मणिपुर मुद्दे पर अपने ही घर में घिरी बीजेपी! हिंसा से दुखी बिहार BJP प्रवक्ता ने दिया इस्तीफा

बिहार बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है। पार्टी के प्रवक्ता और मीडिया पैनलिस्ट विनोद शर्मा ने मणिपुर की घटना से दुखी होकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।

मणिपुर मुद्दे पर अपने ही घर में घिरी बीजेपी।
मणिपुर मुद्दे पर अपने ही घर में घिरी बीजेपी।
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नवजीवन डेस्क

मणिपुर में करीब तीन महीने से जारी बर्बरता के मुद्दे पर बीजेपी चौतरफा घिरी हुई है। मणिपुर से दो महिलाओं के नग्न परेड का शर्मनाक वीडियो सामने आने के बाद एक तरफ जहां देश बीजेपी सरकार से सवाल पूछ रहा है। वहीं, दूसरी तरफ विपक्ष निशाने साध रहा है, और बीजेपी सरकार की जिम्मेदारी को याद दिला रहा है। इस मुद्दे पर अब बीजेपी अपने ही घर में घिर गई है। बीजेपी को इस मुद्दे पर अपने घर में ही विरोध का सामना करना पड़ रहा है। बिहार बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है। पार्टी के प्रवक्ता और मीडिया पैनलिस्ट विनोद शर्मा ने मणिपुर की घटना से दुखी होकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।

इस छीछालेदर के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद मोदी और उनकी सरकार संसद में इस मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए तैयार नहीं हैं। इस मुद्दे पर संसद में चर्चा न हो पाए, इसके लिए केंद्र सरकार तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है। वह, राजस्थान और छत्तीसगढ़ का नाम ले रही है। और मणिपुर के साथ इन राज्यों पर भी संसद में चर्चा कराने के लिए कह रही है। सवाल यह है क्या इन दनों राज्यों में मणिपुर जैसा हाल है? क्या इन दोनों राज्यों में अराजकता फैली हुई है, लोगों के घर जलाए जा रहे हैं? बड़े पैमाने पर महिलाओं की इज्जत लूटी जा रही? इसका जवाब सभी को पता है।


संसद का मॉनसून सत्र जब से शुरू हुआ है, इस मुद्दे पर केंद्र सरकार घिरी हुई है। विपक्षी दल इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि पीएम मोदी सदन में आए और इस पर बयान दें। लेकिन केंद्र सरकार इसके लिए सीधे तौर पर तैयार नहीं है। आज भी संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। विपक्षी सांसद विरोध में काले कपड़े पहनकर संसद पहुंचे।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सदन चल रहा है, हम मांग कर रहे हैं कि पीएम मोदी वहां आएं और बयान दें, लेकिन वे राजस्थान में राजनीतिक भाषण दे रहे हैं और चुनाव की बात कर रहे हैं। जब वे वहां जा सकते हैं तो क्या आधे घंटे के लिए सदन में आकर बयान नहीं दे सकते? इसका मतलब है कि लोकतंत्र में उनकी कोई रुचि नहीं है, कोई विश्वास नहीं है। वे लोकतंत्र और संविधान की रक्षा नहीं करना चाहते, वे संसद का अपमान कर रहे हैं।

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