हरियाणा में अपने खिलाफ माहौल से BJP परेशान, आंतरिक रिपोर्ट में रोहतक-सिरसा सबसे मुश्किल सीट, बाकी सीटों पर भी जीत आसान नहीं

हरियाणा में जमीन पर दो बीजेपी बन गई हैं। एक 2014 से पहले की बीजेपी और दूसरी 2014 के बाद की मनोहर लाल खट्टर युग की बीजेपी।

फोटो: सोशल मीडिया
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धीरेंद्र अवस्थी

हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ माहौल ने उसे परेशान करके रख दिया है। पार्टी की आंतरिक रिपोर्ट में इस बात को मान लिया गया है कि हरियाणा में हालात उसके माकूल नहीं हैं। रोहतक और सिरसा लोकसभा सीट को तो बेहद मुश्किल मान ही लिया गया है। राज्‍य की शेष 8 लोकसभा सभा सीटों में भी जीत आसान नहीं मानी गई है। मतलब साफ है कि प्रदेश की सभी 10 लोस सीटों पर जीत का दावा करने वाली बीजेपी ने इस बात को स्‍वीकार कर लिया है कि हरियाणा में पार्टी मुश्किल में है। 1 दिन पहले चुनावी दौरे पर पंचकूला आए बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा के सामने पर्यवेक्षकों की ओर से हरियाणा में 2024 लोस चुनावों की पेश की गई इस चिंताजनक तस्‍वीर ने हाईकमान के माथे पर चिंता की लकीरें उकेर दी हैं। राज्‍य में नाराज पार्टी के दिग्‍गज उसके लिए हालात को और मुश्किल बना रहे हैं।

हरियाणा में जमीन पर दो बीजेपी बन गई हैं। एक 2014 से पहले की बीजेपी और दूसरी 2014 के बाद की मनोहर लाल खट्टर युग की बीजेपी। 2014 की पहले की बीजेपी में वह सारे चेहरे शामिल हैं, जो संघर्ष के दिनों में पार्टी का झंडा थामे रहे हैं। राम बिलास शर्मा, ओम प्रकाश धनखड़, कैप्‍टन अभिमन्‍यू और हाल में ही हासिये पर धकेल दिए गए दर्दीले नग्‍मे गा रहे पूर्व गृह और स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री अनिल विज। यह सभी बीजेपी के हरियाणा में सीएम फेस हुआ करते थे। 2014 के बाद केंद्र में मोदी युग और हरियाणा में उनके खास रहे मनोहर लाल खट्टर का युग आरंभ होने के बाद से इनमें से सभी को एक-एक कर किनारे लगा दिया गया। खासकर 2019 के विधानसभा चुनाव में इन सभी की हार के बाद। अनिल विज का मामला तो ताजा है। वह कह रहे हैं कि पार्टी में ही उन्‍हें बेगाना बना दिया गया। उन्‍होंने अपने आप को अंबाला कैंट तक ही सीमित कर लिया है और ऐलान कर दिया है कि वह अंबाला से बाहर कहीं चुनाव प्रचार करने नहीं जाएंगे। शेष दिग्‍गजों की भी कमोबेश यही स्थिति है।

केंद्र में मोदी के बिना जैसे कोई पत्‍ता नहीं हिलता। ठीक वैसे ही हरियाणा में मनोहर लाल के बिना आज कोई पत्‍ता नहीं हिलता। 10 साल की केंद्र की सरकार और 10 साल की राज्‍य की सरकार के खिलाफ डबल एंटी-इनकंबेंसी ने स्थितियां और खराब की हैं। एक दिन पहले पंचकूला आए पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा के सामने पार्टी के लोस प्रभारियों की पेश की गई रिपोर्ट में तमाम तथ्‍य निकल कर बाहर आए हैं, जो बीजेपी के लिए अच्‍छे संकेत नहीं हैं। इंटरनल रिपोर्ट में रोहतक और सिरसा को सबसे टफ माना गया है, लेकिन बीजेपी के लिए सबसे चिंता की बात यह है कि शेष 8 लोकसभा क्षेत्रों में भी जीत को आसान नहीं माना गया है। सूत्रों पर यकीन करें तो यह रिपोर्ट नड्डा अपने साथ दिल्ली लेकर गए हैं। शहरी क्षेत्रों में बीजेपी की स्थिति को बेहतर और ग्रामीण क्षेत्रों में विरोध बताया गया है। जाट बाहुल्य क्षेत्रों में लोकसभा प्रभारियों की रिपोर्ट बेहद खराब बताई गई है। यह तस्‍वीर सामने आने के बाद नड्डा अगले 15 दिनों का टॉस्‍क राज्‍य के नेताओं को देकर गए हैं। नड्डा ने निर्देश दिए हैं केंद्र सरकार की उपलब्धियों को लोगों तक पहुंचाने के लिए जी जान से काम करें। नाराज होकर घर बैठे नेताओं की चुनाव प्रचार से दूरी को नड्‌डा ने गंभीरता से लिया है। लोकसभा चुनाव के बाद ऐसे नेताओं पर एक्‍शन के संकेत भी उन्‍होंने दिए हैं। 


सूत्रों के मुताबिक, पंचकूला में बैठक के बाद नड्डा ने कोर कमेटी में शामिल बीजेपी के नाराज नेताओं से अलग वन टू वन मुलाकात भी की है। इसमें पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय सचिव ओपी धनखड़, पूर्व मंत्री राम बिलास शर्मा, पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु और सुधा यादव के नाम शामिल हैं। वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी और चुनाव के मौजूदा हालातों के बारे में उन्‍हें विस्‍तार से जानकारी दी है। बताया जा रहा है कि पूर्व गृह और स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री अनिल विज इस बैठक में भी नहीं पहुंचे। राज्‍य की सभी 90 विधानसभाओं की स्थिति पर चर्चा की गई है। बैठक में रणनीति बनाई गई है कि कमजोर और फंसी हुई सीटों पर प्रधानमंत्री, गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की जनसभाएं करवाई जाएं। नड्डा की अध्यक्षता में पंचकूला के पार्टी मुख्यालय पंचकमल में हुई लोकसभा प्रभारियों, संयोजकों और क्‍लस्टर इंचार्जों की इस बैठक में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, बीजेपी के हरियाणा चुनाव प्रभारी सतीश पुनिया, सह प्रभारी सुरेंद्र नागर और राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़ मुख्य तौर से उपस्थित थे।

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