नरसिंहानंद और सुरेश चव्हाणके पर भड़काऊ भाषण देने का केस दर्ज, दिल्ली में हिंदू महापंचायत का मामला

महापंचायत को लेकर पत्रकारों की शिकायतों पर भी अलग-अलग मामले दर्ज किए गए हैं, जिन्होंने आरोप लगाया कि कार्यक्रम को कवर करने के दौरान उनके साथ मारपीट की गई। यही नहीं, पत्रकारों का यह भी आरोप है कि पुलिस ने उल्टा उन्हें ही हिरासत में ले लिया था।

फोटोः IANS
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नवजीवन डेस्क

दिल्ली पुलिस ने राजधानी में हिंदू महापंचायत के दौरान भड़काऊ भाषण देने के मामले में सभा के आयोजकों के साथ डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद और सुदर्शन न्यूज के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाणके सहित कई लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। इस कार्यक्रम का आयोजन रविवार को किया गया था।

पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) उषा रंगनानी ने बताया कि आरोप है कि कार्यक्रम के दौरान डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद सरस्वती और सुदर्शन न्यूज के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाणके सहित कुछ वक्ताओं ने दो समुदायों के बीच वैमनस्य, शत्रुता, घृणा या दुर्भावना को बढ़ावा देने वाले शब्द कहे।

वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की है कि हिंदू महापंचायत सभा के आयोजन की अनुमति के लिए अनुरोध पत्र उत्तर-पश्चिम जिले में आयोजक प्रीत सिंह, अध्यक्ष, सेव इंडिया फाउंडेशन से प्राप्त हुआ था। हालांकि, अनुरोध को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया गया कि आयोजक को बुराड़ी ग्राउंड में इस सभा के आयोजन के लिए दल्ली विकास प्राधिकरण से कोई अनुमति नहीं मिली थी।

अनुरोध ठुकराने पर भी पुलिस के अनुसार उक्त आयोजक प्रीत सिंह सुबह अपने समर्थकों के साथ बुराड़ी मैदान पहुंचे और हिंदू महापंचायत सभा का आयोजन करने लगे। रंगनानी ने कहा, "700-800 लोग कार्यक्रम स्थल पर जमा हो गए और आयोजक के आमंत्रित लोगों ने मंच से भाषण देना शुरू कर दिया। पुलिस भी कार्यक्रम स्थल पर पहुंच गई और व्यवस्था बनाए रखने की कोशिश की।"


यह उस समय की बात है, जब यति नरसिंहानंद सरस्वती ने कथित तौर पर मंच से भड़काऊ भाषण देना शुरू कर दिया, जिसमें हिंदुओं को अपने अस्तित्व के लिए लड़ने के लिए हथियार उठाने का आग्रह किया गया। चव्हाणके ने भी कहा कि वह समान अधिकार देने के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा, "भारतीय मुसलमानों को वही अधिकार मिलने चाहिए जो पाकिस्तान में हिंदुओं को मिल रहे हैं। इससे ज्यादा कुछ नहीं।"

इस बीच, महापंचायत को लेकर पत्रकारों की शिकायतों पर भी अलग-अलग मामले दर्ज किए गए हैं, जिन्होंने आरोप लगाया कि कार्यक्रम के दौरान उनके साथ मारपीट की गई। पत्रकारों ने पहले दिन में यह भी आरोप लगाया था कि उन्हें दिल्ली पुलिस ने कार्यक्रम स्थल से हिरासत में लिया और मुखर्जी नगर पुलिस स्टेशन ले जाया गया। हालांकि, डीसीपी रंगनानी ने आरोप का खंडन किया और कहा कि सभी पत्रकार अपनी मर्जी से भीड़ से बचने के लिए कार्यक्रम स्थल पर तैनात एक पीसीआर वैन में बैठ गए और उन्होंने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पुलिस स्टेशन जाने का विकल्प चुना।

डीसीपी ने आगे कहा कि एक न्यूज पोर्टल के दो पत्रकारों ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि दोपहर करीब 1.30 बजे, जब वे बाहर निकलने के लिए भाग रहे थे, तो लोगों के एक समूह ने उनके साथ मारपीट की और उनका मोबाइल फोन और आईडी-कार्ड भी छीनने की कोशिश की। पीड़ित पत्रकारों ने मेडिकल जांच कराने से इनकार कर दिया।

एक अन्य शिकायत में एक स्वतंत्र पत्रकार ने आरोप लगाया कि, जो इस कार्यक्रम को कवर करने के लिए गए थे, जब वह दो अन्य पत्रकारों के साथ एक व्यक्ति का साक्षात्कार कर रहे थे, तब कुछ लोगों ने उसके साथ हाथापाई और मारपीट की। पुलिस ने बीच बचाव कर उन्हें सुरक्षा दी। उनकी मेडिकल जांच के बाद आईपीसी की धारा 323 और 341 के तहत मामला दर्ज किया गया और जांच शुरू की गई। डीसीपी रंगनानी ने आगे बताया कि सोशल मीडिया समेत विभिन्न प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर अफवाह और गलत सूचना फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है।


यहां गौरतलब है कि यति नरसिंहानंद सरस्वती को पहले 15 जनवरी को इसी तरह के एक मामले में उत्तराखंड पुलिस ने गिरफ्तार किया था और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। इसके बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। नरसिंहानंद हरिद्वार में तीन दिवसीय धर्म संसद के आयोजकों में से एक था, जहां कथित तौर पर अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ नफरत भरे भाषण दिए गए थे।

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