बिहारः बीजेपी की इस महीने दो वर्चुअल चुनावी रैली, कांग्रेस ने कोरोना संकट में असंवेदनशीलता करार दिया

कांग्रेस नेता ने कहा कि लॉकडाउन के कारण हादसों में सैकड़ों श्रमिकों की जान चली गई। ऐसे में मोदी सरकार के छह साल का जश्न मनाने और अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी़ नड्डा की वर्चुअल रैली का फैसला गरीबों और श्रमिकों के प्रति उनके असंवेदनशील होने का प्रमाण है।

फोटोः सोशल मीडिया
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आईएएनएस

देश भर में जारी कोरोना वायरस के कहर और उसके चलते लगाए लॉकडाउन से अस्त-व्यस्त हुई आम जिंदगी के बीच बीजेपी ने बिहार चुनाव के लिए अभी से कमर कस लिया है। बीजेपी ने बिहार चुनाव अभियान का एक तरह से आगाज करते हुए इस महीने केंद्र की मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का एक वर्ष पूरा होने पर जश्न मनाने और सोशल मीडिया के जरिए वर्चुअल रैली का आयोजन करने का फैसला किया है।

कांग्रेस ने बिहार समेत देश के समक्ष खड़ी चुनौती के बीच चुनावी रैली को बीजेपी नेताओं की असंवेदनशीलता का प्रमाण बताया है। बिहार कांग्रेस के नेता और युवा कांग्रेस की बिहार इकाई के पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार ने कहा कि देश में आज करीब 2 लाख लोग कोरोना से संक्रमित हैं और 5815 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है, जबकि बिहार में अब तक लगभग चार हजार लोग कोरोना से संक्रमित हैं और 24 लोगों की माौत हो चुकी है। ऐसे में सरकार का जश्न मनाना और वर्चुअल रैली का आयोजन असंवेदनशीलता का प्रमाण है।

कांग्रेस नेता ने कहा, "लॉकडाउन की वजह से सड़क और ट्रेन हादसों में सैकड़ों श्रमिकों की मौत हुई है। इस तरह की स्थिति में मोदी सरकार के छह साल पूरे होने पर जश्न मनाने और गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जे पी़ नड्डा की वर्चुअल रैली का आयोजन करने का फैसला जनता, खासकर गरीबों और श्रमिकों के प्रति उसके असंवेदनशील होने का प्रमाण है।"

कांग्रेस नेता ने बीजेपी से सवाल किया, "आखिर किस बात का वह जश्न मनाना चाहती है। पिछले छह वर्षो में देश में सरकार के फैसलों से गरीब, मजदूरों, किसानों, छात्रों, मध्यम वर्ग, निम्न मध्यम वर्ग के लोगों पर लगातार चोट किया गया है। महंगाई और बेरोजगारी बढ़ी है। क्या अमित शाह समेत उसके अन्य नेता वर्चुअल रैली के माध्यम ऐसे लोगो की तकलीफों पर नमक छिड़कना चाहते हैं।"

बिहार कांग्रेस के नेता ने कहा कि बीजेपी नेताओं को राजनीतिक भाषणों के बजाय बिहार के गरीबों, प्रवासी श्रमिकों, बेरोजगार युवकों के रोजगार के उपाय और उनके खातों में तत्काल 10 हजार रुपये भेजने की व्यवस्था करनी चाहिए थी। लेकिन इसके बजाय इस त्रासदी में चुनावी रैली कर बीजेपी असंवेदनशीलता का प्रमाण दे रही है।

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