बंगाल में जल्द हो सकते हैं उपचुनाव, ममता के लिए बड़ी राहत, मिलेगा विधानसभा पहुंचने का मौका

चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम तारीखों के बारे में कुछ नहीं बता सकते, क्योंकि यह आयोग द्वारा तय किया जाएगा, लेकिन यह तय है कि आयोग उपचुनाव की तैयारी कर रहा है और एफएलसी उसी दिशा में पहला कदम है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

चुनाव आयोग ने बंगाल में ऐसे कई विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव कराने की तृणमूल कांग्रेस की मांग को आखिरकार मंजूरी दे दी है, जहां मौजूदा विधायकों के इस्तीफे या मौत के कारण सीटें खाली पड़ी हैं। ऐसे जिलों के निर्वाचन अधिकारियों को लिखे पत्र में राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) ने उनसे ईवीएम और वीवीपीएटी के लिए प्रत्यक्ष परीक्षण की व्यवस्था करने को कहा है।

कोलकाता, उत्तर और दक्षिण 24 परगना, नदिया और कूचबिहार सहित पांच जिलों के डीईओ को 16 जुलाई को लिखे पत्र में सीईओ आरिज आफताब ने उन्हें सभी ईवीएम और वीवीपीएटी की प्रथम स्तर की जांच (एफएलसी) करने का निर्देश दिया, जो कि चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित मानक प्रोटोकॉल हैं। सीईओ ने कहा कि एफएलसी के दौरान सैनिटाइजेशन, सोशल डिस्टेंसिंग और फेस कवरिंग जैसे सभी मानक प्रोटोकॉल का पालन किया जाना चाहिए।

आयोग द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार, एफएलसी 3 अगस्त से शुरू होगा और 6 अगस्त तक पूरा करना होगा। चुनाव आयोग के कार्यक्रम के अनुसार, कुल मिलाकर 3,414 ईवीएम और इतने ही वीवीपैट हैं और कुल मिलाकर 62 इंजीनियरों को जांच के लिए तैनात किया जाएगा। प्रक्रिया के बारे में आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम तारीखों के बारे में कुछ नहीं बता सकते, क्योंकि यह आयोग द्वारा तय किया जाएगा, लेकिन यह निश्चित है कि चुनाव आयोग उपचुनाव की तैयारी कर रहा है और एफएलसी उस दिशा में पहला कदम है। कई अन्य कारक हैं, जिन पर अंतिम तिथियों की घोषणा से पहले विचार करने की आवश्यकता है।

चुनाव आयोग के ये निर्देश छह सदस्यीय तृणमूल कांग्रेस संसदीय दल के प्रतिनिधिमंडल के गुरुवार को चुनाव आयोग से मुलाकात करने और छह खाली विधानसभा सीटों पर जल्द से जल्द उपचुनाव कराने का आग्रह करने के बाद आए हैं। आयोग को सौंपे गए एक ज्ञापन में, पार्टी ने कहा कि राज्य में कोरोना वायरस मामलों की घटती संख्या को देखते हुए उपयुक्त कोविड प्रोटोकॉल के साथ उपचुनाव आयोजित करने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं।


बता दें कि बंगाल में उपचुनाव मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो नंदीग्राम में बीजेपी के सुवेंदु अधिकारी से विधानसभा चुनाव हार गईं थीं। दरअसल संविधान किसी व्यक्ति को राज्य विधायिका या संसद के लिए चुने बिना केवल छह महीने तक मंत्री या मुख्यमंत्री के पद पर रहने की अनुमति देता है। छह महीने के अंदर विधायिका का सदस्य नहीं बनने पर अवधि की समाप्ति के बाद उसे हटना होगा। इसलिए जरूरी है कि ममता बनर्जी बंगाल की मुख्यमंत्री बने रहने के लिए 4 नवंबर तक विधानसभा के लिए निर्वाचित हो जाएं।

इससे पहले उपचुनाव के बारे में पूछे जाने पर सीएम ममता बनर्जी ने कहा था कि चुनाव आयोग ने हमसे दो राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव के बारे में पूछा है, लेकिन उसने विधानसभा सीटों के बारे में कुछ नहीं पूछा। हमने सूचित किया है कि हम राज्यसभा और विधानसभा की जो सीटें खाली पड़ी हैं, दोनों के लिए चुनाव कराने के लिए पर्याप्त रूप से तैयार हैं।

बता दें कि बंगाल में दिनहाटा और शांतिपुर विधानसभा सीटें बीजेपी नेताओं निसिथ प्रमाणिक और जगन्नाथ सरकार के विधायक पद से इस्तीफा देने और संसद की सदस्यता बरकरार रखने से खाली हुई हैं। वहीं, राज्य के मंत्री सोवन्देब चट्टोपाध्याय द्वारा सीट पर चुनाव कराने के लिए इस्तीफा देने के बाद भवानीपुर का बोरो भी खाली हो गया है। उत्तर और दक्षिण 24 परगना में खरदाह और गोसाबा सीटों के लिए उपचुनाव क्रमश: तृणमूल विधायकों काजल सिन्हा और जयंत नस्कर की मौत के कारण होना है, जिन्होंने कोविड -19 के कारण दम तोड़ दिया था।हालांकि, दो विधानसभा क्षेत्रों मुर्शिदाबाद के समसेरगंज और जंगीपुर के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं है, जो चुनाव के दौरान उम्मीदवारों की मौत के बाद से खाली हैं।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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