बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने गोद लिया था धनवानों का गांव, पर वहां भी अब होने लगे हैं लोग नाराज

प्रधानमंत्री मोदी की अपील पर मुजफ्फरनगर के बीजेपी सांसद संजीव बालियान ने जिले के रसूलपुर जाटान नाम के एक गांव को गोद लिया था। लेकिन शत-प्रतिशत साक्षर इस जाट बहुल गांव के ऊंचे-ऊंचे, बड़े-बड़े हवेलीनुमा घर पहले से ही इसकी संपन्नता की गवाही देते हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
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आस मोहम्मद कैफ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की बागडोर संभालने के बाद मई 2014 में भी सांसदों से किसी एक गांव को गोद लेकर उसे आदर्श गांव के रुप मे विकसित करने की अपील की थी। उनकी इस अपील से प्रभावित होकर मुजफ्फरनगर के बीजेपी सांसद संजीव बालियान ने जिले के रसूलपुर जाटान नाम के एक गांव को गोद लिया था। लेकिन शत-प्रतिशत साक्षर इस गांव के ऊंचे-ऊंचे, बड़े-बड़े हवेलीनुमा घर पहले से ही इसकी संपन्नता की गवाही देते हैं।

आमतौर पर आर्दश गांव बनाने के लिए ऐसे किसी गांव को चुना जाता है, जो अनेकों बुनियादी समस्याओं से जूझते हुए विकास की बाट जोह रहा होता है। मगर रसूलपुर जाटान के ऊंचे बड़े घर पहले से इसकी संपन्नता की गवाही देते हैं। सांसद संजीव बालियान द्वारा चुने गए इस जाट बहुल गांव पर वोटिंग वाले दिन ही सवाल उठ गए थे जो अब तब कायम हैं। 2014 में मतदान के दिन यहां 97 फीसद मतदान हुआ था, जिसपर विपक्षी प्रत्याशियों ने बूथ कैप्चरिंग का आरोप लगाया था। बाद में यहां दोबारा मतदान हुआ। खास बात ये है कि इस गांव में जाटों की संख्या 75 फीसद है और यहां एक भी मुसलमान नहीं है।

मुजफ्फरनगर जिला मुख्यालय से 18 किमी पूर्व शाहपुर थाना क्षेत्र में रसूलपुर जाटान नाम का यह गांव 1952 से अस्तित्व में है। इस गांव की आबादी 3 हजार के आसपास है। यहां के लगभग सभी ग्रामीण गन्ने की खेती पर निर्भर हैं। खास बात ये है कि अपनी काबिलयत के बल पर यहां के कई लोग गांव का नाम रौशन करते रहे हैं। शांत बलियान जैसा आईएएस अधिकारी भी दिया है और अंकित जैसा राष्ट्रीय कबड्डी प्लेयर भी। इस गांव की एक बेटी नन्दिनी बालियान रेलवे में एआरएम भी हैं।

गांव के ही जितेंद्र बालियान की बेटी पूजा बालियान कालका डेन्टल कालेज मेरठ में प्रोफेसर हैं। गांव के पूर्वमंत्री सुधीर बालियान के चाचा सतेन्द्र कुमार अमेरिका में भौतिकी विशेषज्ञ हैं। दूसरे चाचा नरेन्द्र वर्मा रुड़की के केंद्रीय अनुसंधान केंद्र में निदेशक हैं। नरेन्द्र वर्मा के पुत्र नवीन्दु रघुवंशी आईआईएम अहमदाबाद में कार्यरत हैं। इसके अलावा गांव के कई युवा प्रशासनिक सेवाओं में कार्य करते हुए गांव का नाम रौशन कर रहे हैं।

बीजेपी सांसद द्वारा गोद लिये गए इस गांव की संपन्नता की गवाही यहां के खेतों में खड़ी ईख की फसलें और नौजवानों की चमचमाती मोटरसाइकिलें देती हैं। गांव के चयन पर सवाल उठाते हुए संदीप कुमार कहते हैं, “विकास की दृष्टि से देखें तो संजीव बालियान के ही लोकसभा क्षेत्र में 100 से ज्यादा ऐसे गांव हैं जहां मूलभूत सुविधाएं नही हैं। रसूलपुर जाटान तो जमीदारों और प्रभावशाली लोगों का गांव है। हालांकि समस्याएं तो यहां भी हैं, लेकिन हमारा गांव चौधरियों का गांव कहा जाता है। यहां ज्यादातर लोगों के पास अपनी गाड़ी है और शहर में उनके ठिकाने हैं।”

आमतौर पर यहां के लोग संपन्न हैं और ज्यादातर परिवारों का एक घर शहर में भी है। अब अमीरों के गांवों को जब यहां के सांसद ने गोद ले लिया तो गांव के विकास में ना तो यहां के सांसद ने कोई रूचि दिखाई और ना ही यहां के ज्यादातर अमीरों ने। लेकिन इस गांव में पंचायत में बहुत रूचि ली जाती है। पिछले साल यहां एक पंचायत हुई थी, जिसमें रिश्ता तोड़ने वाले एक लड़के की दो साल तक शादी नहीं होने देने का फरमान जारी कर दिया गया। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी के विरोध में इसी गांव में पंचायत लगती थी। शाहपुर बवाल के बाद भी यहां एक बड़ी पंचायत हुई थी, जिसमें बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी भी पहुंचे थे। प्रशासन से टकराव के हर मौके पर रसूलपुर सबसे आगे रहता है।

शाहपुर के अकरम कहते हैं कि आदर्श गांव के लिए इस गांव के चुनाव के पीछे गांव में एक भी मुसलमान न होना सबसे बड़ा कारण है। वैसे अब गांव के लोगों को इस बात का गुस्सा है कि उनका सिर्फ इस्तेमाल किया गया जबकि गांव में विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ।

गांव के ज्यादातर किसान गन्ने की खेती करते हैं। गांव के कुछ लोग शाहपुर और मुजफ्फरनगर जाकर अपना व्यवसाय कर रहे हैं। गांव के एक किसान बिजेन्द्र बालियान गांव में प्याज, लहसुन के अलावा चुकंदर की खेती कर रहे हैं। गांव के ही डा. हरबीर आर्य हर्बल मेडिसिन के लिए उपयोगी पौधों की खेती कर रहे हैं।

इस गांव में सभी राजनैतिक दलों के लोग रहते हैं। गांव के सुधीर बालियान साल 1991 में बीजेपी की प्रदेश सरकार में सहकारिता मंत्री रह चुके हैं। वही गांव के डा. हरबीर आर्य आरएसएस के जिला कार्यवाह हैं। गांव के ही पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक बालियान बाबा टिकैत के खास सिपहसालारों में रह चुके हैं। गांव में आर्य समाज का अच्छा प्रभाव है। गांव के कई बच्चे गुरुकुल कांगड़ी और गुरुकुल झज्जर में शिक्षा ग्रहण कर आचार्य भी बन चुके हैं।

गांव में 2650 मतदाता हैं, जिनमें महिला और पुरुषों की संख्या बराबर है। इनमें 75 प्रतिशत जाट, 13 प्रतिशत दलित, 5 प्रतिशत कश्यप और बाकी में ब्राहमण, उपाध्याय, कुम्हार, लुहार और वाल्मीकि आदि हैं। इतना हाईप्रोफाइल होने के बावजूद गांव में न कोई कॉलेज है और ना ही खेल का मैदान है। गांव में एक प्राइमरी स्कूल है, जो सिर्फ आठवीं तक है।

जबकि सांसद ने यहां बैंक की शाखा और अस्पताल तक का वादा किया था। इस बारे में पूछने पर संजीव बालियान कहते हैं, “मैंने हर मुमकिन कोशिश की है। किसानों को अत्याधुनिक कृषि यंत्र और उन्नत बीज उपलब्ध कराए हैं। जमीन न मिलने के कारण कॉलेज, खेल का मैदान, बैंक शाखा और अस्पताल का निर्माण नहीं हो पाया है।”

लेकिन यहां सवाल खड़ा होता है कि साढ़े तीन हजार की आबादी वाले इस गांव में होना क्या था और हुआ क्या? यहां अस्पताल खुलना था, नहीं खुला। बैंक की शाखा खुलनी थी, नहीं खुली। कॉलेज और खेल के मैदान का प्रस्ताव भी बना था, जो बना ही रह गया क्योंकि इन योजनाओं के लिए अभी तक जमीन ही नहीं मिली। आजकल ऐसे ही सवालों से परेशान संजीव बालियान पर उनकी पार्टी के ही लोग पक्षपाती होने के आरोप लगा रहे हैं।

क्योंकि रसूलपुर जाटान में पहले भी शाम को बिजली नहीं आती थी और आज भी गायब रहती है।गांव में 25 सोलर स्ट्रीट लाइटें लगी हैं, जिनमें 10 खराब हैं। यहां 28 सरकारी हैंडपम्प हैं, जिनमें से 20 का पानी पीने लायक भी नहीं है, क्योंकि उनमें टीडीएस ज्यादा है। गांव में सफाईकर्मी नियुक्त हैं, फिर भी हर तरफ गंदगी के दर्शन होते हैं। पहले भी गांववालों को इलाज के लिए 20 किलोमीटर दूर जिला अस्पताल जाना पड़ता था, आज भी वहीं जाना पड़ता है। हां, इस बीच शौचालयों की स्थिति जरूर बेहतर हुई है।आदर्श गांव घोषित होने के बाद यहां के 130 घरों में शौचालय बनवाए गए हैं। गांव के लोग मानते हैं कि यह काम ग्राम प्रधान ने करवाया है। ग्राम प्रधान सुनीता चौधरी विकास न हो पाने की मूल वजह प्रशासनिक उदासीनता बताती हैं।

कुल मिलाकर रसूलपुर जाटान के बारे में ऐसा कहा जा सकता है कि एक अमीर सांसद ने अमीरों के एक गांव को गोद लिया है। लेकिन अब बदलती फिजा में लोगों में सांसद के खिलाफ खासी नाराजगी है।

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