बीजेपी सांसदों का दुस्साहस, सुप्रीम कोर्ट पर लगाया गृहयुद्ध भड़काने का आरोप, विपक्ष के भड़कने पर बैकफुट पर बीजेपी
सुप्रीम कोर्ट पर बीजेपी सांसदों के बयानों को लेकर विपक्ष ने सत्तारुढ़ दल को आड़े हाथों लिया है। इसके बाद बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने इन बयानों से किनारा कर लिया है। बीजेपी सांसदों ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट देश में धार्मिक युद्ध और गृह युद्ध फैला रहा है

बीजेपी ने अब सीधे सुप्रीम कोर्ट को निशाना बनाना शुरु कर दिया है। बीजेपी के दो सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर जो बयान दिए हैं, उससे न सिर्फ राजनीतिक, बौद्धिक और संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों ने गहरी चिंता जताई है बल्कि न्यायविदों ने भी इसे गंभीर स्थिति करार दिया है।
बीजेपी के झारखंड के गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे ने एक बयान में कहा था कि देश में धार्मिक युद्ध और गृह युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। वहीं बीजेपी के राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने भी ऐसा ही बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारत संविधान के मुताबिक कोई भी लोकसभा या राज्यसभा को निर्देशित नहीं कर सकता।
इन दो बयानों के बाद राजनीतिक हंगामा शुरु हुआ है। विपक्ष के सभी दलों ने बीजेपी नेताओँ के इन बयानों की तीखी निंदा की है।
सबसे पहे बताते हैं कि निशिकांत दुबे ने कहां क्या कहा था।
झारखंड के गोड्डा से बीजेपी सांसद ने कहा था कि देश में जो भी गृह युद्ध हो रहा है उसके लिए सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमा से बाहर जा रहा है. अगर हर बात के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना है, तो संसद और विधानसभा का कोई मतलब नहीं है, इसे बंद कर देना चाहिए।"
इसके बाद, उत्तर प्रदेश से बीजेपी के राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने भी सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी की। उन्होंने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के सुप्रीम कोर्ट पर दिए गए बयान को लेकर कहा कि, "जब बाबा साहब आंबेडकर ने संविधान बनाया था, तो उसमें उन्होंने विधायिका और न्यायपालिका के अधिकारों का स्पष्ट रूप से वर्णन किया है।" उन्होंने कहा कि, "भारत के संविधान के अनुसार, कोई भी लोकसभा और राज्यसभा को निर्देशित नहीं कर सकता है और राष्ट्रपति ने पहले ही इस पर अपनी सहमति दे दी है. कोई भी राष्ट्रपति को चुनौती नहीं दे सकता क्योंकि राष्ट्रपति सर्वोच्च हैं।"
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के बयान की मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस निंदा की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा कि बीजेपी सुप्रीम कोर्ट को कमज़ोर करने में लगी हुई है। उन्होंने कहा, "संवैधानिक पदाधिकारी, मंत्री और बीजेपी के सांसद भी सुप्रीम कोर्ट के ख़िलाफ़ बोलने में लगे हुए हैं. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट भी ये कह रही है कि जब क़ानून बनाते हैं तो संविधान के मूलभूत ढांचे के ख़िलाफ़ मत जाइये। अगर संविधान के ख़िलाफ़ है तो हम इस क़ानून को स्वीकार नहीं कर सकते हैं।"
जयराम रमेश ने कहा कि, "कांग्रेस पार्टी चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट स्वतंत्र, निष्पक्ष हो और संविधान ने उनको जो अधिकार दिए हैं उनका पूरा सम्मान करना चाहिए। लेकिन ये बिलकुल साफ़ है कि जानबूझकर अलग-अलग आवाज़ें आ रही हैं और सुप्रीम कोर्ट को निशाना बनाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड से लेकर वक़्फ़ बोर्ड तक सरकार को लेकर कहा है कि जो उसने किया है वो ग़ैर संवैधानिक है।"
निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा के बयान पर एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन औवैसी ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने हैदराबाद में कहा कि ये लोग अब सुप्रीम कोर्ट को धमका रहे हैं। उन्होंने कहा कि, "आपको पता है संविधान का अनुच्छेद 142 क्या है, यह डॉ आंबेडकर का बनाया हुआ है, बीजेपी धोखाधड़ी करते हुए देश में धार्मिक युद्ध की धमकी दे रही है...आज आप लोग सत्ता में है, आप इतने कट्टर हो चुके हैं कि आप सुप्रीम कोर्ट पर धर्म युद्ध की धमकी दे रहे हैं।" उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को ऐसे लोगों को रोकना चाहिए जो देश को कमजोर करने में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि, "नहीं भूलना चाहिए कि देश इसे भूलेगा नहीं...।"
उधर झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता मनोज पांडे ने भी निशिकांत दुबे के बयान की निंदा की है। उन्होंने कहा कि, "देश में तानाशाही अब उस स्तर पर पहुंच गई है कि ये लोग अब सुप्रीम कोर्ट को धमका रहे हैं।" उन्होंने पूछा कि क्या ये लोग सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों से ज्यादा काबिल हैं?
समाजवादी पार्टी नेता एस टी हसन ने निशिकांत दुबे के बयान पर कहा है कि ये लोग वोट हासिल करने के लिए हिंदू-मुस्लिम की राजनीति कर रहे हैं। उन्होने कहा कि, "देश में अराजकता फैलाने के लिए यही लोग जिम्मेदार हैं। ये लोग अजान का विरोध करते हैं, हिजाब का विरोध करते हैं, मदरसों पर बुलडोजर चलाते हैं...यही लोग देश में गृह युद्ध जैसे हालात पैदा कर रहे हैं, न कि सुप्रीम कोर्ट...सुप्रीम कोर्ट तो देस के संविधान और लोकतंत्र को बचाने का काम कर रहा है।"
इस बीच सीपीआई नेता बिनॉय विश्वम ने भी निशिकांत के बयान की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि देश में सांप्रदायिकता भड़काने के लिए बीजेपी और आरएसएस ही जिम्मेदार हैं।
बीजेपी सांसदों के सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी किए जाने के बाद बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा है कि पार्टी दोनों सांसदों के बयानों से सहमत नहीं है। उन्होंने बीजेपी को इन बयानों से अलग करते हुए लंबा ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, "भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा का न्यायपालिका एवं देश के चीफ जस्टिस पर दिए गए बयान से भारतीय जनता पार्टी का कोई लेना–देना नहीं है। यह इनका व्यक्तिगत बयान है, लेकिन भाजपा ऐसे बयानों से न तो कोई इत्तेफाक रखती है और न ही कभी भी ऐसे बयानों का समर्थन करती है। भाजपा इन बयान को सिरे से खारिज करती है। भारतीय जनता पार्टी ने सदैव ही न्यायपालिका का सम्मान किया है, उनके आदेशों और सुझावों को सहर्ष स्वीकार किया है क्योंकि एक पार्टी के नाते हमारा मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय सहित देश की सभी अदालतें हमारे लोकतंत्र का अभिन्न अंग हैं तथा संविधान के संरक्षण का मजबूत आधारस्तंभ हैं। मैंने इन दोनों को और सभी को ऐसे बयान ना देने के लिए निर्देशित किया है।"
निशिकांत दुबे के बयान पर न्यायविदों ने भी चिंता जताई है। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने निशिकांत दुबे के बयान को बेहद गैरजिम्मेदाराना करार दिया है। उन्होने कहा कि संविधान में, सभी संवैधानिक संस्थाओं की भूमिका तय है। अगर संसद कोई कानून बनाता है, तो फिर राष्ट्रपति की उस पर मंजूरी ली जाती है तभी वह लागू होता है। उन्होंने कहा कि मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि अगर संसद के बनाए कानून को राष्ट्रपति मंजूरी न दें तो क्या वह वैध होगा? ऐसे में इस तरह के बयान देना बेहद गैरजिम्मेदाराना हैं।
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