भाकियू का ऐलान: किसानों को परेशान किया तो थानों में बांध देंगे गाय-भैंस, ट्रॉली रोकी तो जाम कर देंगे एक्स्प्रेस वे

किसान आंदोलन के बीच भारतीय किसान यूनियन ने चेतावनी दी है कि अगर पुलिस ने किसी भी तरह से आंदोलनकारी किसानों को परेशान किया तो थानों में गाय-भैंस बांध देंगे और इसकी aजिम्मेदारी सरकारी की होगी। उन्होंने कहा कि किसानों का उत्पीड़न कहीं भी बरदाश्त नहीं होगा।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया

केंद्र के विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ सोमवार को भूख हड़ताल खत्म होने के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने चेतावनी दी है कि अगर पुलिस ने किसानों को परेशान किया तो वो थानों में गाय-भैंस बांध देंगे। बीकेयू नेता ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि, “आज जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन और यूपी गेट पर अनशन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।“ उन्होंने कहा कि ऐसी खबरें हैं कि कई जगह किसानों की ट्रॉलियां रोकी जा रही है और किसानों को परेशान किया जा रहा है। उन्होंने साफ कहा कि अगर पुलिस प्रशासन किसानों की ट्रॉली को रोकेगा तो पूरा एक्सप्रेस वे जाम कर देंगे। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया कि वहां किसानों को परेशान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के किसानों को रोका जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब भारतीय किसान यूनियन किसानों का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि “अगर किसानों को रोका गया तो हम गाजीपुर बॉर्डर रोक देंगे। जिस थाने में किसानों को रोका जाएगा, हमारे स्थानीय कार्यकर्ता वहीं पशुओं को बांधने का काम करेंगे।“

राकेश टिकैत ने आगे कहा कि लड़ाई लंबी है। राज्य सरकार इसमें दखल न दे। उन्होंने साफ कहा, “…किसानों से आप जीत नहीं सकते…हम किसान हैं…किसानों का मकसद उनकी मांगे हैं न कि सरकार को अस्थिर करना…हम राजनीतिक दल नहीं हैं। सरकार हमारी मांगों का निस्तारण करे। सर्दी के मौसम में खुले आसमान में कोई ऐसे ही नहीं रुकता है। यह खेती व पेट का सवाल है।“


ध्यान रहे कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसान बीते 18 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं। इस दौरान सरकार के साथ हुई कई दौर की बातचीत बेनतीजा रही है। किसान सरकार से तीनों कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक सिर्फ कुछ प्रस्ताव ही किसानों के सामने रखे हैं। राकेश टिकैत ने साफ किया कि “यह अफवाह फैलाई जा रही है कि चिल्ला बॉर्डर पर बैठे आंदोलनकारी किसान उठ गए हैं, जो किसान आंदोलन से उठे हैं, उनसे हमारा कोई लेना-देना नही है। कुछ किसान संगठन सरकार के सरकारी संगठन होते है, उनसे हमारा कोई मतलब नही है, जिसे उठना है उठ जाए, हम तो यहीं डटे हैं और कृषि कानून वापस होने तक यहीं डटे रहेंगे।“

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