बुलंदशहर हिंसा: बवाल करने की थी पहले से तैयारी, मीडिया को भी दिया गया था न्योता

बुलंदशहर हिंसा को लेकर मौके पर मौजूद एक स्थानीय पत्रकार ने बताया कि उन्हें प्रदर्शन कर रहे लड़कों में से एक युवक का कॉल आया और उसने उन्हें कहा कि इस खबर को आप कवर कीजिए और मेरा नाम जरूर लिखिएगा।

फोटो: सोशल मीडिया 
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नवजीवन डेस्क

बुलंदशहर हिंसा की पटकथा पहले से ही बननी शुरू हो गई थी। एक खेत में गायों के मृत मिलने के बाद गांव के कुछ लड़कों ने अखबार में अपना नाम छपवाने के लिए मामले को तूल देना शुरू कर दिया। गांव कनेक्शन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन लड़कों ने गाय के कंकाल को स्‍याना-बुलंदशहर हाइवे पर लेकर जाने और प्रदर्शन करने की योजना बनाई थी, जिससे उनका नाम और फोटो प्रमुखता से प्रकाशित हो।

रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी के बुलंदशहर के एक गांव में गन्ने के एक खेत में एक या अधिक गायों के मृत शरीर के टुकड़े मिले थे। गांव के कुछ लड़के चाहते थे कि मामला धार्मिक उन्माद में तब्दील हो और अखबार में उनकी तस्वीर छपे। लड़कों ने पास के महाव गांव में आनन-फानन में एक ट्रैक्टर और ट्राली का इंतजाम किया और उस पर गायों के शवों को लाद दिया।

रिपोर्ट के मुताबिक, इसके कुछ घंटे पहले ही करीब साढ़े 9 बजे महाव गांव के खेत में गाय के कंकाल मिलने की सूचना स्‍याना थाने को दी गई थी। सूचना मिलने के बाद सिपाही मौके पर पहुंचने के लिए रवाना हो गए।

रिपोर्ट में बताया गया है कि चौकी में खाना बनाने का काम करने वाली भागवती वहां मौजूद थी, जिस दौरान सिपाहियों को गांव में कंकाल मिलने की सूचना मिली थी। भागवती के मुताबिक, “इसके तुरंत बाद इंस्‍पेक्‍टर सुबोध कुमार सिंह की गाड़ी भी महाव की ओर जाती दिखी।” उसके बाद खबर आई कि भीड़ के हमले में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की जान चली गई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि उपद्रवी लड़के खबर को फैलाने के लिए पत्रकारों को फोन करने में लग चुके थे और इस दौरान दंगा करवाने की मशीनरी काम पर लग गई थी। गांव के एक प्रत्यक्षदर्शी के हवाले से बताया गया कि सुबोध कुमार ने गांव पहुंच कर ग्रामीणों से बात करके मामले को शांत करा दिया था और इस दौरन जिस खेत में गाय का कंकाल मिला था, उसका मालिक भी थाने में शिकायत लिखवाने के लिए तैयार हो गया था।

मौके पर पहुंचे एक रिपोर्टर ने जानकारी दी, “जब घटना की सूचना मिलने के बाद मैं मौके पर पहुंचा तो देखा कि इंस्‍पेक्‍टर सुबोध कुमार सिंह और तहसीलदार राजकुमार भाष्‍कर गांव वालों को समझाने में लगे हुए थे। लेकिन अगले ही पल मामला पलटने लगा और तभी इस भीड़ में स्‍याना से आए एक खास गुट से जुड़े लोग शामिल हो गए और नारेबाजी करने लगे। इस दौरान पास के ही गांव नया बांस का रहने वाला बजरंग दल का जिला संयोजक योगेश राज भी अपने साथ कई युवकों को लेकर वहां पहुंच गया। इन लड़कों ने मुझसे कहा कि हम गाय के कंकाल को स्‍याना-बुलंदशहर हाइवे पर लेकर जाएंगे, जहां नारेबाजी और प्रदर्शन करेंगे, आप इसे प्रमुखता से कवर करें।”

मौके पर मौजूद एक स्थानीय पत्रकार ने बताया, “मुझे प्रदर्शन कर रहे लड़कों में से एक युवक का कॉल आया और उसने मुझसे कहा कि इस खबर को आप कवर कीजिए, मेरा नाम जरूर लीखिएगा।”

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