बीजेपी को न तो राजधर्म निभाना आता है और न ही गठबंधन धर्म: सीपीआई (माले)

दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि शाहाबाद-मगध के इलाके से आने वाली खबरों ने बिहार से एनडीए की विदाई तय कर दी है। महागठबंधन ने रोजगार सहित जिन मसलों को अपना मुद्दा बनाया, उससे लोगों में उम्मीद पैदा हुई है। बिहार के लोग आज सुरक्षित व सम्मानजनक रोजगार चाहते हैं।

फोटो : सोशल मीडिया
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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्‍सवादी लेनिनवादी) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा है कि पहले चरण के मतदान में महागठबंधन ने निर्णायक बढ़त हासिल कर ली है। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि 'बीजेपी को न तो राजधर्म निभाना आता है, न ही गठबंधन धर्म।' पटना में एक प्रेस कांफ्रेंस में दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि एनडीए के चुनाव प्रचार में गिरते भाषाई स्तर से लोग दुखी हैं।

उन्होंने दावा करते हुए कहा, "एनडीए के नेताओं को अपने काम पर वोट मांगना चाहिए था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी जी या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिस तरह की भाषा में बात कर रहे हैं, उसे लोग पसंद नहीं कर रहे हैं।" भट्टाचार्य ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, "एनडीए टूट रहा है। इस बार बिहार में बीजेपी ने सोचा था कि नीतीश कुमार के सिर पर ठीकरा फोड़कर और एलजेपी को आगे करके अपनी दाल गला लेंगे, लेकिन अकेले-अकेले ये दोनों दल बिहार में कुछ भी नहीं हैं।"

सीपीआई (माले) महासचिव ने कहा, "बीजेपी न तो गठबंधन धर्म निभा सकती है, न हिंदू धर्म और न ही राजधर्म। बिहार की दुर्गति के लिए बीजेपी और जेडीयू बराबर के जिम्मेवार हैं।" उन्होंने कृषि कानून को किसान विरोधी कानून बताया और कहा कि इन कानूनों के खिलाफ चुनाव के बाद 26-27 नवंबर को किसानों का दिल्ली मार्च होगा।


दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि "शाहाबाद और मगध के इलाके से आने वाली खबरों ने बिहार से एनडीए की विदाई तय कर दी है। महागठबंधन ने रोजगार सहित जिन मसलों को अपना मुद्दा बनाया, उससे लोगों में भारी उम्मीद पैदा हुई है। बिहार के लोग आज सुरक्षित व सम्मानजनक रोजगार चाहते हैं। यही वजह है कि आज पहली बार भावनात्मक मुद्दों की जगह जनता के असली मुद्दे चुनाव के एजेंडे पर हैं।"

संवाददाता सम्मेलन में उनके साथ पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य और अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह और पोलित ब्यूरो की सदस्य कविता कृष्णन भी मौजूद थीं।

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