बजट: CM खट्टर ने फिर दिखाए मुंगेरीलाल के सपने! 7 साल के कार्यकाल पर सवाल करना छोड़ अब 2030 तक करें इंतजार

रोजगार के हालात प्रदेश में इतने खराब हैं कि बेरोजगारी लगातार 20 से 34 फीसदी (सीएमआईई के मुताबिक) के बीच झूल रही है, जो देश में सर्वाधिक है। लेकिन खट्टर सरकार के बजट में महज सपने परोसे गए हैं।

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धीरेंद्र अवस्थी

कमाल की है मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार। देश की अर्थव्‍यवस्‍था 5 ट्रिलियन डॉलर बनाने की बात बेशक मोदी सरकार भूल चुकी है, लेकिन खट्टर सरकार को याद है। हरियाणा के बजट में सीएम खट्टर ने प्रधानमंत्री मोदी के इस संकल्‍प को पूरा करने के लिए हरियाणा का योगदान बढ़ाने का लक्ष्‍य तय किया है। जैसे केंद्र की मोदी सरकार ने 25 साल का विजन देते हुए 2047 के सपने दिखाए हैं। वैसे ही खट्टर ने 2030 के सपने दिखाए हैं। मतलब अब आप सात साल के कार्यकाल पर सवाल करना छोड़ 2030 तक इंतजार करें।

हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल ने वित्‍तमंत्री के तौर पर 2022-23 के लिए 1,77,255.99 करोड़ रुपये का बजट पेश किया। तीसरी बार बजट पेश कर रहे मुख्‍यमंत्री अपनी 74 पेज की बजट स्‍पीच में केंद्र की मोदी सरकार की खींची लकीर पर ही चलते नजर आए। सरकार के तय किए लक्ष्‍यों और उनकी जमीनी तस्‍वीर पेश करने की जगह वह भविष्‍य के सपने परोसते रहे। न रोजगार और स्‍वास्‍थ्‍य जैसे क्षेत्रों की सामने आई भयावह तस्‍वीर का समाधान दिखा। न संकट का सामना कर रही कृषि और किसानों की नाराजगी का कोई समाधान। और तो और सरकार ने प्रदेश पर कर्ज के हालात बजट में बताना ही छोड़ दिया है। 7 साल में खट्टर सरकार ने तकरीबन डेढ़ लाख करोड़ से ज्‍यादा का कर्ज लिया है। यानि की हर साल सरकार 20 हजार करोड़ से ज्‍यादा का कर्ज ले रही है। इस सरकार के सत्‍ता संभालते वक्‍त 2014 में प्रदेश पर जो कर्ज करीब 70 हजार करोड़ था वह अब बढ़ कर तकरीबन सवा दो लाख करोड़ हो गया है।

प्रदेश में कर्ज के हालात सरकार ने पीएम मोदी के 'सब कुछ चंगा सी' वाले अंदाज में बताए हैं। कहा गया है कि सरकार के कुशल प्रबंधन से हम बाजार की उधारी को 40, 872 करोड़ रुपये की अनुमति सीमा के मुकाबले 30, 820 करोड़ रुपये तक सीमित रखने में सफल रहे।


परिणामस्‍वरूप 2021-22 में राजकोषीय घाटा जीएसडीपी का 2.99 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो पंद्रहवें वित्‍त आयोग की ओर से तय 3.5 प्रतिशत की सीमा के अंदर है। मतलब सरकार ने बड़ी सफाई से यह तो बता दिया कि हमने बीते वर्ष 30,820 करोड़ का कर्ज लिया है। लेकिन कर्ज के संपूर्ण हालात बताने से भाग गई। यहीं सवाल खड़ा होता है कि जब पिछले वर्ष वह अधिकतम विभागों में आवंटित बजट का 70 फीसदी तक ही मुश्किल से खर्च कर पाई तो यह पैसा गया कहां। उसमें भी दुष्‍यंत चौटाला के पास रहे पंचायत विभाग में तो आवंटित बजट का महज करीब 35 फीसदी ही खर्च हुआ। इसके साथ सरकार ने बताया है कि वित्‍त वर्ष 2021-22 के लिए कुल कर्ज जीएसडीपी का 24.98 प्रतिशत रखकर सफलतापूर्वक नियंत्रित किया गया है, जो 32.6 प्रतिशत की निर्धारित सीमा से कम है। मतलब यदि सरकार की ही मानें तो हरियाणा पर राज्‍य की अर्थव्‍यवस्‍था के कुल साइज के अनुपात में 25 फीसदी कर्ज है, जो गंभीर होने के बावजूद उसकी चिंता का विषय नहीं है।

अगले 25 साल को 'अमृत काल' घोषित करने वाली मोदी सरकार के तर्ज पर भयावह तबाही से गुजरी प्रदेश की अर्थव्‍यवस्‍था का भी 'अमृत काल' घोषित करते हुए मुख्‍यमंत्री ने अपनी स्‍पीच का आरंभ ही प्रधानमंत्री के आत्‍मनिर्भर भारत के लिए 2047 के विजन को साकार करने के संकल्‍प से किया। जाहिर है अमृत काल में ही यह संभव है। तभी तो भारत की अर्थव्‍यवस्‍था को पांच ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का सपना परोसने वाली मोदी सरकार बेशक अब इस शब्‍द को भूल गई है, लेकिन खट्टर सरकार को याद है। तभी सीएम ने संकल्‍प जताते हुए कहा कि मैं इस बजट को राष्‍ट्रीय अर्थव्‍यवस्‍था में हरियाणा के 3.4 प्रतिशत के वर्तमान योगदान को चार प्रतिशत करके प्रधानमंत्री के इस लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के लिए एक अवसर के रूप में देख रहा हूं। यही हमारा विजन है।

रोजगार के हालात प्रदेश में इतने खराब हैं कि बेरोजगारी लगातार 20 से 34 फीसदी (सीएमआईई के मुताबिक) के बीच झूल रही है, जो देश में सर्वाधिक है। लेकिन बजट में महज सपने परोसे गए हैं। सरकार ने बड़े आकर्षक शब्‍दों का इस्‍तमाल करते हुए कहा है कि महामारी के बाद भौतिक विकास और मानव विकास के प्रमुख पहलुओं के रूप में युवा उद्यमिता और रोजगार सृजन पर अधिक बल दिया है। परिवार पहचान पत्र से बेरोजगार युवाओं की वास्‍तविक संख्‍या सामने आई है। अब सरकार के परिवार पहचान पत्र का हाल देखिए कि मार्च, 2021 में सीएम ने कहा था कि पीपीपी के अनुसार 8.36 लाख लोग बेरोजगार हैं, जबकि जून, 2021 में कहा कि 5-6 लाख बेरोजगार हैं।

रोजगार मंत्री ने कहा कि प्रदेश में सिर्फ 4 लाख बेरोजगार हैं, जबकि दो महीने पहले सीएम ने राज्‍य में बेरोजगारी का आंकड़ा 10.59 लाख बताया। मतलब साफ है कि सरकार बेरोजगारों के भविष्‍य से खेल रही है। सीएमआईई ने फरवरी में प्रदेश में बेरोजगारी दर 31 प्रतिशत बताई है, जबकि जनवरी में यह 23.4 तो दिसंबर में 34.4 फीसदी बताई थी। मतलब रोजगार के हालात इतने भयावह हैं कि प्रदेश में हर तीसरा-चौथा युवा बेरोजगार है। बजट में सरकार कह रही है कि निजी क्षेत्र में रोजगार के लिए हम राज्‍य में 200 रोजगार मेले लगाएंगे। नव-स्‍थापित विदेश सहयोग विभाग में हरियाणा विदेश रोजगार प्‍लेसमेंट सेल स्‍थापित किया जाएगा। कमाल है राज्‍य में रोजगार वह दे नहीं पा रही है और विदेश में रोजगार के सपने दिखा रही है।

कौशल विकास और रोजगार क्षेत्र के लिए सरकार ने बजट में 1671.37 करोड़ आवंटित किए हैं। इन्‍हीं सपनों की श्रंखला में कोराना काल में तड़प-तड़प कर मरे लोगों के जीवन बचाने में नाकाम रहे स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के लिए एक बार फिर राज्‍य के हर जिले में मेडिकल कालेज बनाने की बात की गई है, जो 2014 से कही जा रही है। सरकार ने कहा है कि महेंद्रगढ़, भिवानी, जींद और गुरुग्राम में वह नए मेडिकल कालेज खोलने जा रही है, जिस पर 2600 करोड़ खर्च होने की संभावना है। कैथल, सिरसा व यमुनानगर में नए मेडिकल कालेज खोलने की भी मंजूरी देने की बात कही है, जिसके लिए डीपीआर तैयार की जा रही है। पलवल, चरखीदादरी, पंचकूला और फतेहाबाद में भी मेडिकल कालेज खोलने की घोषणा की है, जिसकी प्रक्रिया अगले तीन महीने में शुरू की जाएगी। यह अलग बात है कि विस चुनाव से पहले रेवाड़ी एम्‍स के लिए केंद्र सरकार की ओर से विशेष बजट का प्रावधान करने के बावजूद अभी तक एक ईंट तक न लगने की चर्चा करना भी सीएम ने मुनासिब नहीं समझा। कृषि क्षेत्र में मेरी फसल, मेरा ब्‍यौरा और भावांतर भरपाई जैसी सरकार की पुरानी योजनाओं को दोहरा दिया गया है। यहां भी वर्ष 2030 तक के सपने दिखाते हुए बागवानी क्षेत्र को दोगुणा और उत्‍पादन को तीन गुणा करने की बात कही गई है।


किसानों की आय दोगुणी करने और किसानों से हुआ समझौता लागू करने की चर्चा भी करना सरकार को गवारा नहीं हुआ। शिक्षा नीति में भी 2030 की बात करते हुए सभी कालेजों में कम से कम 10 स्‍मार्ट क्‍लासरूम होने का लक्ष्‍य तय कर दिया है। इसका मतलब है अभी कोई स्‍मार्ट क्‍लास रूम नहीं है। 20, 659 मकान बनाए गए हैं, जबकि 20000 मकान 2022-23 में बनाने का लक्ष्‍य तय करते हुए सभी के लिए आवास का सपना दिखाते हुए 383.11 करोड़ आवंटित किए हैं। स्‍मार्ट सिटी का अब कोई नाम लेवा नहीं है। एक नए जुमले के साथ 'दिव्‍य नगर' योजना लांच करते हुए फिर नए सपने दिखाए गए हैं। इसमें वाटिका क्‍लस्‍टर, ऑक्‍सी-वन, पार्क, ग्रीन स्‍पेस, सार्वजनिक पुस्‍तकालय, सांस्‍कृतिक केंद्र और खेल सुविधाएं राज्‍य सरकार बनाएगी, लेकिन शहरी विकास तथा नगर एवं ग्राम आयोजन का बजट 9193 करोड़ से कम कर 8469 करोड़ कर दिया गया है। विद्युत एवं गैर परंपरागत उर्जा का बजट भी 7876 करोड़ से कम कर 7203 करोड़ कर दिया गया है। सहकारिता में भी बातें तो बड़ी की गई हैं, लेकिन बजट कम कर 2068 करोड़ से 1537 करोड़ कर दिया गया है। 2021-22 के 1,53,384.40 करोड़ के मुकाबले 1,77,255.99 करोड़ का बजट पेश करते हुए मुख्‍यमंत्री ने हर राजकोषीय मानक पर राज्‍य की शानदार तस्‍वीर पेश की है। लोगों से अपेक्षा की गई है कि सरकार से सवाल पूछने की जगह अब वह अमृतकाल में जिएं और विजन पूरा होने का इंतजार करें।

पूरे विपक्ष ने सरकार के इस बजट पर हमला बोल दिया है। कांग्रेस के महासचिव रणदीप सुरजेवाला का कहना है कि बीजेपी-जजपा सरकार के 'क़र्ज़ा लेकर घी पीने, पर कुछ ना करने' के फार्मूले पर आधारित दिशाहीन बजट से हरियाणा में कर्जा तो बढ़ा पर जनता को कुछ नहीं मिला।

सुरजेवाला का कहना है कि वर्ष 2014-15 तक हरियाणा पर कुल ऋण 70,931 करोड़ रुपए था, जो मार्च 2022 में 215 प्रतिशत से ज़्यादा बढ़कर 2,23,768 करोड़ हो गया है। वर्ष 1966 से 2014 तक यानि 48 साल में विभिन्न सरकारों ने केवल 70,931 करोड़ रुपए ऋण लिया, पर वर्तमान भाजपा सरकार ने सात साल में ही 1,52,837 करोड़ रुपए ऋण लिया। सबसे बड़ा सवाल है कि पिछले सात-आठ साल में हरियाणा सरकार ने सब चीज़ों पर टैक्स बढ़ाए, प्रदेश में कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं शुरू हुआ, स्कूल-अस्पताल नहीं बने, एक लाख से ज़्यादा सरकारी पद ख़ाली पड़े हैं, तो फिर 1,52,837 करोड़ रुपए जो ऋण में लिए गए, वह कहां खर्च हुए?

पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा का कहना है कि बजट कोरी भाषणबाजी और भ्रामक आंकड़ेबाजी का मिश्रण है। बजट को हर बार बढ़ा चढ़ाकर दिखाया जाता है लेकिन बाद में उसे संशोधित करके कम कर दिया जाता है। ऐसा लगता है मानो सरकार ‘आगे दौड़, पीछे छोड़’ की नीति पर चल रही है। सरकार ने रिकॉर्ड बेरोजगारी में भी आर्थिक प्रगति व ढांचागत बजट में 3 प्रतिशत की कटौती कर दी। पिछले साल के मुकाबले शिक्षा के बजट को भी कम कर दिया गया। प्रदेश पर कर्ज की मात्रा बढ़कर करीब ढाई लाख करोड़ हो चुका है। पिछले साढ़े सात साल में इस सरकार ने कोई मेडिकल कॉलेज प्रदेश में नहीं बनाया। स्वास्थ्य महकमे में करीब 10,000 पद खाली पड़े हैं। इसी तरह शिक्षा विभाग में करीब 50,000 पद खाली पड़े हुए हैं। किसानों की आय 2022 में डबल करने को लेकर बजट में कोई जिक्र नहीं है। 5100 रुपये बुढ़ापा पेंशन देने का वादा करके सत्ता में आए गठबंधन ने पेंशन में कोई बढ़ोतरी नहीं की। कर्मचारियों की सबसे बड़ी मांग पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने से सरकार ने इंकार कर दिया। बजट में रोजगार सृजन के लिए कोई प्रावधान नहीं है।

इनेलो विधायक अभय चौटाला का कहना है कि मुख्यमंत्री ने बजट को 25 साल तक का रोड मैप बताया है, जिसमें 15 से लेकर 60 प्रतिशत की बढ़ोतरी दिखाई है जो पूर्णतया गुमराह करने वाला है। सरकार की पिछले कर्ज की अदायगी लगभग 56 हजार करोड़ बनती है, उसको चुकाने के लिए ही 55 हजार करोड़ का कर्ज ले रही है।

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