बिहार: सुप्रीम कोर्ट ने 25 अप्रैल को होने वाली BPSC मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने से किया इनकार
बिहार सरकार और बीपीएससी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने परीक्षा प्रणाली की शुचिता का बचाव किया। उन्होंने बताया कि प्रश्नपत्रों के 4 अलग-अलग सेट इस्तेमाल किए गए थे, जिनमें एकरूपता को रोकने के लिए प्रश्नों का क्रम बदल दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने 25 अप्रैल को होने वाली बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और पिछले साल 13 दिसंबर को बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा के दौरान प्रश्नपत्र लीक होने का आरोप लगाने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने 70वीं बीपीएससी संयुक्त प्रतियोगी प्रारंभिक परीक्षा रद्द करने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। पीठ ने सभी अभ्यर्थियों के लिए दोबारा परीक्षा कराने के लिए निर्णायक साक्ष्यों का अभाव बताया।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश ने दलील दी कि व्हाट्सऐप संदेश और वीडियो क्लिप आदि डिजिटल साक्ष्य दर्शाते हैं कि परीक्षा से पहले प्रश्नपत्र लीक हो गए थे। प्रकाश ने अपनी दलील में कहा कि ऐसे एक वीडियो में कथित तौर पर एक परीक्षा केंद्र पर लाउडस्पीकर के जरिए प्रश्नों के उत्तरों की घोषणा किए जाते हुए सुनी जा सकती है।
बिहार सरकार और बीपीएससी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने परीक्षा प्रणाली की शुचिता का बचाव किया। उन्होंने बताया कि प्रश्नपत्रों के 4 अलग-अलग सेट इस्तेमाल किए गए थे, जिनमें एकरूपता को रोकने के लिए प्रश्नों का क्रम बदल दिया गया था।
कोचिंग सेंटर की सामग्री के साथ समानताओं पर उन्होंने स्पष्ट किया कि 150 प्रश्नों में से केवल दो ही हूबहू नकल पाए गए।
पीठ ने प्रस्तुत डिजिटल साक्ष्य की प्रामाणिकता और दायरे पर सवाल उठाते हुए कहा कि आरोप केवल एक परीक्षा केंद्र बापू परीक्षा परिसर तक ही सीमित थे, जहां 10,000 प्रभावित उम्मीदवारों के लिए पहले ही पुनः परीक्षा आयोजित की जा चुकी थी। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का अपना दावा है कि ऐसा प्रतीत होता है की घटना अभ्यर्थियों के परीक्षा हॉल में प्रवेश करने के बाद हुई।
शीर्ष अदालत का यह आदेश ‘आनंद लीगल ऐड फोरम ट्रस्ट’ द्वारा दायर याचिका सहित अन्य याचिकाओं पर आया है। यह याचिकाएं पटना उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर की गई थीं। उच्च न्यायालय ने याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि विभिन्न परीक्षा केंद्रों में गड़बड़ी का कोई ठोस सबूत नहीं है।
फैसले ने बीपीएससी को मुख्य परीक्षा आयोजित करने का रास्ता साफ किया। इससे पहले सात जनवरी को प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने 13 दिसंबर 2024 को आयोजित बीपीएससी परीक्षा में कथित अनियमितताओं और उसके परिणामस्वरूप प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई के संबंध में विचार करने से इनकार कर दिया था। पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि पटना उच्च न्यायालय का रुख करें।
बिहार पुलिस ने 13 दिसंबर 2024 को आयोजित बीपीएससी परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे सिविल सेवा उम्मीदवारों को काबू में करने के लिए कथित तौर पर बल प्रयोग किया था। राज्य लोक सेवा आयोग ने कुछ अभ्यर्थियों के लिए पुनः परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया था। पुन: परीक्षा के लिए पात्र 12,012 उम्मीदवारों में से कुल 8,111 ने अपने प्रवेश पत्र डाउनलोड किए और 5,943 परीक्षा में शामिल हुए थे।
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