MP के दतिया में SIR के लिए नियुक्त सहयोगियों में BJP-RSS से जुड़े लोग, खुलासे के बाद DM ने मानी गलती
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने दतिया जिले के निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी की ओर से बीएलओ और उनके सहयोगियों की जारी सूची को ‘एक्स’ पर साझा किया और दावा किया कि इनमें से चार लोग बीजेपी से जुड़े रहे हैं। उन्होंने उन चार के नाम भी चिह्नित किए हैं।

मध्य प्रदेश के दतिया जिले में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में सोमवार को एक बड़ी गड़बड़ी सामने आई, जब बीजेपी और उसके पितृ संगठन आरएसएस से जुड़े कुछ लोगों को बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) के सहयोगी के रूप में नियुक्त कर दिया गया। इसका खुलास होने पर दतिया प्रशासन ने स्वीकार किया कि ‘गलती’ से कुछ ऐसे लोगों के नाम सहयोगी के रूप में सूची में जोड़ दिए गए जो राजनीतिक दलों से संबंधित थे लेकिन उसका इरादा ‘दुर्भावनापूर्ण’ नहीं था।
सूची के मुताबिक, दतिया एक बीएलओ को सहयोग के लिए दो से तीन सहयोगी नियुक्त किए गए हैं। निर्वाचन आयोग के निर्देश पर मध्य प्रदेश में एसआईआर के तहत घर-घर जाकर गणना का कार्य चार नवंबर को शुरू हुआ है जो चार दिसंबर तक जारी रहेगा जबकि मसौदा सूची नौ दिसंबर को प्रकाशित की जाएंगी।
कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने दतिया जिले के कार्यालय अनुविभागीय अधिकारी और निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी की ओर से बीएलओ और उनके सहयोगियों की जारी सूची को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर साझा किया और साथ ही दावा किया कि इनमें से चार लोग बीजेपी से जुड़े रहे हैं। उन्होंने जो सूची साझा की उनमें चार बीजेपी पदाधिकारियों के नाम भी चिह्नित किए।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘निर्वाचन आयोग के बाद अब प्रशासन भी सत्ता और संगठन की खुली कठपुतली की तरह नाचता दिखाई दे रहा है। दतिया कलेक्टर ने एसआईआर के नाम पर बीएलओ के सहयोगी बनाकर जो आधिकारिक आदेश जारी किया है उसमें पूर्व मंडल अध्यक्ष सहित बीजेपी के कई पदाधिकारियों की नियुक्ति सत्ता के दबाव की सबसे बेहूदी मिसाल है!’’
उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार एसआईआर को ‘संवैधानिक प्रक्रिया’ बताती है लेकिन असलियत यह है कि हर संवैधानिक व्यवस्था को भी पार्टी का एजेंडा लागू करने का साधन बना दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘एसआईआर को बीजेपी के रंग में रंगने की यह कोशिश लोकतंत्र का अपमान है। बीजेपी की इस चाल को कांग्रेस कामयाब नहीं होने देगी। हम प्रत्येक मतदाता के अधिकार को संरक्षण देने के लिए सजग है।’’
‘पीटीआई’ ने जब इन चिह्नित सहयोगियों के मोबाइल नंबरों पर बात की तो उनमें से एक ने स्वीकार किया कि वह बीजेपी से जुड़ा रहा है जबकि दूसरे ने कहा कि वह आरएसएस से जुड़ा है। ऐसे ही एक नियुक्त सहयोगी बॉबी राजा बुंदेला ने खुद को आरएसएस से जुड़ा बताया जबकि दूसरे नियुक्त सहयोगी मनीष मिश्रा ने स्वीकार किया कि वह बडौनी में बीजेपी की युवा इकाई भारतीय जनता युवा मोर्चो (भाजयुमो) से जुड़े हुए थे।
इस बारे में जब दतिया जिलाधिकारी स्वप्निल जी. वानखड़े से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि गलती से तीन लोगों के नाम इस सूची में आ गए थे। उन्होंने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘आदेश मैंने जारी नहीं किया था। इसे दतिया विधानसभा के एसडीएम (सब डिविजनल मजिस्ट्रेट) ने जारी किया था। उन्होंने अधिकारियों से सूची ली थी और उसमें तीन नाम गलत आ गए हैं।’’
जिलाधिकारी ने बताया कि उन्होंने एसडीएम को नोटिस जारी कर पूछा है और फिर एसडीएम ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। उन्होंने कहा, ‘‘इन लोगों को हटाया जा रहा है। सहायक बनाने के लिए अलग-अलग विभागों ने नाम भेजे थे। उसमें तीन नाम गलती से आ गए। हमारा इरादा दुर्भावनापूर्ण नहीं था। अधिकारी का भी ऐसा कोई इरादा नहीं था लेकिन उससे गलती हो गई। हमने उससे पूछा है कि वह कारण बताएं कि क्यों ऐसा हुआ?’’
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