनवमी जुलूस के दौरान बवाल

औरंगाबाद शहर के वरिष्ठ वकील और सीपीआई नेता त्रिभुवन सिंह ने इस पूरी घटना के लिए राज्य की नीतीश सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा, “लगातार पिछले कई दिनों से राज्य के कई जिलों में दंगे भड़काने के प्रयास हुए हैं। एक दिन पहले शनिवार को सिवान में दो समुदायों के बीच झड़प की घटना हुई, उससे पहले भागलपुर क नाथनगर में सांप्रदायिक दंगा हुआ, जिसमें केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता अश्वीनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत की भूमिका सामने आई है। इससे पहले अररिया और दरभंगा में भी इसी तरह के प्रयास किए गए। इसको लेकर नीतीश कुमार ने लोगों से हाथ जोड़कर शांति बनाए रखने की अपील की थी। बावजूद इसके उनकी सरकार और प्रशासन ने जानबूझकर औरंगाबाद का माहौल खराब होने दिया।”

औरंगाबाद जिले से ताल्लुक रखने वाले पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील ग्यासुद्दीन खान निजामी ने आरोप लगाया कि बीजेपी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार मिलकर सुनियोजित तरीके से राज्य का माहौल खराब करने में लगे हैं। उन्होंने कहा, “आखिर कैसे प्रशासन ने बिना पर्याप्त पुलिसबल की तैनाती के इतनी बड़ी संख्या में धार्मिक जुलूस को निकलने दिया। इस तरह के प्रदर्शन की प्रशासन को पहले से जानकारी होती है और प्रशासन ही ऐसे जुलूस के रूट निर्धारित करता है। जिला प्रशासन रामनवमी के जुलूस को मुस्लिम बहुल इलाकों से होकर गुजरने की इजाजत देता है, जबकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।” उन्होंने कहा कि जुलूस के साथ तैनात पुलिसवालों की और जिले के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपद्रव के दौरान क्या भूमिका थी, इसकी निष्पक्ष और त्वरित जांच होनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा, “राज्य में हाल की घटनाओं को देखकर लगता है कि बिहार में भी गुजरात की तरह कोई बड़ा साजिश करने की तैयारी है, लेकिन बिहार के लोग शांतिप्रिय और सौहार्द्र में भरोसा करने वाले लोग हैं, जो ऐसी किसी भी साजिश को कामयाब नहीं होने देंगे।”

इस बीच शहर में बड़े पैमाने पर तैनात पुलिस के कड़े पहरे के बीच शांति कायम है, लेकिन घरों में कैद और नींद से कोसों दूर लोगों के दिमाग में मरघटी सन्नाटा पसरा हुआ है।

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Published: 26 Mar 2018, 2:25 PM