बिहारः कोरोना संकट के बीच बाढ़ से होगी और फजीहत, राहत शिविरों में स्क्रीनिंग के बाद ही मिलेगा प्रवेश

आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी ने बताया कि इस साल मेडिकल स्क्रीनिंग में कोरोना लक्षण नहीं आने पर ही लोगों को राहत शिविरों में प्रवेश मिलेगा। कोरोना के लक्षण पाए जाने पर क्वारंटीन सेंटर भेजने की व्यवस्था की जाएगी। सभी जिलाधिकारियों को निर्देश भेजा गया है।

फोटोः IANS
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नवजीवन डेस्क

बिहार के कई जिलों में जून महीने में ही नदियों के जलस्तर में हुई वृद्धि के बाद बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई। हालांकि अब नदियों के जलस्तर में कमी आई है। इस बीच आपदा विभाग ने बाढ़ संभावित जिलों में आश्रय स्थलों को चिन्हित करने के निर्देश दिए हैं। कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग के कारण अधिक आश्रय स्थल (बाढ राहत शिविरों) की जरूरत है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दिशानिर्देश पर आश्रय स्थल पिछले साल की तुलना में तीन गुणा अधिक बनाने का निर्देश दिया गया है, जिसमें कोरोना गाइडलाइन का सख्ती से पालन करते हुए लोगों को सुरक्षित रखना है।

आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस साल 28 जिलों की बाढ़ संभावित जिला के रूप में पहचान की गई है, जिसमें 15 जिले अतिसंभावित क्षेत्रों में हैं। उन्होंने बताया कि आश्रय स्थलों को चिन्हित किया जा रहा है। कोविड-19 के काल के कारण आश्रय स्थलों और सामुदायिक रसोई में थर्मल स्क्रीनिंग और मेडिकल स्क्रीनिंग की व्यवस्था की जाएगी।

अधिकारी ने बताया कि मेडिकल स्क्रीनिंग में कोरोना के लक्षण नहीं आने पर ही लोगों को आश्रय स्थलों में जाने की अनुमति होगी। कोरोना के लक्षण पाए जाने वाले लोगों को क्वारंटीन सेंटर भेजने की व्यवस्था की जाएगी। आपदा प्रबंधन विभाग ने इस संदर्भ का निर्देश सभी जिलाधिकारियों को भेजा है। बाढ़ से प्रभावित इलाकों में चलंत मेडिकल टीम गठित की गई है, जिसके माध्यम से बाढ़ पीड़ितों के घर तक स्वास्थ्यकर्मी प्राथमिक उपचार के लिए पहुंचेंगे।

आश्रय स्थलों के लिए स्कूल, पंचायत भवन एवं अन्य सरकारी भवनों को चिह्न्ति किया जा रहा है। आश्रय स्थल ऊंचे जगहों पर रहें और बाढ़ से बचाये गये लोगों को वहां रखने में किसी तरह की परेशानी नहीं हो। जिला अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि संबंधित सिविल सर्जन से परामर्श कर कोविड 19 संक्रमण को लेकर दवाओं का आकलन और भंडारण कर लिया जाए।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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