लोकसभा चुनाव के दौरान बंगाल में बीजेपी का हनुमान बने कार्यकर्ता ने एनआरसी के खौफ में खुदकुशी की

निभाष सरकार ने 2019 के लोकसभा चुनावों में हनुमान की भेष बनाकर बीजेपी के लिए प्रचार किया था। सोशल मीडिया पर उसकी तस्वीरें और वीडियो खूब वायरल हुए थे। एनआरसी के खौफ में बंगाल में अब तक करीब 20 लोग आत्महत्या कर चुके हैं।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया

लोकसभा चुनावों के दौरान पश्चिम बंगाल में बीजेपी का प्रमुख चेहरा रहे निभाष सरकार ने एनआरसी में नाम न आने की आशंका के चलते खुदकुशी कर ली। लोकसभा चुनावों के दौरान हनुमान के भेष में घूमने वाले निभाष सरकार की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थीं। लेकिन शुक्रवार (4 अक्टूबर) को निभाष सरकार ने अपने गांव हंसखाली में आत्महत्या कर ली। गौरतलब है कि हाल में कोलकाता आए बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि अब एनआरसी पूरे देश में लागू किया जाएगा और सभी गैरकानूनी प्रवासियों को बाहर निकाला जाएगा।


ध्यान रहे कि निभाष सरकार ने रानाघाट लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार जगन्नाथ सरकार के लिए खूब प्रचार किया था। निभाष की आत्महत्या के मामले की शुरुआती जांच के बाद पुलिस का कहना है कि निभाष ने किसी जहरीले पदार्थ का सेवन कर जान दी है। पुलिस के मुताबिक हालत बिगड़ने पर निभाष को शक्तिनगर जिला अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन उन्होंने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।

हालांकि निभाष के परिवारवालों का कहना है कि निभाष ने एनआरसी के भय से आत्महत्या नहीं की है। नेशनल हेरल्ड ने निभाष के पड़ोसी दीपक रॉय से फोन पर बात की, जिनका कहना है कि निभाष के परिवार वाले आत्महत्या का वजह बताने में हिचक रहे हैं।

दीपक रॉय बताते हैं, “यहां बहुत सारे बांग्लादेशी शरणार्थी हैं। और उन्हें एनआरसी शब्द से खौफ आ जाता है, क्योंकि असम में तो करीब 12 लाख हिंदू भी एनआरसी से बाहर हो गए हैं। वे लोग घबराए हुए हैं, लेकिन कर भी क्या सकते हैं। उनके पास कोई दस्तावेज़ तो हैं नहीं। निभाष के साथ भी ऐसा ही था। मैं यहां पैदा हुआ हूं, बढ़ा हूं, मैं यहां सबको जानता हूं, यहां तक कि बीजेपी उम्मीदवार जगन्नाथ सरकार भी एक शरणार्थी ही है।”


वहीं सीपीएम पोलित ब्यूरो सदस्य और पूर्व सांसद मोहम्मद सलीम भी दावा करते हैं कि निभाष ने अमित शाह के बयान के बाद एनआरसी के डर से खुदकुशी की है। इसके अलावा सीपीएम के जिला सचिव सुमित डे का कहना है कि, “हमारे सूत्र बताते हैं कि वह एनआरसी से बहुत ज्यादा भयभीत था। हमने इस मामले में जांच की मांग की है ताकि उसकी आत्महत्या का असली कारण सामने आ सके।” निभाष के एक और पड़ोसी ने बताया कि, “निभाष के बड़े भाई भले ही कहते रहे कि उसे नशे की लत थी, लेकिन हमें पता है कि ऐसा कुछ नहीं है। ये लोग खाते-पीते लोग हैं, यहां का घर उन्होंने किराए पर उठा रखा है। निभाष राजस्थान के उदयपुर में काम करता था। दरअसल असम में एनआरसी आने के बाद से ही यहां के तमाम आप्रवासियों में भय है।”

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Published: 05 Oct 2019, 4:00 PM